Friday, September 30, 2011

दुर्गा प्रतिमाओं को पंडाल तक पहुंचाने के काम शुरू

शंकर जालान




कोलकाता। महानगर और आसपास के इलाकों में वृहस्पतिवार को आसमान साफ होते ही दुर्गा प्रतिमाओं को पंडाल तक पहुंचाने के काम शुरू हो गया। बीते कुछ दिनों से हो रही बारिश के कारण मूर्तिकारों व पंडाल बनाने में व्यस्त कारीगरों को परेशानी हो रही थी। वृहस्पतिवार से मौसम साफ होते ही मूर्तिकारों व पंडाल बनाने वाले कारीगरों ने राहत की सांस ली।
पंडालों के निर्माण में आई तेजी : बुधवार रात से बारिश थमने के बाद वृहस्पतिवार से पूजा पंडालों का निर्माण कार्य तेज हो गया। कारीगर निर्धारित समय पर पंडालों को तैयार करने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। पूजा कमिटियां भी अब जल्द पंडाल निर्माण का काम पूरा करा लेना चाहती है। ध्यान रहे कि बीते कुछ दिनों से हो रही बारिश का पूजा पंडाल के निर्माण पर विपरीत असर पड़ा था।
पूजा कमिटियों के सदस्यों ने बताया कि बारिश के समय पंडाल के निर्माण कार्य को रोकना पड़ा था। बारिश थमने के बाद अब तेजी से काम चल रहा है। आयोजकों के मुताबिक इनदिनों सजावटी सामग्रियों से पंडाल के भीतरी हिस्से की साज-सज्जा की जा रही है। कारीगरों ने बताया कि एक अक्तूबर की सुबह तक पंडाल को पूरी तरह से तैयार कर देना है, क्योंकि इसी दिन शाम से पूजा पंडालों के उद्घाटन का सिलसिला शुरू हो जाएगा।
पंडालों की ओर चली दुर्गा : उत्तर कोलकाता स्थिथ कुम्हारटोली के मूर्तिकारों का गोला वृहस्पतिवार से खाली होना शुरू हो गया। आज बारिश थमने के बाद प्रतिमाओं को पंडाल की ओर जाने का सिलसिला शुरू हो गया। मूर्तिकारों ने बताया कि शनिवार दोपहर तक लगभग सभी मूर्तियां पंडालों तक पहुंच जाएंग। मालूम हो कि दर्जनों मूर्तिकारों के गोले में बीते चार-पांच महीने से बनाई जा रही देवी दुर्गा की प्रतिमा आज से विभिन्न पंडालों में पहुंचने लगी है। मूर्तिकारों का कहना है कि गोला से तो मूर्तियां पंडालों तक पहुंच गई, लेकिन प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने का काम अभी बाकी है। यह ऐसा काम है जो गोला में नहीं किया जा सकता। इसके अलावा एक चाल और एक प्लेट पर बनी प्रतिमाओं को जोड़ने और अंतिम रूप देने के लिए पंडालों में जाना पड़ता है। इसके अलावा साधारण मूर्तियों के हाथों में अस्त्र-शस्त्र देने के लिए हमें कारीगरों को भेजना पड़ता है। जो कुछ मूर्तियां अभी तक कुम्हारटोली में हैं, वे शनिवार दोपहर तक पंडालों में पहुंच जाएगी। मूर्तिकारों ने बताया कि दो-तीन दिन आराम करने के बाद वे काली प्रतिमा के निर्माण में जुट जाएंगे।
पूजा पंडालों का उद्घाटन : शुक्रवार को कई चर्चित पूजा पंडालों का उद्घाटन होगा। यूथ एसोसिएशन (मोहम्मद अली पार्क) के पूजा पंडाल का उद्घाटन राज्यपाल एमके नारायणन करेंगे। इस मौके पर कई जानेमाने लोग बतौर अतिथि मौजूद रहेंगे। वहीं, पाथुरियाघाट पांचेर पल्ली (पाथुरियाघाट स्ट्रीट), विधाननगर सीके-सीएल ब्लॉक रेसिडेंड एसोसिएशन (साल्टलेक) समेत कई पूजा पंडालों का उद्घाटन होगा। इससे पहले बुधवार रात जोधपुर पार्क 95 पल्ली के पूजा पंडाल का उद्घाटन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया। राममोहन सम्मिलनी के पूजा पंडाल का उद्घाटन उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने किया।

Wednesday, September 28, 2011

पूजा परिक्रमा : उलट कर देखो की थीम पर पाथुरियाघाट की दुर्गापूजा

शंकर जालान





कोलकाता, 29 सितंबर। उलट कर देखो बदल गया कि थीम पर इस बार उत्तर कोलकाता
में पाथुरियाघाट पांचेरपल्ली सार्वजनीन दुर्गोत्सव समिति ने पूजा आयोजित
करने का मन बनाया है। समिति के सदस्यों का कहना है कि लगभग सभी पूजा
कमिटियां दर्शकों से यह अनुरोध करती है कि पंडाल में लगे सजावटी सामग्री
को हाथ न लगाए और पंडाल में कई स्थानों पर डोंट टच का बोर्ड लगा रहता है,
लेकिन हमारी समिति इसे विपरीच काम कर रही है। समिति के मुताबिक उनके
पंडाल में आए लोग देखने के साथ-साथ पंडाल को छू कर देख भी सकते हैं।
समिति के एक सदस्य तपन मुखर्जी ने बताया कि पंडाल के आस-पास सैकड़ों की
संख्या में ऐसी फ्रेम लगी होगी, जिसे दर्शक न केवल छू सकते हैं, बल्कि
उटल भी सकते हैं। मजे की बात यह है कि फ्रेम के उटलते ही उसका रंग और
आकृति बदल जाएगी। उन्होंने बताया कि सोमनाथ मुखर्जी के परिकल्पना को
साकार करने में डेकोरेटर के कारगीर, मूर्तिकार और बिजली सज्जा वाले
तन्मयता से लगे हैं।
उन्होंने बताया कि बीते 72 सालों से यहां पूजा आयोजित होती आ रही है,
लेकिन बीते दस-बारह सालों में पाथुरियाघाट पांचेरपल्ली की पूजा ने जो
ख्याति अर्जित की उसके बलबूते यह पूजा महानगर की गिनी-चुनी पूजा में
शुमार हो गई।
उन्होंने बताया कि बीते साल यानी 2010 में दक्षिण भारतीय संगीत की थीम पर
पूजा आयोजित की गई थी। इससे पहले 2009 में सुतानटी केंद्रित पंडाल, 2008
में माचिस की डिब्बी व तिल्ली का पंडाल काफी चर्चित हुआ था। वहीं,
मिट््टी, रस्सी, चावल-दाल, पाट, पुराने अखबार, पुराने कार्टुन, पत्थर के
टुकड़े और गमछों से बना पंडाल को देखने भी भारी संख्या में दर्शक
पाथुरियाघाट पहुंचे थे।
एक अन्य सदस्य ने बताया कि समिति को एशियन पेंट, श्रीलेदर, प्रतिदिन,
एमपी बिड़ला, स्टेट्समैन, कोलकाता पुलिस, रोटरी क्लब, ईटीवी समेत कई
संगठनों की ओर से बेहतर पंडाल और प्रतिमा के लिए सम्मानित किया जा चुका
है। उन्होंने इस बार की थीम के बारे में बताया कि पंडाल दर्शनीय होगा और
इसी से मेल खाती प्रतिमा व बिजली सज्जा होगी। उन्होंने बताया कि पंडाल और
प्रतिमा को हम साल-दर-साल बेहतर बनाने की कोशिश में जुटे रहते हैं, लेकिन
स्थानाभाव के कारण हमारे पास बिजली सज्जा के लिए अधिक संभावनाएं नहीं है।
उन्होंने बताया को सोमा इलेक्ट्रिक के कारीगर बिजली सज्जा को इंद्रधनुषी
बनाने में जुटे हैं।
उन्होंने बताया कि साढ़े सात लाख के बजट वाले पाथुरियाघाट के पूजा पंडाल
का उद्घाटन 30 सितंबर को कई जानेमाने लोगों की मौजूदगी में होगा और सात
अक्तूबर को प्रतिमा को विसर्जित किया जाएगा।
छोटे बजट की बड़ी पूजा : हावड़ा जिले के शिवपुर इलाके में आयोजित होने वाली
रामकृष्णपुर पल्ली एथलीट क्लब के दुर्गापूजा छोटे बजट की बड़ी पूजा के रूप
में जानी जाती है। बीते 12 सालों से यहां पूजा आयोजित हो रही है। पांच
दिवसीय दुर्गोत्सव के दौरान पूजा पंडाल में विविध प्रकार के धार्मिक व
सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। क्लब और ओर से अध्यक्ष
धर्मपाल निगानिया और कार्यकारी अध्यक्ष रमेश मुरारका ने बताया कि गोपी
डेकोरेटर को पंडाल, कार्तिक पाल को प्रतिमा और अनवर इलेक्ट्रिक को बिजली
सज्जा की जिम्मेवारी दी गई है। आयोजकों के मुताबिक दो अक्तूबर को पूजा
पंडाल का उद्घाटन और छह अक्तूबर को प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा।

इस्कॉन मंदिर में होंगे दुर्गा के दर्शन

शंकर जालान



कोलकाता। मध्य कोलकाता के कॉलेज स्ट्रीट स्थित कॉलेज स्क्वायर में 1948 से आयोजित हो रही दुर्गापूजा का पंडाल इस बार मायापुर स्थित इस्कॉन मंदिर की हू-ब-हू आकृति का होगा। अद्भूत पंडाल को बताने में सैकड़ों कारीगर बीते दो महीने से लगे हैं। कॉलेज स्क्वायर सार्वजनीन दुर्गोत्सव कमिटी के वरिष्ठ सदस्य प्रभात सेन ने बताया कि इससे पहले जयपुर पैलेस, बंगलूरू का प्रशांति मंदिर, गुजरात का अक्षरधाम मंदिर, उत्तराखंड का लक्ष्मण झूला, पंजाब का स्वर्ण मंदिर, कनार्टक विधानसभा भवन और कूचबिहार की राजबाड़ी की शक्ल का पंडाल बनाया गया था।
उन्होंने बताया कि ये भव्य पंडाल न केवल चर्चित हुए थे, बल्कि इन पंडालों को देखने भारी तादाद में दर्शनार्थी भी आए थे।
सेन ने बताया कि कमिटी के पदाधिकारी और सदस्य डेकोरेटर को इस बात से भलीभांति अवगत करा देते हैं कि पंडाल की फिनिशिंग इतनी बेहतरीन होनी चाहिए कि लोगों को ऐसा महसूस न हो कि यह मूल मंदिर या इमारत नहीं बल्कि महज एक अस्थाई पंडाल है। उन्होंने बताया कि विराट व दर्शनीय पंडाल को बनाने में पाल डेकोरेटर के लोग बांस, तिरपाल, कपड़ा, प्लाईवुड और थर्माकोल का इस्तेमाल कर रहे हैं।
प्रतिमा के बारे में उन्होंने बताया कि उल्टाडांगा के सनातन रूद्र पाल उनके पूजा पंडाल के लिए परंपरागत मूर्ति बनाने में व्यस्त हैं। सेन के मुताबिक कमिटी के सदस्यों का मत है कि मूर्ति को लेकर कोई प्रयोग नहीं किया जाए, इसलिए हमारे पंडाल में सालों से परंपरागत मूर्तियां ही लाई जा रही हैं।
उन्होंने बताया कि शुरू से ही कॉलेज स्क्वायर की पूजा बेहतरीन व दर्शनीय आलोक सज्जा के लिए जानी जाती रही है। इस बार भी हुगली जिले के चंदननगर के कारीगर अपनी कार्य-कुशलता के मुताबिक इंद्रधनुषी रोशनी बिखेरेंगे। सेन ने बताया कि पूजा का कुल बजट करीब 35 लाख रुपए है और यह राशि चंदा और स्मारिका में प्रकाशित विज्ञापन के जरिए एकत्रिक की जाती है। इसके अलावा कई कंपनियां भी प्रयोजित करती हैं। उन्होंने बताया कि 30 सितंबर को राज्यपाल एमके नारायणन कॉलेज स्क्वायर के पूजा पंडाल का उद्घाटन करेंगे। इस मौके पर और कई जानेमाने लोग बतौर अतिथि मौजूद रहेंगे। आठ अक्तूबर को मां दुर्गा समेत गणेश, कार्तिक, लक्ष्मी व सरस्वती की प्रतिमा को गंगा में प्रवाहित कर दिया जाएगा।

Tuesday, September 27, 2011

अली बाबा चालीस चोर की थीम पर दुर्गापूजा

शंकर जालान



कोलकाता। मछुआ बाजार सार्वजनीन दुर्गापूजा समिति इस बार अली बाबा और चालीस चोर के महत्व को उजागर करने के मकसद से पूजा पंडाल का निर्माण कर रही है। पंडाल के भीतरी हिस्से में म्यूजिकल सिस्टम (संगीत) व्यवस्था की गई है। बच्चों की रूचि को ध्यान में रखते हुए पंडाल के आसपास कार्टून, घोड़े समेत बच्चों को लुभाने वाले कई चित्र अंकित किए जा रहे हैं।
दुर्गापूजा समिति के एक प्रमुख सदस्य ने बताया कि 2011 के लिए गठित कमिटी में विजय उपाध्याय, विधायक स्मिता बक्शी, पार्षद रीता चौधरी, राजेश लाठ और प्रह्लाद राय गोयनका को शामिल किया गया है।
सदस्य के मुताबिक 30 फीट ऊंचे, 95 फीट लंबे और 34 फीट चौड़े पंडाल को बनाने में बांस, तिरपाल, कपड़ा, प्लास्टर आॅफ पेरिस, रस्सी, जूट, लकड़ी और झूड़ी का इस्तेमाल किया जा रहा है।
सदस्य ने बताया कि मछुआ बाजार (फल मंडी) में 1953 से पूजा आयोजित हो रही है। शुरू-शुरू में पूजा साधारण रूप से की जाती थी, लेकिन बीते कुछ सालों में पूजा न केवल भव्य रूप से की जाने लगी, बल्कि चर्चा का विषय भी रही। बीते कुछ सालों पशु-पक्षियों के महत्व के मद्देनजर, रेत में फंसी नाव, बौद्धस्तूप, पिरामिड, कच्चे बांस, व्हाइट हाउस और जूट की रस्सी का पंडाल बनाकर समिति ने वाह-वाही लूटी और कोई पुरस्कार भी जीते।
समिति के मुताबिक राज्य सरकार के युवा विभाग, चैनल विजन और सृष्टि चैनल समेत कई संस्थानों की ओर से बेहतरीन साज-सज्जा के लिए सम्मान मिल चुका है।
थीम, प्रतिमा, बिजली सज्जा, उद्घाटन, बजट और विसर्जन के बारे में समिति के सदस्यों ने बताया कि पूर्व मेदिनीपुर जिले के बादल प्रधान की परिकल्पना को साकार करने में सैकड़ों कारीगर बीते कई सप्ताह से लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि कुम्हारटोली के संजू पाल उनके पूजा पंडाल के लिए मां दुर्गा समेत लक्ष्मी, सरस्वती, कार्तिक और गणेश की प्रतिमा बनाने में जुटे हैं।
समिति के एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि बिजली सज्जा की जिम्मेवारी विद्युत इलेक्ट्रिक को दी गई है। उन्होंने बताया कि साढ़े आठ लाख के बजट वाली इस पूजा पंडाल का विधिवत उद्घाटन एक अक्तूबर को कई जानेमाने लोगों की मौजूदगी में होगा और एक सप्ताह तक पूजा-अर्चना करने के बाद आठ अक्तूबर को नम आंखों से मां दुर्गा को विदाई दी जाएगी।

Monday, September 26, 2011

पहाड़ों के बीच विराजेगी दुर्गा

शंकर जालान




कोलकाता। उत्तर कोलकाता के काशी बोस लेन की दुर्गा पूजा पुरस्कारों के लिए जानी जाती है। वैसे तो पूजा बीते 71 सालों से हो रही है, लेकिन बीते 10-15 सालों के दौरान बेहतर पंडाल, कलात्मक प्रतिमा और इंद्रधनुषी बिजली सज्जा के लिए कमिटी को कई पुरस्कारों से नवाजा गया है। कमिटी को अब तक एशियन पेंट, प्रतिदिन, एमपी बिड़ला, श्री लेदर, स्टेटमैन, जामिनी साड़ी समेत कई प्रतिष्ठित सम्मान हासिल हो चुके हैं। यहां की पूजा को लोग पुरस्कार वाली पूजा के नाम से जानते हैं। काशी बोस लेन स्थित मैदान में होने वाली दुर्गा पूजा में इस बार दर्शनार्थियों को पहाड़ों के बीच में देवी दुर्गा के दर्शन होंगे।
आयोजकों का मानना है कि मध्य व उत्तर कोलकाता में आयोजित होने वाली करीब दो सौ पूजा में उनके पंडाल, प्रतिमा और बिजली सज्जा की एक अलग पहचान रहती है।
काशी बोस लेन दुर्गा पूजा कमिटी के बैनर तले आयोजित होने वाले दुर्गोेत्सव का उद्घाटन महापंचमी (30 सितंबर) को होगा और रीति के मुताबिक विजया दशमी (छह अक्तूबर) को मां दुर्गा समेत भगवान गणेश, कार्तिक, लक्ष्मी व सरस्वती की मूर्तियों को गंगा में प्रवाहित कर दिया जाएगा। पूजा पंडाल का उद्घाटन कौन करेगा? इस प्रश्न का जवाव देते हुए कमिटी के प्रमुख सदस्य गोराचंद चंद्रा ने बताया कि ऋषिकेश के एक संत उद्घाटन करेंगे।
पंडाल कैसा होगा? किस चीज से बना होगा? थीम क्या है और इसे बनाने का जिम्मा किसे दिया गया है? इन सवालों का उत्तर देते हुए उन्होंने बताया कि पंडाल को पहाडों जैसा बनाया जा रहा है। कुल ग्यारह पहाड़ों के बीच लोग को देवी दुर्गा के दर्शन होंगे।
उन्होंने बताया कि गौरांग कोइला की परिकल्पना को साकार करने में सैकड़ों कारीगर बीते कई सप्ताह से लगे हैं। चंद्रा के मुताबिक बांस, तिरपाल, कपड़ा, झुड़ी, चट आदि से बने 45 फीट ऊंचे, 40 फीट चौड़े और 50 फीट लंबा पंडाल देखने में बिल्कुल पहाड़ जैसा लगेगा। प्रतिमा के बारे में उन्होंने बताया कि बीते कुछ सालों से नदिया जिले के शंकर पाल उनके पंडाल के लिए प्रतिमा बनाते आ रहे थे, लेकिन इस बार यह भी गौरांग कोइला को दिया गया है।
बिजली सज्जा के बारे में उन्होंने बताया कि हुगली जिला स्थित चंदननगर के दिलीप इलेक्ट्रिक के कारीगर आलोक सज्जा का काम कर रहे हैं। बजट के बारे में उन्होंने बताया कि कुल बजट 15 लाख रुपए का है। यह राशि कहां से आती है, इसका खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि चंदा, स्मारिका प्रकाशन के अलावा कई बड़ी कंपनियां प्रायोजित करती है।
उन्होंने बताया कि बीते साल यानी 2010 में राजस्थानी मंदिरनुमा भव्य पंडाल बनाया गया था। नारियल की जटाओं के पंडाल के भीतरी हिस्से में कई दर्शनीय आकृति लगाई गई थी, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा था।

Sunday, September 25, 2011

चाय उद्योग पर संकट के बादल

शंकर जालान




आजकल उत्तर बंगाल के चाय उद्योग पर मजदूरी आंदोलन के चलते संकट के बादल मंडराने लगे हैं। विभिन्न चाय श्रमिकों के संगठनों के आंदोलन के चलते बागानों के मालिक भारी दबाव में हैं। आंदोलन का नेतृत्व दे रहे को-आर्डिनेशन कमेटी के संयोजक चित्त दे के मुताबिक उत्तर बंगाल के तराइ, डुवार्स और दार्जिलिंग के पार्वतीय क्षेत्र में बड़े चाय बागानों की संख्या 2788 है। इनके अलावा कूचबिहार, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर जिलों में लघु चाय बागानों की अच्छी खासी तादाद है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में मजदूरों को मिल रही 67 रुपए की दैनिक मजदूरी महंगाई को देखते हुए नगण्य है। हमने इसे 165 रुपए करने की मांग की है। लेकिन मालिक अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। सीटू नेता जियाउर आलम ने कहा कि मालिक पक्ष मजदूरों का शोषण कर करोड़ों रुपए का मुनाफा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार भी इस तरफ ध्यान नहीं दे रही है, जबकि उसे इस मसले पर गंभीरता से सोचना चाहिए।
मालूम हो कि तराई-डुवार्स में लगभग दो लाख 22 हजार चाय श्रमिक प्रत्यक्ष रूप से चाय उद्योग से जुड़े हैं। इस बीच, मजदूर नेता अलोक चक्रवर्ती ने कहा है कि मालिक पक्ष के साथ मजदूरी को लेकर श्रमिक संगठनों की कई बार बैठकें हुई है, लेकिन कोई सार्थक नतीजा नहीं निकला। यदि मजदूरों की मांग नहीं मानी गई तो हम वृहद आंदोलन करेंगे। इस प्रसंग में चाय बागानों के संगठन के संयोजक अमितांशु चक्रवर्ती ने कहा कि दरअसल लोग केवल 67 रुपए मजदूरी को ही देख रहे हैं। इस राशि के अलावा मजदूरों को जो सुविधाएं दी रही हैं उसे नजरअंदाज किया जाता है। मिसाल के तौर पर मजदूरों को आवास व रियायती मूल्य पर राशन दिया जा रहा है। उसे मजदूरी में शामिल नहीं किया जाता। इनके साथ ही मजदूरों के नि:शुल्क इलाज की व्यवस्था की गई है। कुल मिलाकर 135 रुपए का हिसाब आता है। जब मालिक पक्ष पर करोड़ों रुपए का मुनाफा करने का आरोप लगता है तो नेता लोग भूल जाते हैं कि महंगाई की मार जितनी आम जनता को झेलनी पड़ रही है उतनी ही चाय बागान मालिकों को भी। महंगाई के चलते उत्पादन की लागत दोगुनी हो गई है। इसलिए हमने तीन वर्ष में आठ रुपए की दर से मजदूरी बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। फिलहाल हड़ताल की वजह से हमें भारी नुकसान उठाना पड़ा है। एक चाय बागान में प्रतिदिन आठ हजार से दस हजार किलो चायपत्ती का उत्पादन होता है। इसका मूल्य नौ से दस लाख रुपए होता है। डुवार्स में 154, तराई में 46 और दार्जिलिंग में 78 वृहद चाय बागान हैं। हड़ताल के कारण चाय बागानों के मालिकों को करोड़ों का चूना लगा है।
उनका तर्क है कि चाय श्रमिकों की मजदूरी एक ही बार में अधिक बढ़ाना उद्योग के लिए संभव नहीं है। उत्तर बंगाल में लघु चाय बागान करीब तीस हजार हैं, जिनमें प्रतिदिन 91 मिलियन किलो का उत्पादन होता है। करीब एक लाख एकड़ जमीन में फैले इन लघु चाय बागानों में प्रति वर्ष नौ करोड़ दस लाख किलो चायपत्ती का उत्पादन होता है। आंदोलन के प्रसंग में मजदूर संगठन से जुड़े एक अन्य नेता सुकरा मुंडा ने कहा कि 250 रुपए मजदूरी की मांग नहीं माने जाने पर हम वृहद आंदोलन के लिए तैयार हैं। यदि मालिक पक्ष को हड़ताल से नुकसान होता है तो हम इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
उनका कहा कि मजदूरों के साथ हुए समझौते के मुताबिक न्यूनतम मजदूरी के तहत रियायती दर पर राशन, पेयजल की आपूर्ति, स्वास्थ्य सेवा, जलावन और इन सब का रखरखाव भी शामिल है, लेकिन जमीनी स्तर पर देखा जाता है कि यह व्यवस्था भी इतनी लचर है, जिसे शब्दों में बांधना मुश्किल है। पंद्रह दिनों की दिहाड़ी में से श्रमिकों को 67 रुपए की दर से केवल 12 रोज की ही मजदूरी दी जाती है। यह राशि 804 रुपए होती है। अब इसी राशि में मजदूर को अपना व अपनी बीवी व बच्चों का पेट पालने से लेकर उनकी शिक्षा पर खर्च करना पड़ता है। इसी में उसे दवा का खर्च भी उठाना पड़ता है, चूंकि बागान के अस्पताल में दवाएं बहुत कम ही रहती हैं। ज्यादातर दवाएं बाहर से ही खरीदनी पड़ती है।
इस दौर में मजूदरों का केवल एक ही सहारा होता है जब बागान में पत्ती की भरमार होती है। उस दौर में चायपत्ती तोड़ने के लिए उन्हें अतिरिक्त पैसे मिलते हैं। इस अतिरिक्त कार्य के लिए भी मजदूरी निर्धारित है। प्रथम छह किलो तक एक रुपए प्रति किलो और उससे अधिक तोड़ने पर डेढ़ रुपए प्रति किलो की दर से मजदूरी मिलती है। यह कार्य वर्ष में तीन से चार महीने ही रहता है, बाकी महीनों में मजदूर गृहस्थी की गाड़ी खींचने के लिए अपना बोनस, ग्रैच्यूटी, पीएफ तक महाजनों के पास गिरवी रख देते हैं। मजदूर की पूरी जिंदगी कर्ज में डूबी रहती है। इस बीच यदि वह किसी गंभीर रोग का शिकार हो जाता है तो उसके लिए धीमी मौत का इंतजार करने के सिवा अन्य कोई विकल्प नहीं रह जाता। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस राशन की दुहाई प्रबंधन देता है उसमें भी कई तरह की खामियां हैं। बागान श्रमिकों को 40 पैसे प्रति किलो की दर से चावल, गेहूं या आटा दिया जाता है। एक मजदूर को सप्ताह में एक किलो चावल, दो किलो 220 ग्राम गेहूं या आटा और पत्‍‌नी के लिए एक किलो चावल, एक किलो 440 ग्राम आटा, बच्चों के लिए 500 ग्राम चावल और 720 ग्राम आटा मिलता है। यह व्यवस्था भी बहुत से बागानों से में लचर है। आए दिन राशन को लेकर मजदूरों और प्रबंधन के बीच विवाद होता रहता है। पेयजल की आपूर्ति व्यवस्था भी सही नहीं है। कई जगह पाइप साठ से सत्तर साल पुराने हो चुके हैं। रोज पाइप की मरम्मत होती है और रोज टूटते हैं। बागानों में आज भी कच्चे कुएं का पानी प्रयोग में लाया जाता है। कहीं तो नदियों का पानी परिष्कृत किए बिना सीधे आवासों में पहुंचाया जाता है। मजदूरों की आवासीय सुविधा का हाल भी बेहाल है। एक आवासीय घर नियमानुसार 350 वर्ग फीट का होना चाहिए। हालांकि कई जगह ये घर 21 बटा 10 फीट के ही हैं। जबकि बहुत से मजदूरों को यह भी नसीब नहीं है। आवास को लेकर बागान में विवाद कोई नई बात नहीं है। घरों के टूटी हुई छत, टूटी हुई खिड़कियां ही सबकुछ बयान कर देती हैं। मजदूरों को आश्वासन की घुट्टी पिला दी जाती है।
शशि थापा नामक एक महिला मजदूर ने शुक्रवार को बताया कि कम मजदूरी की समस्या से पहले से जूझ रहे चाय मजदूरों के सामने एक नया संकट आ गया है। वह है भविष्य में छंटनी का संकट। इसकी मुख्य वजह है वह मशीन जिससे चायपत्तियां तोड़ने का काम लिया जा रहा है। आम तौर पर श्रमिकों और श्रमिक संगठन के नेताओं का मानना है कि इस मशीन का उपयोग उत्तर बंगाल के इस सबसे वृहद उद्योग मजदूरों की छंटनी के लिए किया जा सकता है। हालांकि चाय बागान मालिक इस परिवर्तन को सकारात्मक नजरिए से देखते हैं।
मालिकों का कहना है कि मशीन का उपयोग श्रम दक्षता को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। श्रमिक छंटनी की आशंका बेबुनियाद है। ज्ञात हो कि एक श्रमिक दिन में जितनी पत्तियां तोड़ते हैं उससे यह मशीन बहुत की कम समय में दोगुणी चायपत्ती तोड़ने में सक्षम है। 18 श्रमिक संगठनों की को-आर्डिनेशन कमेटी के संयोजक चित्त दे का कहना है कि हालांकि शुरू में ऐसा लगता था कि यह मशीन श्रमिक की मदद कर रही है लेकिन अब मजदूरों को इससे नुकसान की आशंका सताने लगी है। इसका कुफल श्रमिक छंटनी के रूप में हमारे सामने आ सकता है। खासतौर से महिला श्रमिकों की शिकायत है कि उन्हें इस मशीन के जरिए काम करने में असुविधा हो रही है।

सर्व धर्म समभाव की थीम पर संतोष मित्र स्क्वायर दुर्गापूजा

शंकर जालान


कोलकाता। बीते 10-12 सालों से बेहतरीन पंडाल बनाने और कई पुरस्कार जीतने वाली संतोष मित्र स्क्वायर सार्वजनीन दुर्गोत्सव समिति इस बार सर्वधर्म समभाव पर दुर्गापूजा आयोजित कर रही है। समिति के प्रमुख प्रदीप घोष ने बताया कि बीते साल यानी 2010 में राइटर्स बिल्डिंग की तर्ज पर पूजा पंडाल बनाया गया था और इससे पहले 2009 में अमेरिका स्थित स्टेचू आॅफ लिबर्टी की आकृति का पंडाल बनाया गया था।
उन्होंने बताया कि इस साल मदन डेकोरेटर्स के सैकड़ों कारीगर इस बार सर्व धर्म समभाव पर पूजा पंडाल बना रहे हैं वहीं बिजली सज्जा देवाशीष इलेक्ट्रिक और प्रतिमा बनाने का काम मोहनवासी रुद्रपाल कर रहे हैं। घोष ने बताया कि पानी का जहाज, बिलासपुर ट्रेन हादसा, कारगिल युद्ध, अक्षरधाम मंदिर, संतोषपुर सड़क दुर्घटना, नैनो कारखाना समेत देश-दुनिया की कई प्रमुख घटनाओं को पंडाल का आकार दिया गया है। उन्होंने बताया कि संतोष मित्र स्क्वायर के पूजा पंडाल का उद्घाटन 30 सितंबर को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एमके नारायणन के हाथों होगा। इस मौके पर सांसद दीपा दासमुंशी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रदीप भट््टाचार्य समेत कई जाने माने लोग बतौर अतिथि मौजूद रहेंगे।
घोष ने बताया कि बड़े बजट की पूजा को साकार रूप देने में डेकोरेटर के एक सौ से ज्यादा करीगर बीते तीन महीने से पंडाल निर्माण में जुटे हैं। उन्होंने बताया कि इस बार 120 फीट चौड़ा, 135 फीट लंबा और 90 फीट ऊंचा पंडाल बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पंडाल निर्माण में प्लाईवुड, लकड़ी, कपड़ा और थर्माकोल का इस्तेमाल किया जा रहा है।
उनके मुताबिक पूजा पंडाल में आए लोगों के सर्व धर्म समभाव का संदेश लोगों को मिलेगा ही। साथ ही विकास, सौंदर्यीकरण और हरियाली के महत्व को भी समझ पाएंगे। घोष ने बताया कि समिति के बैनर तले 1936 से पूजा आयोजित होती आ रही है, लेकिन पिछले 10-12 सालों से यहां की पूजा ने जो ख्याति अर्जित की है उसका बयान शब्दों में नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि संतोष मित्र स्क्वायर में जितने लोग पूजा देखने आते हैं उतने लोग शायद अन्यत्र नहीं जाते होंगे। यहां के बेकाबू भीड़ को देखते हुए प्रशासन को कई बार रैफ (रेपिड एक्शन फोर्स) तैनात करनी पड़ी है।
घोष ने बताया कि पानी के जहाज के शक्ल वाले पंडाल तो इतना चर्चित हुआ था कि विसर्जन के कई सप्ताह बाद तक लोग पंडाल देखने आते रहे। उसके बाद से समिति ने हर साल एक विशेष थीम को ध्यान में रखकर दर्शनीय व भव्य पंडाल बनाने का बीड़ा उठाया। घोष ने बताया कि इस बार भी प्रतिमा तो परंपरागत ही रहेगी, लेकिन हमारे पंडाल में रखी मूर्ति मूर्तिकार की अद्भुत कल्पना की परिचायक होगी।
बिजली सज्जा के बारे में उन्होंने बताया कि देवाशीष इलेक्ट्रिक के लोग इंद्रधनुषी रोशनी बिखेरने में सक्रिय रूप से लगे हैं। बिजली सज्जा के लिए कोई थीम तो नहीं निर्धारित की गई है, लेकिन जरूर हैं कि देखने वाले को स्तरीय लगेगी। उनके मुताबिक सात अक्तूबर को प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा। इससे पहले पूजा पंडाल में सिंदूर खेला का आयोजन होगा।

Saturday, September 24, 2011

पर्यावरण, शिक्षा, भ्रष्टाचार और नारी सशक्तिकरण पर आधारित बिजली सज्जा

शंकर जालान



कोलकाता, अगले महीने के पहले सप्ताह से आयोजित होने वाले दुर्गोत्सव में इस बार पंडाल, प्रतिमा के साथ-साथ बिजली सज्जा भी विशेष थीम पर आधारित होगी। हुगली जिले के चंदननगर के हजारों कारीगर इनदिनों दर्जनों पूजा कमिटियों के लिए बिजली सज्जा को अंतिम रूप देने में व्यस्त हैं। इन कारीगरों ने बताया कि इस साल ज्यादातर पूजा आयोजक पर्यावरण, शिक्षा, भ्रष्टाचार और नारी सशक्तिकरण पर आधारित बिजली सज्जा की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा कुछ समितियां रवींद्रनाथ टैगोर, भारतीय क्रिकेट दल और जानी-मानी फिल्म हस्तियों को भी रोशनी के माध्यम से दर्शाएंगी।
चंदननगर के कारीगर 32 वर्षीय रवींद्र कुमार ने बताया कि वे दक्षिण कोलकाता की तीन पूजा पंडालों के लिए बिजली सज्जा का काम कर रहे हैं। उनके मुताबिक बालीगंज स्थित एक पूजा कमिटी के लिए वे पर्यावरण की थीम पर बिजली सज्जा कर रहे हैं। इसके अलावा एक दूसरी पूजा कमिटी के फलों पर केंद्रीत विद्युत सज्जा कर रहे हैं। साथ ही एक अन्य पूजा पंडाल के लिए सामान्य लिए तौर पर रोशनी की व्यवस्था कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बालीगंज के पूजा पंडाल के लिए वे हरियाली के महत्व व पर्यावरण के मद्देनजर बिज्जी सज्जा कर रहे हैं। उनके मुताबिक सड़क के दोनों तरह हरियाली के प्रतीक के रूप में हरे रंग के बल्ब लगाए जा रहे हैं। वहीं ट्यूनिंग लाइट के जरिए पेड़ काटने, तालाब पाटने के कुप्रभाव को दिखाया जाएगा।
मध्य कोलकाता के मोहम्मद अली पार्क स्थित यूथ एसोसिएशन के पूजा पंडाल में रोशनी के जरिए नारी के विविध रूपों को दर्शाया जाएगा। एसोसिएशन के महासचिव विनोद शर्मा ने बताया कि बिजली सज्जा के सहारे वे लोग बेटी, बहन, पत्नी और मां के अलावा नारी की विविध रूप व शक्ति को दिखाएंगे।
वहीं, उत्तर कोलकाता के काशीपुर स्थित बीबी बाजार इलाके में शिक्षा, काशी बोस लेन में भ्रष्टाचार, कुम्हारटोली पार्क में नारी सशक्तिकरण पर बिजली सज्जा की जा रही है। साल्टलेक के सीएलसीके ब्लॉक में इस बार रवींद्रनाथ टैगोर और करुणामयी इलाके में भारतीय क्रिकेट दल पर आधारित बिजली सज्जा की जा रही है।
मध्य कोलकाता के एक पूजा पंडाल के लिए बिजली सज्जा की तैयारी में जुटे एक कारीगर ने बताया कि वे दुर्गापूजा के तीन-चार महीने पहले से ही विभिन्न थीमों की रूपरेखा तैयार कर लेते हैं। इसके बाद आयोजकों से संपर्क उसमें कुछ फेर-बदल कर एक तय राशि पर बिजली सज्जा का ठेका ले लेते हैं। उन्होंने बताया कि आयोजक इस शर्त के साथ अग्रिम भुगतान करते हैं कि इस थीम की बिजली सज्जा अन्य पूजा पंडालों में नहीं हो चाहिए।

Sunday, September 18, 2011

मोहम्मद अली पार्क में दिखेंगे नारी के विविध रूप

शंकर जालान




कोलकाता। महानगर की चर्चित दुर्गापूजा यूथ एसोसिएशन (मोहम्मद अली पार्क) में इस बार पूजा घूमने आए दर्शकों को नारी या शक्ति का विविध रूप दिखेंगे। बीते साल यानी 2010 में थाईलैंड का बौद्ध मंदिर, 2009 में पर्यावरण के महत्व, 2008 में आतंकवाद के खतरे, 2007 में कन्या भ्रूण हत्या, 2006 में नारी शक्ति और 2005 में विज्ञान का तरक्की यानी सेटेलाइट की थीम पर यूथ एसोसिएशन ने दुर्गापूजा आयोजित कर न केवल वाहवाही लूटी थी, बल्कि कई पुरस्कार भी हासिल किए थे।
एसोसिएशन के कार्यकारी अध्यक्ष रमेश लखोटिया और प्रधान सचिव विनोद शर्मा ने बताया कि नदिया जिले के जागुलिया के कार्तिक सेन नारी के विविध रूपों के अनुसार पंडाल और प्रतिमा बनाने में जुटे हैं। वहीं, बिजली सज्जा का काम विनस इलेक्ट्रिक को दिया जाएगा। आयोजकों ने बताया कि इस बार की बिजली सज्जा नारी के विविध रूपों पर रोशनी डालने के साथ-साथ देखने लायक होगी।
लखोटिया ने बताया कि दुर्गोत्सव के बहाने एसोसिएशन का उद्देश्य रहता है कि पूजा देखने आए लोग जाते वक्त मां के प्रसाद कुछ नसीयत भी लेते जाएं। उन्होंने बताया कि इसके मद्देनजर बीते कुछ सालों में पर्यावरण, आतंकवाद, कन्या भ्रूण हत्या, नारी शक्ति और सेटेलाइट की थीम पर देवी दुर्गा समेत गणेश, कार्तिक, लक्ष्मी और सरस्वती का आराधना की गई थी।
बजट, उद्घाटन और विसर्जन बाबत पूछे गए सवाल के जवाब में कार्यकारी अध्यक्ष ने बताया कि बजट करीब 22-23 लाख का है। पूजा पंडाल का उद्घाटन 30 सितंबर को और विसर्जन आठ अक्तूबर को होगा। उद्घाटन कौन करेगा? इसका उत्तर देते हुए लखोटिया ने बताया कि राज्यपाल एमके नारायणन व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से संपर्क साधा जा रहा है। फिलहाल कोई स्वीकृति नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि 1969 से एसोसिएशन के बैनर तले पूजा आयोजित होती आ रही है। 1976 तक पूजा ताराचंद दत्त स्ट्रीट में होती थी, लेकिन अत्याधिक भीड़ व कई घंटों तक यातायात प्रभावित रहने के कारण कोलकाता पुलिस व कोलकाता नगर निगम की सलाह पर 1977 से दुर्गापूजा मोहम्मद अली पार्क में आयोजित की जाने लगी।
उन्होंने बताया कि थीम के मुताबिक पंडाल को सजाने, संवारने और अंतिम रूप देने में सैंकड़ों कारीगर लगे हैं। थर्माकोल, कपड़ा, प्लाईवुड, प्लास्टर आॅफ पेरिस और मिट््टी से नारी के विविध रूपों को अंकित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह पूजा आयोजन का 43वां वर्ष है। एसोसिएशन के पूजा पंडाल में आने वाले दर्शकों को कहीं गर्भ में पल रहे बच्चे की हत्या करवाती नारी, कहीं गर्म तेल में जलती नारी तो कहीं अबला और कहीं सबला के रूप में नारी को देख पाएंगे।

Saturday, September 17, 2011

प्रकृति और पर्यावरण का नजारा

शंकर जालान




कोलकाता। उत्तर कोलकाता को अमहर्स्ट रो में सजने वाली दुर्गापूजा में दर्शक इस बार प्रकृति और पर्यावरण की खूबियों को महसूस कर पाएंगे। रोम मोहन स्मृति संघ की ओर से अमहर्स्ट रो में आयोजित होने वाली सार्वजनीन दुर्गोत्सव कमिटी के सदस्य धमेंद्रजायसावल ने बताया कि कमिटी के सदस्यों की थीम पर पंडाल, प्रतिमा, बिजली सज्जा प्रकृति व पर्यावरण पर केंद्रित है।
उन्होंने बताया कि 1959 से रोम मोहन स्मृति संघ लगातार पूजा आयोजित करता आ रहा है। इस हिसाब से 52वां साल है। जायसवाल ने बताया कि साल-दर-साल हमारी पूजा के प्रति दर्शकों का रुझान बढ़ा है। उन्होंने खुलासा किया कि बीते कुछ सालों के दौरान पूजा कमिटी को कई पुरस्कारों से नवाजा गया है।
उन्होंने बताया कि संघ के सदस्य पूजा के तीन-चार महीने पहले से ही थीम सोचने लगते हैं। और बाद में पूजा कमिटी की बैठक में थीम के बारे में अंतिम निर्णय लिया जाता है। उनके मुताबिक इस बार प्रकृति और पर्यावरण की थीम पर पूजा आयोजित की जा रही है।
उन्होंने बताया कि उनके पूजा पंडाल में आने वाले लोगों को पंडाल के बाहर तक आदिकालीन (रावण युग) की लंका और पंडाल के भीतर राम राज्य का नजारा दिखेगा। उन्होंने बताया कि पंडाल बनाने वाले कारीगर प्लाईवुड पर मिट््टी से रामायण की झांकिया बनाने में व्यस्त हैं। वहीं पंडाल के बाहर सीमेंट का विशाल अंगद बनाया गया। उन्होंने बताया कि पूर्व मेदिनीपुर जिले स्थित कांथी के सुकुमार बैरागी की परिकल्पना को साकार रूप देने में दर्जनों कारीदर बीते एक महीने से जुटे हैं।
जायसवाल ने बताया कि बिजली सज्जा के माध्यम से भी प्रकृति, पर्यावरण और हरियाली के महत्व पर प्रकाश डाला डाएगा। बिजली सज्जा का काम तन्मय इलेक्ट्रिक को दिया गया है।
प्रतिमा के बारे में जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि महिषासुर मर्दनी देवी दुर्गा के दर्शन हमारे पंडाल के दर्शक शांति देवी के रूप में कर पाएंगे। उन्होंने बताया कि शांति के प्रतीक के तौर पर बनी मूर्ति के हाथों में किसी प्रकार का कोई अस्त्र-शस्त्र नहीं होगा। मां दुर्गा का आठों हाथों में कमल के फूल होंगे।
उन्होंने बताया कि मूल रूप से हमारा प्रयास रहेगा कि लोग पूजा घूमने का आनंद लेने के साथ-साथ कुछ सीख भी लें, जो उनके और समाज के लिए हितकर हो।
बजट, उद्घाटन और विसर्जन के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देने हुए उन्होंने बताया कि इस बार पूजा का बजट सात लाख रुपए निर्धारित किया गया है। पूजा पंडाल का उद्घाटन एक अक्तूबर को और विसर्जन सात अक्तूबर को होगा।

Friday, September 16, 2011

कांच की कला में दिखेंगे दुर्गा के 16 रूप

शंकर जालान





कोलकाता। विवेकानंद रोड और अमहर्स्ट स्ट्रीट के मुहाने पर मानिकतला-चलताबागान लोहापट््टी दुर्गा पूजा कमिटी के पूजा पंडाल में इस बार दर्शनार्थियों को कांच की कलाओं को बीच देवी दुर्गा के सोलह रूप दिखेंगे।
पूजा कमिटी के चेयरमैन संदीप भूतोड़िया और उपाध्यक्ष अशोक जायसवाल ने बताया कि 20 फीट चौड़े, 80 फीट लंबे और करीब 45 फीट ऊंचे पंडाल के पूर्व मेदिनीपुर कांथी के सुतनु माइती की परिकल्पना से बनाया जा रहा है। जायसवाल के मुताबिक करीबन 70 कारीगर बीते तीन महीने से पंडाल के लिए कांच के भाड़, कांच के गिलास, कांच की प्लेट, कांच की चूड़ियों से सजावट की सामग्री बने में जुटे हैं।
उन्होंने बताया कि चलता बागान के पूजा पंडाल में आने वाले लोगों को कांच से बनी दुर्गा के नारायणी, अंबिका व गौरी समेत कुल 16 रुप दिखेंगे। इसके अलावा दर्शक कांच की बारीक कला को भी निहार सकेंगे।
जायसवाल के मुताबिक 30 सितंबर को कई जाने माने व विशिष्ठ व्यक्तियों की मौजूदगी में पूजा पंडाल का उद्घाटन होगा और पूजा संपन्न होने के बाद आठ अक्तूबर को नम आंखों से मां दुर्गा समेत गणेश, कार्तिक, लक्ष्मी और सरस्वती को विदाई दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि जितेंद्र चंद्र पाल और बादल चंद्र पाल चतला बागान के पूजा पंडाल के लिए देवी दुर्गा के प्रतिमा बनाने में जुटे हैं। वहीं, बिजली सज्जा का काम नंदी इलेक्ट्रिक को दिया गया है। उपाध्यक्ष ने बताया कि बिजली की बचत के मद्देनजर ज्यादा से ज्यादा एलईडी लाइट लगाई जाएगी और कुछ स्थानों पर सोलर लाइट (सौर ऊर्जा) का प्रयोग किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि कमिटी हर वर्ष नई थीम और नई सोच के साथ पूजा आयोजित करती है। बीते साल यानी 2010 में मुगल इतिहास, 2009 में दक्षिण भारतीय मंदिर, 2008 में लोहे की जाल व स्प्रिंग, 2007 में नौका (बजरा), 2006 में महाभारत का रथ, 2005 में कुश, 2004 में काली सुराई, 2003 में बद्रीनाथ धाम और 2002 में 108 दुर्गा का पंडाल बना कर पूजा कमिटी के कई पुरस्कार जीते हैं। जायसवाल के मुताबिक पूजा कमिटी को बिगत में सीईएससी, द टेलीग्राफ, बीएसएनएल, ईटीवी बांग्ला, जामिनी साड़ी, दूरदर्शन कोलकाता, रोटरी क्लब और आनंद बाजार पत्रिका सम्मान मिल चुका है।

कांच की कला में दिखेंगे दुर्गा के 16 रूप

शंकर जालान





कोलकाता। विवेकानंद रोड और अमहर्स्ट स्ट्रीट के मुहाने पर मानिकतला-चलताबागान लोहापट््टी दुर्गा पूजा कमिटी के पूजा पंडाल में इस बार दर्शनार्थियों को कांच की कलाओं को बीच देवी दुर्गा के सोलह रूप दिखेंगे।
पूजा कमिटी के चेयरमैन संदीप भूतोड़िया और उपाध्यक्ष अशोक जायसवाल ने बताया कि 20 फीट चौड़े, 80 फीट लंबे और करीब 45 फीट ऊंचे पंडाल के पूर्व मेदिनीपुर कांथी के सुतनु माइती की परिकल्पना से बनाया जा रहा है। जायसवाल के मुताबिक करीबन 70 कारीगर बीते तीन महीने से पंडाल के लिए कांच के भाड़, कांच के गिलास, कांच की प्लेट, कांच की चूड़ियों से सजावट की सामग्री बने में जुटे हैं।
उन्होंने बताया कि चलता बागान के पूजा पंडाल में आने वाले लोगों को कांच से बनी दुर्गा के नारायणी, अंबिका व गौरी समेत कुल 16 रुप दिखेंगे। इसके अलावा दर्शक कांच की बारीक कला को भी निहार सकेंगे।
जायसवाल के मुताबिक 30 सितंबर को कई जाने माने व विशिष्ठ व्यक्तियों की मौजूदगी में पूजा पंडाल का उद्घाटन होगा और पूजा संपन्न होने के बाद आठ अक्तूबर को नम आंखों से मां दुर्गा समेत गणेश, कार्तिक, लक्ष्मी और सरस्वती को विदाई दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि जितेंद्र चंद्र पाल और बादल चंद्र पाल चतला बागान के पूजा पंडाल के लिए देवी दुर्गा के प्रतिमा बनाने में जुटे हैं। वहीं, बिजली सज्जा का काम नंदी इलेक्ट्रिक को दिया गया है। उपाध्यक्ष ने बताया कि बिजली की बचत के मद्देनजर ज्यादा से ज्यादा एलईडी लाइट लगाई जाएगी और कुछ स्थानों पर सोलर लाइट (सौर ऊर्जा) का प्रयोग किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि कमिटी हर वर्ष नई थीम और नई सोच के साथ पूजा आयोजित करती है। बीते साल यानी 2010 में मुगल इतिहास, 2009 में दक्षिण भारतीय मंदिर, 2008 में लोहे की जाल व स्प्रिंग, 2007 में नौका (बजरा), 2006 में महाभारत का रथ, 2005 में कुश, 2004 में काली सुराई, 2003 में बद्रीनाथ धाम और 2002 में 108 दुर्गा का पंडाल बना कर पूजा कमिटी के कई पुरस्कार जीते हैं। जायसवाल के मुताबिक पूजा कमिटी को बिगत में सीईएससी, द टेलीग्राफ, बीएसएनएल, ईटीवी बांग्ला, जामिनी साड़ी, दूरदर्शन कोलकाता, रोटरी क्लब और आनंद बाजार पत्रिका सम्मान मिल चुका है।

Thursday, September 15, 2011

कमरा शिक्षा विभाग का, कब्जा सुरक्षा बलों का

शंकर जालान




प्रदेश की नवगठित सरकार एक ओर जहां सरकारी कार्यालयों में कार्य संस्कृति
को पैदा करने की वकालत कर रही है, वहीं दूसरी ओर जंगल महल में तैनात
सुरक्षा बलों को सरकारी कार्यालयों में ठहराए जाने से कामकाज बाधित हो
रहा है। ऐसे ही कार्यालयों में शामिल हैं पश्चिम मेदिनीपुर जिलांतर्गत
झाड़ग्राम तहसील के झाड़ग्राम शहर स्थित शिक्षा विभाग से संबंधित दो एसआइ
दफ्तर। झाड़ग्राम प्रखंड में शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रहे
घोड़ाधाड़ा स्थित पश्चिम चक्र के एसआइ कार्यालय व राज कॉलेज कॉलोनी स्थित
पूर्व चक्र एसआइ कार्यालय में नवंबर 2009 तक सामान्य कामकाज चल रहा था।
2009 दिसंबर में माओवादी समस्या से मुकाबले के लिए पहुंचे सुरक्षा बलों
को उक्त कार्यालयों में ठहराया गया। इसके साथ ही उक्त दोनों एसआइ
कार्यालयों को झाड़ग्राम बीडीओ कार्यालय के एक कमरे में स्थानांतरित कर
दिया गया है। इसके बाद से ही उक्त विभाग का कामकाज पर्याप्त स्थान व
संसाधनों के अभाव में बाधित हो रहा है। पूर्व चक्र के एसआइ नवेंदु विकास
गिरि व पश्चिम चक्र के एसआइ शुभाशीष मित्र कहते हैं कि उक्त दोनों
कार्यालयों में 28 सामान्य कर्मी, दो एसआइ व एक विशेष अधिकारी मिलाकर कुल
31 लोग सेवारत हैं। यहां से प्रखंड के 146 प्राथमिक विद्यालयों व 37 उच्च
विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था के साथ ही शिक्षकों व पैरा टीचरों का
वेतन, अवकाश प्राप्त शिक्षकों व कमिर्यों की पेंशन, सर्व शिक्षा अभियान
का संचालन व दोपहर का भोजन योजना संबंधी क्रियान्वयन संचालित होता है।
आवंटित स्थल पर सभी कमर्चारियों को बैठने व कागजात रखने की सुविधा ही
नहीं मिल पा रही है तो कामकाज कैसे पूरा होगा। इस बाबत उच्चाधिकारियों का
ध्यानकर्षण करने के बावजूद कोई लाभ नहीं हुआ। पश्चिमांचल विकास मंत्री
डॉ. सुकुमार हांसदा ने भी जून माह में उक्त कार्यालय से संबंधित समस्याओं
को भी देखा था। जिला प्राथमिक विद्यालय संसद के चेयरमैन सपन मुर्मू भी
समस्या को स्वीकार करते हैं।

दुर्गापूजा - महंगाई की मार से त्रस्त मूर्तिकार

शंकर जालान




पश्चिम बंगाल के मुख्य पर्व पांच दिवसीय दुर्गोत्सव के लिए दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, गणेश व कार्तिक की मूर्तियों के निर्माण में जुटे उत्तर कोलकाता स्थित कुम्हारटोली के मूर्तिकार इस बार महंगाई से त्रस्त हैं। इसके अलावा मजदूर व मेघ (बारिश) ने भी मूर्तिकारों की परेशानियों में इजाफा किया है। मूर्तिकारों ने शुक्रवार को बताया कि उन्हें इनदिनों बारिश का भय सता रहा है। इस कारण वे सही ढंग से अपना काम नहीं कर पा रहे हैं। एकचाल (एक साथ पांचों मूर्ति) के मूर्ति बनाने वाली महिला मूर्तिकार चायना पाल ने बताया कि बारिश के दौरान उन्हें अन्य मूर्तिकारों की तरह पॉलीथीन के नीचे काम करना पड़ता है। वे बताती हैं कि इस बार वे कुल 32 मूर्तियां बना रही हैं। अब तक दस प्रतिमाओं के आर्डर मिले चुके हैं। पाल ने बताया कि जगह की कमी व बारिश के दौरान उन्हें काम करने में काफी असुविधा हो रही है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार की ओर से मूर्तिकारों के लिए कोई सुविधा नहीं मिलने के कारण यह समस्या प्रतिवर्ष रहती है। उन्होंने मांग की कि इस समस्या के समाधान के लिए शहर में मूर्तिकारों के लिए एक जगह आबंटित की जानी चाहिए, जिससे वहां पर मूर्तिकार अपना काम कर सकें।
चंदन दास नामक मूर्तिकार ने शुक्रवार से कहा कि उनके पास छोटी-बड़ी 15 प्रतिमाओं के निर्माण का आर्डर है। हालांकि महंगाई और बारिश के कारण काफी काम बाधित हुआ है। समयपर काम पूरा करने के लिए बारिश के दौरान पॉलीथीन लगाकर काम करना पड़ रहा है। एक मूर्तिकार ने बताया कि पांच दिनों तक धूमधाम से मनाए जाने वाले पश्चिम बंगाल के विश्व प्रसिद्ध दुर्गापूजा उत्सव क लिए मूर्तियां गढ़ने वाले मूर्तिकार इस बार महंगाई, मजदूर व बारिश की मार से पीड़ित हैं। मूर्तिकार बासुदेव रुद्र ने बताया कि कच्चे माल की कीमत पिछले साल की तुलना में
दोगुनी हो चुकी है। मूर्ति बनाने में काम आने वाली हर एक वस्तु की कीमत आसमान छू रही है। उन्होंने बताया कि मूर्ति बनाने के लिए प्रमुख रूप से बांस, बिचाली, रस्सी, मिट्टी, रंग, नकली बाल और कपड़ों की जरूरत होती है।
रुद्र कहते हैं- बीते कुछ महीनों में बांस समेत मूर्ति निर्माण के काम आने वाली अन्य चीजों की कीमत में बहुत तेजी से इजाफा हुआ है। उन्होंने बताया कि बीते साल जिस बांस की कीमत 25 से 30 रुपए हुआ करती थी, आज उसकी
कीमत 45 से 60 रुपए तक पहुंच चुकी है।
कालीपद दास नामक मूर्तिकार बताते हैं कि मंदी के कारण दुर्गापूजा आयोजन समितियों का बजट भी काफी कम हो गया है। उनके शब्दों में मंदी के कारण लोग अपने बजट में कटौती कर रहे हैं। जो आयोजक कभी 20 फुट ऊंची मूर्ति बनाने के लिए आर्डर देते थे। इस साल उन्होंने 12 से 15 फीट की मूर्ति का ही आर्डर दिया है। वे कहते हैं कि महंगाई के साथ-साथ मजदूरों की कमी और बीते दो दिनों से हो रही लगातार बारिश ने उनके लिए आग में घी डालने का काम
किया है। दास ने बताया कि बीते साल 80 से एक सौ रुपए के बीच देहाड़ी मजदूर मिल जाते थे, लेकिन इस वर्ष रोजाना डेढ़ सौ रुपए देने पर भी मनमाफिक और इस काम के जानकार मजदूर नहीं मिल रहे हैं, लिहाजा वे कई आयोजकों का आर्डर नहीं ले पा रहे हैं।
बासठ वर्षीय साल अरुण पाल नामक मूर्तिकार को इनदिनों नींद नहीं आ रही है। वे कहते हैं कि २७ सितंबर से महालया और २ अक्तुबर से पूजा आरंभ होगी। इस बीत उन्हें २२ प्रतिमाओं को फाइनल टच देना है। लेकिन मुसीबत यह है कि कुम्हारटोली में मजदूर नहीं दिख रहे हैं। उन्होंने बताया कि मनरेगा की वजह से मजदूरों ने अलग राह पकड़ ली है। इस बात से दुखी वे कहते हैं कि 'मैने इस साल ६ मजदूर रखे हैं और उन्हें भोजव व आवास की सुविधा के साथ रोजाना एक हजार रुपए दे रहा हूं। पाल ने बताया कि बीते साल उन्होंने साढे़ तीन सौ रुपए रोज पर मजदूर रखे थे। यही हालत कुम्हारटोली के ज्यादातर मूर्तिकारों की है। हर मूर्तिकार सात सौ से एक हजार रुपए के बीच प्रतिदिन की मजदूरी दे रहा है, जबकि पिछले साल इन लोगों से ३५०-४०० रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया था।
कुम्हारटोली मृदशिल्पी समिति के अध्यक्ष निमाई चंद्र पाल कहते हैं कि 'मजदूरों की संख्या ४० प्रतिशत तक कम है। इससे हमारे उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है और हम और ज्यादा ऑर्डर नहीं ले रहे हैं। हम अभी इस बात को लेकर
ही चिंतित हैं कि वर्तमान ऑर्डर किस तरह से पूरे किए जाएं। अगर पिछले साल किसी ने 35 ऑर्डर लिए थे तो वह इस साल 20 मूर्तियों की परियोजना पर काम कर रहा है। साथ ही उन्होंने कच्चे माल की बढ़ी कीमतों को भी लेकर चिंता जताई, जिसे आखिर में खरीदारों पर ही डालना है। बांस, सीसे, पेंट्स और पिथ की कीमतों में पिछले साल की तुलना में ३० प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
कुम्हारटोली मृदशिल्पी समिति के सचिव मोंटू पाल ने कहा कि इस साल मैं सिर्फ 2 मूर्तियां ही विदेश भेज रहा हूं। एक कैंब्रिज जा रही है और दूसरी ऑस्ट्रेलिया। हर साल मैं ज्यादा मूर्तियां बेचता हूं, लेकिन इस साल ऑर्डर
ज्यादा मिले हैं। मुनाफे में भी 15-20 प्रतिशत की कमी आई है।
मालूम हो कि पश्चिम बंगाल में रहने वाले हर परिवार को दुर्गा पूजा का इंतजार रहता है। पूजा के मौके पर शहर में हर तरफ उत्सव का माहौल छा जाता है जिससे यहां की रौनक में चार चांद लग जाते हैं। लोगों को इसका इंतजार तो है ही साथ ही यहां दुर्गा पूजा के मौके पर निकलने वाली ढेर सारी पत्रिकाओं का भी लोगों को
बेसब्री से इंतजार है।
इसी तरह यंग ब्यावज क्लब के प्रमुख राकेश सिंह बताते हैं कि महंगाई के कारण मूर्तियों की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है। साथ ही पंडालों को तैयार करने में भी ज्यादा खर्च आ रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले साल जिस पंडाल को बनाने में पांच लाख रुपए खर्च हुए थे। इस साल वैसा पंडाल बनाने में आठ लाख रुपए की लागत आ रही है। साथ ही पिछले साल हमने जिस आकार की मूर्ति जिस कीमत पर ली थी। इस बार मूर्तिकार लगभग वैसी मूर्ति के लिए 50 हजार रुपए अतिरिक्त मांग रहे हैं।

दुर्गापूजा में दिखेगी टेराकोटा की झलक

शंकर जालान




कोलकाता, दुर्गापूजा के दौरान इस बार दर्शनार्थियों को कहीं टेराकोटा की झलक दिखेगी, तो कभी छोटी-बड़ी आकार की हजारों कठपुतलियां। दक्षिण कोलकाता के कालीघाट श्री संघ का पूजा पंडाल कठपुतलियों पर केंद्रित होगा। वहीं मध्य कोलकाता के विप्लवी अनुकूल चंद्र स्ट्रीट के पूजा मंडप में टेराकोटा की झलक दिखेगी।
श्री संघ के एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि इस बार पूजा पंडाल को कठपुतलियों से सजाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि करीब 80 कारीगर बीते सवा महीने से श्री संघ के पंडाल के लिए छोटी-बड़ी आकार की कठपुतलिया बनाने में जुटे हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि पंडाल और उसके आसपास करीब चार हजार कठपुतलियों को रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि पांच इंच से 14 फीट लंबी रंग-बिरंगी पंडाल को पूजा धूमने आए लोग देख पाएंगे।
वहीं, मध्य कोलकाता के विप्लवी अनुकूल चंद्र स्ट्रीट में नागरिक कल्याण समिति के बैनर तले इस बार टेराकोटा की थीम पर पूजा आयोजित की जा रही है। कमिटी के सचिव दिनेश जायसवाल ने बताया कि इससे पहले उनकी कमिटी ने स्टील के बर्तन का पंडाल, जोधपुर स्थित मंदिर और सहज पथ की थीम पर पूजा आयोजित कर चुकी है।
उन्होंने बताया कि कलाकार आशुतोष शी की परिकल्पना पर मेदिनीपुर के कंटाई स्थित कुसुमोनी डेकोरेटर की दर्जनों कारीगर पंडाल बनाने में जुटे हैं। वहीं, प्रतिमा बनाने का काम मूर्तिकार जयदेव बक्र कर रहे हैं। जायसवाल ने बताया कि बिजली सज्जा की जिम्मेवारी बापी इलेक्ट्रिक को दी गई है।
उन्होंने बताया कि कमिटी पूजा आयोजित करने के साथ-साथ कई तरह के सेवा मूलक काय4 भी करती है। उन्होंने बताया कि कमिटी में करीब 25 सौ कारोबारी है, जो बिजली उपकरण व पंखा का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि कमिटी वेलिंग्टन व्यवसायी वृंद के बैनर तले सेवामूलक कार्यों को अमलीजामा पहनाती है।
उन्होंने बताया कि तीस फीट लंबे, तीस फीट चौड़े और चालीस फीट ऊंचे बांकुड़ा, बिष्णुपुर व कृष्णनगर की लाल मिट््टी से बने पंडाल का उद्घाटन 30 सितंबर को श्यामल सेन, सौमेन मित्र व सुदीप बंद्योपाध्याय की उपस्थिति में होगा। उन्होंने बताया कि विधि-विधान के पूजा अर्चना करने के बाद सात अक्तूबर को प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा।
बजट के बारे में उन्होंने बताया कि इस साल करीब 12 लाख का बजट निर्धारित किया गया है। पूजा पंडाल में आए लोगों को पंडाल, प्रतिमा व बिजली सज्जा में गजब सा समानता देखने को मिलेगी। उन्होंने कहा- जमाना एकरुपता का है। इस बात पर पूरा ध्यान रखा जा रहा है। पंडाल के साथ-साथ प्रतिमा ऐसी लगेगी मानो इसे बनाने में लाल मिट््टी का इस्तेमाल किया गया हो। उन्होंने बताया कि चेयरमैन रतन अग्रवाल, अध्यक्ष जगनाथप्रसाद साव, कोषाध्यक्ष दयानंद जायसवाल समेत कमिटी के कई सदस्य पूजा आयोजन को सफल बनाने में जुटे हैं।

Wednesday, September 14, 2011

राजस्थान की थीम पर बंगाल में पूजा

शंकर जालान





कोलकाता, बीते कुछ सालों से दुर्गापूजा किसी ने किसी थीम पर आधारित होने लगी है। ज्यादातर पूजा कमिटियां विशेष थीम पर पूजा आयोजित कर खूब वाह-वाही लूट रही है। दक्षिण, मध्य और उत्तर कोलकाता की कुछ पूजा इतनी चर्चित हो गई हैं, कि उनमें दर्शनार्थियों की भारी देखी जाती है। उन्हीं चर्चित पूजाओं में से एक है- दक्षिण कोलकाता स्थित त्रिधारा सम्मिलनी की दुर्गा पूजा। मनोहरपुकुर रोड और रास बिहारी एवेन्यू के संगमस्थल पर आयोजित होनी वाली पूजा इस बार राजस्थान की थीम पर आधारित है। संस्था के अध्यक्ष डॉ. अनुपम दासगुप्ता व सचिव देवाशीष कुमार ने बताया कि संस्था के बैनर तले पूजा आयोजन के अलावा कई तरह के सेवामूलक कार्य भी किए जाते हैं।
संस्था के एक अन्य सदस्य लालटू मुखर्जी ने बताया कि इस बार भव्य रुप में राजस्थान को ध्यान में रखकर पूजा आयोजित की जा रही है। इसलिए पूजा पंडाल का उद्घाटन भी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत करेंगे। इसके अलावा उद्घाटन के मौके पर राजस्थान सरकार के कई मंत्री व राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष भी उपस्थित रहेंगे।
मुखर्जी के मुताबिक संस्था के सदस्यों की सहमति से इस बार थीम के रुप में राजस्थान का चयन किया गया। उन्होंने बताया कि दीपक घोष की परिकल्पना पर सैंकड़ों कारीगर पंडाल निर्माण में जुटे हैं। उन्होंने बताया कि पंडाल को राजस्थानी हवेली का आकार दिया जा रहा है। उन्होंने कहा- हमारे पंडाल में आने वाले दर्शनार्थियों को ऐसा महसूस होगा कि वे बंगाल में नहीं राजस्थान की धरती पर हैं।
मुखर्जी ने जनसत्ता को बताया कि 65 सालों से यहां पूजा आयोजित होती आ रही है और इस बार पूजा पंडाल का उद्घाटन 30 सितंबर को होगा और इसके ठीक सात दिन बाद यानी छह अक्तूबर को मां दुर्गा को विदाई दी जाएगी।
मुखर्जी ने बताया कि मूर्तिकार बबलू बनिक त्रिधारा सम्मिलनी के पूजा पंडाल के लिए मां दुर्गा समेत गणेश, कार्तिक, लक्ष्मी व सरस्वती की प्रतिमा बनाने में जुटे हैं। उन्होंने बताया कि हमारे पूजा पंडाल में आए दर्शनार्थियों को अंबा के रूप में मां दुर्गा के दर्शन होंगे। उन्होंने बताया कि सीताराम शर्मा को चेयरमैन और राम अवतार पोद्दार, संतोष सराफ व विपीन कुमार वोहर को उपाध्यक्ष बनाया गया है।
उन्होंने बताया कि दुर्गोत्सव के दौरान राजस्थानी कला-संस्कृति की झलक, राजस्थानी खानपान की व्यवस्था तो रहेगी ही साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि पूजा आयोजन में कलकत्ता हाई कोर्ट, कोलकाता नगर निगम, दमकल विभाग और कोलकाता पुलिस के निर्देशों को पूरी तरह ध्यान में रखा जा रहा है, ताकि पूजा घूमने आए लोगों को किसी तरह की कोई परेशानी ने हो।

Monday, September 12, 2011

स्वर्ग लोक में होंगे दुर्गा के दर्शन

शंकर जालान





कोलकाता। मध्य कोलकाता के बड़तला स्ट्रीट स्थित बड़ाबाजार सार्वजनिक
दुर्गोत्सव कमिटी (जौहरी पट््टी) के पूजा पंडाल इस बार काल्पनिक मंदिर की
तर्ज पर बन रहा है और मंडप जहां, दुर्गा विराजेगी उसे स्वर्ग लोक जैसा
बनाया जा रहा है। आड़ी बांसतला और बड़तला स्ट्रीट के संगमस्थल पर 1944 से
दुर्गा पूजा का आयोजन होता आ रहा है। पूजा कमिटी के सचिव मनोज चांदगोठिया
ने बताया कि 65 साल पहले स्थानीय लोगों ने छोटे रुप में पूजा आयोजन की
शुरुआत की थी, जो समय के साथ-साथ बदलते हुए इलाके की श्रेष्ठतम पूजा में
शुमार हो गई है। चांदगोठिया ने बताया कि हर साल पूजा के पहले नई कमिटी का
गठन किया जाता है और पूजा आयोजन की पूरी जिम्मेवारी कमिटी के
पदाधिकारियों व सदस्यों पर होती है। उनके मुताबिक उस साल बनवारीलाल शर्मा
को चेयरमैन, पवन सराफ को अध्यक्ष, नरेश शर्मा व पंकज सोनकर को संयुक्त
सचिव और नवीन सराफ व अनिस लखोटिया को कोषाध्यक्ष बनाया गया है। सचिव ने
बताया कि 1980 से 1990 तक जौहरी पट््टी के पूजा पंडाल में बिजली चालित
आयोजित की गई थी। इन दस सालों में हमने बीते साल की बड़ी घटना को दर्शाया
था। पनडूबी, ग्लोब और रॉकेट पर आधारित बिजली चालित पूजा को देखने के लिए
दर्शनार्थियों की भारी भीड़ लगी थी, जिसका विपरीत असर ट्रैफिक व्यवस्था पर
पड़ता था और सड़क पर घंटों जाम लग जाता था। पुलिस और प्रशासन के अनुरोध
कमिटी से बिजली चालित पूजा बंद की और तब से यहां राजस्थानी रूप में पूजा
आयोजित की जाने लगी। इस बार की प्रतिमा, पंडाल और बिजली सज्जा का जिक्र
करते हुए चांदगोठिया ने बताया कि 35 फीट ऊंचे, 20 फीट चौड़े और 35 फीट
मंदिर नुमा पंडाल को मॉडर्न डेकोरेटर के कारीगर तैयार कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि पंडाल का बाहरी हिस्सा मंदिर जैसा और भीतरी हिस्सा
स्वर्ग लोक जैसा होगा। मूर्तिकार परेश पाल को प्रतिमा और एनके इलेक्ट्रिक
को बिजली सज्जा की जिम्मेवारी दी गई है। परेश पाल राजस्थानी परिधान में
मां दुर्गा समेत गणेश, कार्तिक, लक्ष्मी व सरस्वती की प्रतिमा बनाने में
जुटे हैं। जौहरी पट््टी के पंडाल में सटीक राजधानी भूषभूसा में महिषासुर
का बध करती नजर आएगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि पूजा पंडाल
का उद्घाटन महाषष्ठी (दो अक्टूबर) और प्रतिमा का विसर्जन एकादशी (सात
अक्टूबर) को होगा। उद्घाटन कौन करेगा? इसका जवाब देते हुए उन्होंने बताया
कि चूंकि जौहरी पट््टी की पूजा मोहल्लावासी और जौहरियों की पूजा है।
इसलिए कमिटी स्थानीय किसी बुजुर्ग व्यक्ति से उद्घाटन कराती है।

स्वर्ग लोक में होंगे दुर्गा के दर्शन

शंकर जालान





कोलकाता। मध्य कोलकाता के बड़तला स्ट्रीट स्थित बड़ाबाजार सार्वजनिक
दुर्गोत्सव कमिटी (जौहरी पट््टी) के पूजा पंडाल इस बार काल्पनिक मंदिर की
तर्ज पर बन रहा है और मंडप जहां, दुर्गा विराजेगी उसे स्वर्ग लोक जैसा
बनाया जा रहा है। आड़ी बांसतला और बड़तला स्ट्रीट के संगमस्थल पर 1944 से
दुर्गा पूजा का आयोजन होता आ रहा है। पूजा कमिटी के सचिव मनोज चांदगोठिया
ने बताया कि 65 साल पहले स्थानीय लोगों ने छोटे रुप में पूजा आयोजन की
शुरुआत की थी, जो समय के साथ-साथ बदलते हुए इलाके की श्रेष्ठतम पूजा में
शुमार हो गई है। चांदगोठिया ने बताया कि हर साल पूजा के पहले नई कमिटी का
गठन किया जाता है और पूजा आयोजन की पूरी जिम्मेवारी कमिटी के
पदाधिकारियों व सदस्यों पर होती है। उनके मुताबिक उस साल बनवारीलाल शर्मा
को चेयरमैन, पवन सराफ को अध्यक्ष, नरेश शर्मा व पंकज सोनकर को संयुक्त
सचिव और नवीन सराफ व अनिस लखोटिया को कोषाध्यक्ष बनाया गया है। सचिव ने
बताया कि 1980 से 1990 तक जौहरी पट््टी के पूजा पंडाल में बिजली चालित
आयोजित की गई थी। इन दस सालों में हमने बीते साल की बड़ी घटना को दर्शाया
था। पनडूबी, ग्लोब और रॉकेट पर आधारित बिजली चालित पूजा को देखने के लिए
दर्शनार्थियों की भारी भीड़ लगी थी, जिसका विपरीत असर ट्रैफिक व्यवस्था पर
पड़ता था और सड़क पर घंटों जाम लग जाता था। पुलिस और प्रशासन के अनुरोध
कमिटी से बिजली चालित पूजा बंद की और तब से यहां राजस्थानी रूप में पूजा
आयोजित की जाने लगी। इस बार की प्रतिमा, पंडाल और बिजली सज्जा का जिक्र
करते हुए चांदगोठिया ने बताया कि 35 फीट ऊंचे, 20 फीट चौड़े और 35 फीट
मंदिर नुमा पंडाल को मॉडर्न डेकोरेटर के कारीगर तैयार कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि पंडाल का बाहरी हिस्सा मंदिर जैसा और भीतरी हिस्सा
स्वर्ग लोक जैसा होगा। मूर्तिकार परेश पाल को प्रतिमा और एनके इलेक्ट्रिक
को बिजली सज्जा की जिम्मेवारी दी गई है। परेश पाल राजस्थानी परिधान में
मां दुर्गा समेत गणेश, कार्तिक, लक्ष्मी व सरस्वती की प्रतिमा बनाने में
जुटे हैं। जौहरी पट््टी के पंडाल में सटीक राजधानी भूषभूसा में महिषासुर
का बध करती नजर आएगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि पूजा पंडाल
का उद्घाटन महाषष्ठी (दो अक्टूबर) और प्रतिमा का विसर्जन एकादशी (सात
अक्टूबर) को होगा। उद्घाटन कौन करेगा? इसका जवाब देते हुए उन्होंने बताया
कि चूंकि जौहरी पट््टी की पूजा मोहल्लावासी और जौहरियों की पूजा है।
इसलिए कमिटी स्थानीय किसी बुजुर्ग व्यक्ति से उद्घाटन कराती है।

Sunday, September 11, 2011

कहीं अण्णा तो कही अन्नपूर्णा के रुप में दिखेगी दुर्गा

शंकर जालान

दुर्गा पूजा में अब तीन सप्ताह शेष रह गए हैं। उत्तर कोलकाता के कुम्हारटोली के मूर्तिकार मां दुर्गा समेत सरस्वती, लक्ष्मी, गणेश व कार्तिक की प्रतिमा बनाने में जुटे हैं। यहां के मूर्तिकार इनदिनों युद्धस्तर पर विभिन्न तरह की मूर्ति गढ़ने में व्यस्त है। कोई मूर्तिकार अण्णा हजारे की इलक तो कोई राक्षस विहीन मूर्ति बना रहा है। कोई अन्नपूर्णा के रुप में तो कई पांच शेरों वाली प्रतिमा बनाने में जुटा है। कोई एक सौ आठ भुजा वाल तो कई नवदुर्गा की प्रतिमा को अंतिम रूप दे रहा है।
मूर्तिकारों का कहना है कि पांच दिवसीय दुर्गोत्सव की तैयारी में मोटे तौर पर वे पांच महीने पहले से लग जाते हैं। मूर्तिकारों के मुताबिक विसर्जन यानी विजया दशमी के बाद से ही वे अगले साल के लिए प्रतिमा निर्माण के बारे में सोचने लगते हैं।
चायना पाल नामक एक महिला मूर्तिकार ने बताया कि कुछ मूर्तियां का निर्माण वे अपनी कल्पना से करती हैं और कुछ आयोजकों की मांग के मुताबिक। एक अन्य मूर्तिकार ने बताया कि जमाना एकरुपता का है, इसलिए कई आयोजक पंडाल व बिजली सज्जा के अनुरुप मूर्ति बनवाते हैं। वे कहते हैं - जो मूर्ति आयोजकों की मांग पर बनती है उनमें वे खुल कर अपनी प्रतिभा नहीं दिखा पाते, क्योंकि मूर्ति की लंबाई, चौड़ाई व रंग आदि का निर्णय आयोजक लेते हैं।
मूर्तिकार मुरली पाल ने बताया कि एकरुपता देखने में अच्छी लगती है। इसलिए मूर्ति निर्माण में कुछ कमी रह जाती है तो उसे दर्शनार्थी समझ नहीं पाते। उन्होंने कहा कि अगर आयोजकों की बंदिश ने हो तो मूर्तिकार और बेहतर तरीके से अपनी कारीगरी का नमूना पेश कर सकता है। पाल ने कहा- आयोजकों की मांग के मुताबिक जो मूर्तियां बनाई जाती है, बेशक उसकी कीमत उन्हें अधिक मिलती है। आधा से अधिक भुगतान महालया के पहले ही मिल जाता है। उन्होंने बताया कि जो मूर्तियां वे अपनी कल्पना के आधार पर बनाते हैं उसमें स्वतंत्र रुप से कलाकारी की छूट रहती है। हालांकि ऐसी प्रतिमा को बेचने और फिर उसका भुगतान वसूलने में उन्हें काफी दिक्कत होती है।
मूर्तिकारों के संगठन के एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि इस वर्ष कुम्हारटोली में करीब सात सौ मूर्तियां बनाई जा रह है। इनमें लगभग आधी यानी ३५० मूर्तियां को विभिन्न पूजा कमिटियों ने अग्रिम राशि देकर बुक कर लिया है। उन्होंने बताया कि इस बार करीब ९० प्रतिमा आयोजकों की मांग और उनकी थीम के मुताबिक बनाई जा रही है। शेष करीब छह सौ मूर्तियों को यहां के मर्तिकारों ने अपनी सोच व कल्पना के आधार पर गढ़ा है।
उन्होंने बताया कि इस साल प्रतिमाओं में अण्णा इफेक्ट अधिक है। इसके अलावा राक्षस विहीन, पांच शेरों वाली, अन्नपूर्णा, नवदुर्गा, १०८ भुजा वाली प्रतिमा भी बनाई जा रही है।
अण्णा हजारे की इलक वाली समेत करीब १५ प्रतिमा बनाने में जुटे रुद्र पाल ने बताया कि अण्णा इफेक्ट की मूर्ति गढ़ने का मुख्य उद्देश्य भ्रष्टाचार मुक्त भारत का निर्माण है। उन्होंने बताया कि मेरी सोच थी कि ऐसी मूर्ति गढ़ी जाए जो भारत की ज्वलंत समस्या को उजागर करें। उन्होंने बताया कि मेरे लिए खुशी की बात यह है कि सबसे पहले इसी मूर्ति को एक पूजा कमिटी ने बुक करवाया। यह पूछे जाने पर कि किस पूजा कमिटी ने यह प्रतिमा बुक कराई है और कहां के पंडाल में इसे रखा जाएगा? इसका जवाब देने से उन्होंने इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह गोपनीयता के नजरिए से ठीक नहीं है।
इसी तरह पांच शेरों वाली मूर्ति बनाने में जुटे कृष्णा पाल ने बताया कि बीते साल उन्होंने तीन शेर वाली प्रतिमा बनाई थी। वह मूर्ति अच्छी कीमत पर बिकी। उसी से प्रेरित होकर मैंने इस बार पांच शेर वाली प्रतिमा बनाने की ठानी। इसी प्रकार सनातन पाल १०८ भुजा वाली, रामचरण पाल अन्नपूर्णा स्वरुपा और बद्रीनाथ एकरंगी प्रतिमा बनाने में जुटे हैं।

Saturday, September 10, 2011

दक्षिणेश्वर में होंगे दुर्गा के दर्शन

शंकर जालान




कोलकाता, मां काली के प्रसिद्ध मंदिर यानी दक्षिणेश्वर की आकृति के पूजा पंडाल में इस बार दर्शकों को देवी दुर्गा के दर्शन होंगे। सिंघी पार्क सार्वजनीन दुर्गा पूजा कमिटी की ओर से इस बार दक्षिणेश्वर मंदिर की तर्ज पर पूजा पंडाल बनाया जा रहा है। पूजा के कमिटी के संयुक्त सचिव भास्कर नंदी ने बताया कि मेदिनीपुर के शुतानु माइती के देखरेख व मार्गदर्शन में सैंकड़ों कारीगर पंडाल के अंतिम रूप देने में जुटे हैं। उन्होंने बताया कि इस बार पूजा कमिटी का बजट करीब चालीस लाख रुपए हैं और पूजा पंडाल का उद्घाटन महापंचमी (एक अक्तूबर) को होगा। इस मौके पर कई जानेमाने लोग बतौर अतिथि मौजूद रहेंगे।
माइती ने बताया कि उनके पंडाल में आने लोगों को पारंपरिक रुप यानी एक चाल में देवी दुर्गा समेत लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश व कार्तिक के दर्शन होंगे। उन्होंने बताया कि मोहनवासी रुद्र पाल और प्रदीप रुद्र पाल सिंघी पार्क के पूजा पंडाल के लिए 22 फीट ऊंची प्रतिमा निर्माण में जुटे हैं।
उन्होंने बताया कि बिजली सज्जा की जिम्मेदारी हुगली जिला स्थित चंदननगर के पिंटू चक्रवर्ती को दी गई है। संयुक्त सचिव के मुताबिक बिजली सज्जा पर्यावरण आधारित होगी और बिजली के बचत के मद्देनजर ज्यादा से ज्यादा एलईडी लाइट का प्रयोग किया जाएगा।
माइती ने बताया कि उनकी कमिटी पारंपरिक पूजा आयोजित करने में विश्वास रखती है। उन्होंने बताया की थीम के नाम पर पारंपरिक पूजा से खिलवाड़ उनकी कमिटी के किसी सदस्यों को नहीं भाता। उन्होंने बताया कि कलकत्ता उच्च न्यायालय, नगर निगम और पुलिस के सभी नियमों का पालन किया जा रहा है, ताकि आने वाले दर्शकों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो। उन्होंने बताया कि दर्शकों की भारी भीड़ के मद्देनजर 14 फीट बटा 12 फीट के प्रवेश व निष्कान द्वार बनाए गए हैं। इनके अलावा पंडाल परिसर में आग से रोकथाम की माकूल व्यवस्था की जा रही है।
दूसरी ओर, साल्टलेक इलाके के विधाननगर सीके-सीएल ब्लॉक रेसिडेंट एसोसिएशन पूजा आयोजन की रजत जयंती मना रहा है। एसोसिएशन के दिव्येंदु बनर्जी ने बताया कि रजत जयंती के मद्देनजर इस बार की पूजा प्रगति (प्रोग्रेस) पर आधारित है। उन्होंने बताया कि पूर्व मेदिनीपुर के कांथी के कारीगर स्टील की जाली का भव्य पंडाल बनाने में जुटे हैं।
उनके मुताबिक तीन हजार वर्गफीट में फैले पंडाल को बनाने में पांच हजार किलो स्टील की जाली का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 35 लाख की लागत से आयोजित होने वाली पूजा पंडाल का उद्घाटन चौथ (30 सितंबर) को कई विशिष्ठ लोगों की मौजूदगी में होगा। उनके मुताबिक प्रतिमा निर्माण का काम मोहनवासी रुद्र पाल और प्रदीप रुद्र पाल को दिया गया है। दोनों मूर्तिकार अपनी सोच और कला के सहारे पंडाल और थीम से मेल खाती प्रतिमा बनाने में जुटे हैं।

Friday, September 9, 2011

मंदिर की तर्ज पर बन रहा है यंग ब्वायज क्लब का पूजा पंडाल

शंकर जालान






मध्य कोलकाता के ताराचंद दत्त स्ट्रीट में बीते 42 सालों से यंग ब्वायज क्लब के बैनर तले आयोजित होने वाली दुर्गापूजा कलात्मक प्रतिमा के लिए जानी जाती है। इस बार यहां का पूजा पंडाल दक्षिण भारत के एक प्रसिद्ध मंदिर की तर्ज पर बनाया जा रहा है। पूजा पंडाल का उद्घाटन एक अक्टूबर को होगा। इस मौके पर राजनीतिक, सामाजिक व प्रशासनिक क्षेत्र से जुड़े कई जानेमाने लोग बतौर अतिथि मौजूद रहेंगे। पूजा के मुख्य आयोजक राकेश सिंह और विक्रांत सिंह ने बताया कि देश के विभिन्न शहरों में स्थित किसी न किसी मंदिर की हू-ब-हू आकृति का पंडाल बीते कई वर्षों से बनाया जा रहा है। इसी कड़ी में इस बार दक्षिण भारत के प्रसिद्ध मंदिर की तर्ज पर भव्य व कलात्मक पंडाल बनाया जा रहा है। सिंह ने बताया कि चंद्रा डेकोरेटर्स के कई कारीगर बीते कई सप्ताह से पंडाल बनाने में जुटे हैं। उन्होंने बताया कि पंडाल की तुलना में वे चाहते हैं कि प्रतिमा अधिक कलात्मक और दर्शनीय हो।
सिंह ने बताया कि कई सालों से उल्टाडांगा के मूर्तिकार सनातन रुद्र पाल उनके पूजा पंडाल के लिए प्रतिमा बनाते आ रहे थे। 2009 में मूर्तिकार तारक पाल ने मां दुर्गा समेत गणेश, कार्तिक, लक्ष्मी व सरस्वती की मूर्ति बनाई थी। 2010 में सुबोधचंद्र पाल को प्रतिमा बनाने का जिम्मा दिया गया है। इस बार यानी 2011 में सुबोधचंद्र के साथ राजीव पाल भी प्रतिमा निर्माण में जुटे हैं। सिंह के मुताबिक एक प्लेट पर मिट््टी से बनी प्रतिमा में मूर्तिकार क्लब के सदस्यों की सोच और अपने अनुभव से ऐसी कलाकृत्ति प्रस्तुत करता है कि देखने वाले देखते ही रह जाते हैं।
बिजली सज्जा के सवाल पर विनोद सिंह ने बताया कि तारातंद दत्त स्ट्रीट के दोनों छोर (रवींद्र सरणी से चित्तरंजन एवेन्यू तक) पर बल्बों की लटकन, वृक्षों पर पर्यावरण के महत्त्व को उजागर करने के मकसद से हरी ट्यूब लाइट और पंडाल के समीप काफी संख्या में हेलोजिन लाइटें लगाई जाएंगी। सिंह ने बताया कि पंडाल के भीतर लगने वाला विशाल झूमर भी देखने लायक होगा। 2010 में बिजली सज्जा की जिम्मेवारी एसके इलेक्ट्रिक व जीके इलेक्ट्रिक के कंधे पर थी, लेकिन इस बार देबु इलेक्ट्रिक को यह काम सौंपा गया है। उन्होंने बताया कि कलात्मक प्रतिमा के लिए क्लब को कई बार विभिन्न सरकारी व गैरसरकारी संगठनों की ओर से पुरस्कत किया गया है और उनके पंडाल में रखी प्रतिमाओं को संग्रहालयों में भी भेजा गया है।

Thursday, September 8, 2011

पंडाल निर्माण का काम जोरों पर, बढ़ गई मूर्तिकारों की व्यस्तता

शंकर जालान



कोलकाता । पश्चिम बंगाल के मुख्य पर्व दुर्गापूजा में लगभग तीन सप्ताह शेष रह गया है। इस लिहाज से बड़ी-बड़ी पूजा पंडाल के निर्माण का काम जोरों पर हैं। वहीं उत्तर कोलकाता स्थित कुम्हारटोली के मूर्तिकारों को व्यस्तता बढ़ गई है। दक्षिण, मध्य और उत्तर कोलकाता की कुछ पूजा कमिटियों की ओर से आयोजित होने वाली दुर्गापूजा को देखने के लिए राज्य के विभिन्न जिलों के अलावा अन्य राज्यों से भी लोग आते हैं। इसी के मद्देनजर ये पूजा कमिटियां साज-सज्जा पर विशेष ध्यान दे रही हैं।
दक्षिण कोलकाता के अलीपुर स्थित सुरुची संघ क्लब, कालीघाट स्थित तरुण सार्वजनीन दुर्गोत्सव, बालीगंज स्थित बालीगंज सार्वजनिक दुर्गा पूजा कमिटी, मध्य कोलकाता के तारा चंद दत्त स्ट्रीट स्थित यंग ब्यावज क्लब, मोहम्मद अली पार्क स्थित यूथ एसोसिएशन, बड़तला स्ट्रीट स्थित जौहरी पट््टी सार्वजनिक दुर्गापूजा, उत्तर कोलकाता के पाथुरियाघाट स्थित पांचेर पल्ली, अरविंद सरणी स्थित सतदल और काशीपुर स्थिथ बीबी बाजार दुर्गापूजा समिति समेत कई पूजा आयोजकों की बैनर तले आयोजित होने वाली पूजा के लिए इनदिनों पंडाल निर्माण का काम जोरों पर हैं। इन पूजा पंडालों के तैयार करने पर दर्जनों कारीगर दिन-रात एक किए हुए हैं।
इस बार की पूजा थीम के बारे में बताते हुए सुरुची संघ क्लब के अरुप विश्वास ने बताया कि कश्मीर को देश का स्वर्ग कहा जाता है, लेकिन वैश्विक उष्णता (ग्लोबल वार्मिंग) से वहां का भी पर्यावरण प्रभावित हो रहा है। घाटी की बर्फ पिघल रही है और इसी कारण वहां की सुन्दरता में कमी आ रही है। इसी के ध्यान में रखते हुए सुरुची संघ क्लब ने इस बार कश्मीर को अपनी थीम बनाया है। उन्होंने बताया कि हम पंडाल घूमने आए लोगों को पंडाल सज्जा के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। उनके मुताबिक 1952 में स्थापित इस क्लब का यह 58वां वर्ष है और हर वर्ष की तरह यहां पूजा के तीन महीने पहले से की पंडाल बनाने का कार्य प्रारंभ हो जाता हैं। विश्वास ने बताया कि कश्मीर को महानगर में उतारने के लिए 135-140 कमर्चारी दिन-रात काम कर रहे है और उम्मीद है कि 26 सिंतबर (महालया) तक पंडाल निर्माण का काम पूरा हो जाएगा। उन्होंने बताया कि कश्मीर का रंग जमाने के लिए सिंकारा (नाव) के साथ ही वहां की लोक कला संस्कृति को भी प्रस्तुत करने की कोशिश की जा रही है।
वहीं, पूर्वाचल शक्ति संघ की ओर से आयोजित दुर्गापूजा की तैयारियां जोर शोर से जारी है। पंडाल निर्माण में लगे कारीगर थीम में जीवंतता लाने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। संघ के एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि मुताबिक इस बार उनकी थीम सपना है। उन्होंने बताया कि कठोर परिस्थितियों के बावजूद भी लोगों के मरे नहीं है। हर व्यक्ति उन्हें पूरा करने की कोशिश करता है। एक अन्य सदस्य नेव बताया कि एसएन मुखर्जी की देखरेखमें करीब 25 कारीगर थीम में जान डालने के लिए तल्लीन है। उन्होंने बताया कि पंडाल निर्माण छह लाख रुपए की लागत आएगी, जबकि बिजली सज्जा पर तीन लाख खर्च किया जाएगा। पूजा कमिटी के एक सदस्य ने बताया कि बीते साल पूर्वाचल शक्ति संघ ने दुर्गापूजा की थीम को बच्चों पर भी आधारित किया था। इसके तहत कविगुरू रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा बच्चों के लिए लिखे गए सहज पाठ के विभिन्न पृष्ठों को पूजा पंडाल में प्रस्तुत किया गया था।
दूसरी ओर, ज्यों-ज्यों दुर्गापूजा के दिन नजदीक आ रहे हैं, त्यों-त्यों मूर्तिकारों की व्यस्तता बढ़ गई है। मूर्तिकारों के मुताबिक अब उनके पास बिल्कुल फुसर्त नहीं है। विभिन्न पूजा कमिटियों का दवाब बढ़ रहा है और सभी चाहते हैं कि महालया (26 सितंबर) तक मूर्तियां उनके पंडाल में पहुंच जाए। रुद्र पाल नामक एक मूर्तिकार ने बताया कि दिक्कत तब आती है, जब सभी पूजा कमिटियां वाले यहीं कहते हैं कि उनक् पंडाल में मूर्ति महालया के ही दिन पहुंचे। महालया से एक दिन पहले या बाद में प्रतिमा पंडाल में पहुंचाने पर वे नाराज हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि मूर्तियां पंडाल में पहुंचने के बाद भी उनका कुछ काम बाकी रह जाता है, जिसे हमें पंडाल में जाकर पूरा करना पड़ता है।

Wednesday, September 7, 2011

विवादों में विश्वभारती

शंकर जालान



कविगुरू रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित किए गए शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय से लगता है विवादों का नाता गहरा हो गया है। पिछले साल गुरुदेव की 150वीं जयंती का समारोह शुरू होने के कुछ दिनों बाद ही तत्कालीन उपकुलपति रजतकांत राय को भ्रष्टाचार के कारण हटाने पर आंदोलन तेज होने लगा। राय के रिटायर होने के बाद उनके पद की जिम्मेदारी संभाल रहे कार्यवाहक उपकुलपति उदयनारायण सिंह भी अब विवाद में घिर गए हैं। हाल में अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान टैगोर की करीब 1500 मूल पेंटिंग्स की कापियां ले जाकर वे विवादों में घिर चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने अपने इस कार्य की जानकारी केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय या विश्वविद्यालय के किसी वरिष्ठ अधिकारी को देने की जरूरत तक महसूस नहीं की। रवीन्द्र भवन के विशेष अधिकारी नीलांजन बनर्जी ने सिंह को पत्र लिख कर उन पर यह सीधा आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया है कि टैगोर की जिन पेंटिंग्स की कापियां वे अपने साथ ले गए थे उसकी फीस भी उन्होंने नहीं अदा की। यह फीस 15 लाख के आसपास है। वहीं कार्यवाहक उपकुलपति सिंह ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि तस्वीरों की सीडी ले जाने के पीछे उनका काई व्यवसायिक मकसद नहीं था बल्कि वे टैगोर की कलाकृतियों को विदेशों में शो केस करना चाहते थे।
इसी बीच विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपित रजतकांत राय ने भी सिंह के कदम को आपत्तिजनक कहा है। सूत्रों ने दावा किया है कि कार्यवाहक उपकुलपति उदयनारायण सिंह के अमेरिका यात्रा की जानकारी केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय को नहीं थी।
मालूम हो कि मैथिली और बांग्ला के विद्वान उदयनारायण सिंह विश्वभारती विश्वविद्यालय से पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी के आग्रह पर जुड़े थे।

केंद्र हारा, किसान जीते

शंकर जालान



पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी की सहमति से राज्य के बिजली मंत्री मनीष गुप्ता ने पूर्व मेदिनीपुर जिले के हरिपुर में प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा केंद्र परियोजना को रद्द कर दिया है। ममता बनर्जी की इस घोषणा से केंद्र (केंद्रीय सरकार) जहां खुद को हारा हुआ महसूस कर रहा है। वहीं, जिले के किसान जीत का जश्न मना रहे हैं। मुख्यमंत्री बनर्जी की इस घोषणा के ठीक चार दिन बाद बंगाल के दौर पर आए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने परमाणु ऊर्जा की अहमियत और जरूरतों पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को संकेत दिया कि पूर्व मेदिनीपुर के हरिपुर में प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा केंद्र परियोजना को निरस्त कर उन्होंने अच्छा नहीं किया है। हालांकि इस संबंध में उन्होंने कुछ भी नहीं कहा पर उपयोगिता बता कर सब कुछ कह गए। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि देश के विकास में परमाणु ऊर्जा की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह भूमिका भविष्य में और महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में कई अनुसंधान हो रहे हैं। केंद्रीय वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी, राज्यपाल एमके नारायणन के साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मंच पर मौजूदगी के बीच उन्होंने परमाणु ऊर्जा के संबंध में जो कुछ भी कहा उनसे साफ लग रहा था कि वे परमाणु बिजली केंद्र स्थापित करने को लेकर काफी आशान्वित हैं। ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री के दौरे से मात्र चार दिन पहले विधानसभा में बिजली मंत्री मनीष गुप्ता ने घोषणा की थी कि राज्य में अब परमाणु बिजली परियोजना स्थापित नहीं होगा।
मालूम हो कि प्रधानमंत्री ने अपने रूस दौरे के दौरान देश में पांच परमाणु बिजली संयंत्र स्थापित करने के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। उसी में से एक पूर्व मेदिनीपुर के हरिपुर में स्थापित होना था। पर्यावरण मंत्रालय ने भी
संयत्र स्थापित करने के हरी झंडी दे दी थी। रूस की एक कंपनी को जमीन भी आवंटित कर दी गई थी। बावजूद इसके केंद्र सरकार को बिना विश्वास में लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने परमाणु बिजली परियोजना रद्द करने की घोषणा की तो केंद्र सरकार के लिए एक परेशानी खड़ी हो गई है।
वहीं राजनीतिक हलकों में दबे स्वर में यह बात उठने लगी है कि इस मसले पर शायद राज्य व केंद्र आमने-सामने हो सकते हैं।
दूसरी ओर, वैज्ञानिकों ने पूर्व मेदिनीपुर जिले के हरिपुर में परमाणु ऊर्जा परियोजना को रद्द करने के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के फैसले का स्वागत करते हुए उन्हें धन्यवाद दिया है।परमाणु विद्युत विरोधी प्रचार आंदोलन के बैनर तले
वैज्ञानिकों ने कहा कि हम बंगाल सरकार को समझदारी दिखाने के लिए धन्यवाद देते हैं और राष्ट्र के समक्ष उदाहरण पेश करने के लिए बधाई देते हैं। उन्होंने कहा कि हमे उम्मीद है कि केंद्र भी ऐस इस बाबत समझदारी दिखाएगा।
उन्होंने कहा कि वे लगातार इस बात की मांग करते रहे हैं कि बंगाल को परमाणु मुक्त क्षेत्र घोषित किया जाए। इस बयान पर साहा परमाणु भौतिकी संस्थान के पलाशबरन पाल, भारतीय रासायनिक जीवविज्ञान संस्थान के तुषार
चक्रवर्ती, बोस संस्थान के पूर्व निदेशक मेहर इंजीनियर, बिरला औद्योगिक एवं प्रौद्योगिकी संग्रहालय के पूर्व निदेशक समर बागची, स्कूल ऑफ इनर्जी स्टडीज के पूर्व निदेशक सुजाय बसु तथा साहा परमाणु भौतिकी संस्थान के
पूर्व निदेशक मनोज पाल समेत कई वैज्ञानिकों ने हस्ताक्षर किए हैं।
राज्य सरकार के इस फैसला का वैज्ञानिकों द्वारा स्वागत किए जाने पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्ववाली पश्चिम
बंगाल सरकार ने और स्पष्ट कर दिया है कि पूर्वी मेदिनीपुर जिले के हरिपुर में कतई प्रस्तावित परमाणु बिजली संयंत्र नहीं लगेगा। इतना ही नहीं बंगाल में अब एक भी परमाणु उर्जा केंद्र नहीं स्थापित होंगे। विधानसभा में पूछे गये सवालों के जवाब में ऊर्जा मंत्री मनीष गुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार हरिपुर में परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित नहीं करने का निर्णय लिया है। रा्ज्य के पूर्व मुख्य सचिव रहे गुप्ता ने आरोप लगाया कि पूर्व वाममोर्चा सरकार ने परियोजना के बारे में लोगों को गुमराह किया था। तृणमूल कांग्रेस की अगुवाई वाली वर्तमान सरकार राज्य के किसी भी क्षेत्र में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के पक्ष में नहीं है।
यह पूछे जाने पर कि बिजली की बढ़ती मांग और कमी को सरकार कैसे पूरा करेगी ? इस पर गुप्ता ने कहा कि राज्य में वर्तमान समय में 6500 मेगावाट बिजली की मांग है। इनमें से 5,525 मेगावाट बिजली राज्य में उत्पन्न की जा रही
है, जबकि कमी को पूरा करने के लिए पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड से बिजली खरीदी जाएगी।
उन्होंने कहा कि स्थानीय किसानों और मछुआरों ने आजीविका से बेदखली और जानमाल के नुकसान के भय से कई गैर सरकारी संगठनों परमाणु ऊर्जा केंद्र पर आपत्ति जताई थी। साथ ही वाममोर्चा सरकार ने इस परियोजना के बारे में
लोगों को भ्रमित किया था।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इस परियोजना को मंजूरी देने के साथ-साथ रूस की कंपनी रोसाटोम को हरीपुर में
जमीन का आबंटन भी कर दिया था। परियोजना के तहत कंपनी को हरीपुर में एक परमाणु पार्क की स्थापना करना था, जहां एक हजार मेगावाट परमाणु बिजली का उत्पादन होता। बाद में कई गैरसरकारी संस्थाओं (एनजीओ) के समर्थन में स्थानीय किसानों व मछुआरों ने इस परियोजना के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया था। उनका कहना था कि परियोजना स्थापित होने से उनकी आजीविका खत्म होने के साथ-साथ उनके विस्थापित होने की आशंका है। यही नहीं, कुछ पर्यावरणविदों व वैज्ञानिकों ने भी परियोजना से पर्यावरण पर होने वाले खतरे के प्रति चिंता जताई थी।