Friday, October 28, 2011

ममता, माओवाद और मोहल्लत

शंकर जालान



जंगलमहल का नाम जुवान पर आते ही पश्चिम बंगाल के तीन जिलों की याद आती है, जो बीते कई सालों से माओवादी प्रभावित हैं। पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर, पुरुलिया और बांकुड़ा में सक्रिय माओवादियों ने न केवल वहां की जनता बल्कि प्रशासन तक की नाम पर दम कर रखा है। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख व राज्य की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कुछ महीनों (विधानसभा चुनाव से पूर्व) सरेआम कहती थी कि माओवादियों का कोई अस्तित्व नहीं है। 33 सालों से राज्य में सत्ता पर काबिज वाममोर्चा सरकार की गलत नीतियों के कारण माओवादियों को बढ़ावा मिल रहा है। अब ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने और उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें (ममता) लग रहा है कि माओवाद एक समस्या ही नहीं, बल्कि एक जटिल पहेली भी है।
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद ममता बनर्जी ने तीस दिन के भीतर ही जितनी बुलंद आवाज में कहा था कि उन्होंने माओवादी समस्या से निजात पा ली है अब वे उतनी ही धीमी आवाज में कह रही हैं कि माओवादियों की सक्रियता बढ़ी है। जानकारों के मुताबिक कई बार माओवादी प्रभावित जिलों का दौरा के बावजूद ममता ने तो पहेली का हल निकालने में कामयाब हुई हैं और न ही माओवादियों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने में।
इस साल मई में हुए राज्य विधानसभा चुनाव में वाममोर्चा को करारी मात देने और भारी जीत के बाद ममता बनर्जी 90 दिन यानी महीने के भीतर माओवाद के साथ-साथ पहाड़ (दार्जिलिंग) की समस्या के समाधान का दावा किया था। पहाड़ की समस्या तो कुछ हद तक गोरखालैंड टेरीटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) नामक एक स्वायत्त परिषद के गठन पर हुए तितरफा करार के बाद हल हो गई, लेकिन माओवादी की समस्या मुंह बाएं खड़ी है।
राजनीतिक हल्कों में यह चर्चा है कि तृणमूल कांग्रेस के शासनकाल में माओवादी प्रभावित जिलों की समस्या बजाए सुलझने और उलझी है। विभिन्न राजनीति दलों के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि हाल में जंगलमहल के दौरे पर गई ममता ने माओवादियों को सात दिनों की मोहल्लत दी है। इस मोहल्लत का कोई औचित्य नहीं है। प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने कहा कि माओवादियों को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए उन्हें मोहल्लत नहीं मौका देना होगा। साथ-साथ उनके भीतर भय भी पैदा करना होगा। सिन्हा ने कहा कि चुनाव जीतने के बाद ममता बनर्जी ने जंगलमहल में संयुक्त अभियान (अर्द्ध सैनिक बल व राज्य पुलिस) पर विराम लगाकर बहुत बड़ी भूल की है। वहीं, वाममोर्चा के चेयरमैन व माकपा के राज्य सचिव विमान बसु का कहना है कि माओवादी समस्या के मुद्दे पर ममता लोगों को धोखे में रख रही है। बसु ने कहा कि अजीब विडंबना है कि राज्य सरकार के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसा नहीं है और ममता बनर्जी हथियार डालने वाले माओवादियों को पेंशन देने की बात कह रही है।
राज्य सरकार और बुद्धिजीवियों के बीच माओवाद को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। एक ओर बुद्धिजीवियों का कहना है कि सरकार को माओवादियों के साथ शांति प्रक्रिया की पहल शुरू करनी चाहिए। दूसरी ओर सरकार यह नहीं सूझ पा रही है कि अंतत: माओवादियों की मंशा क्या है।
हालांकि माओवादियों ने एक महीने के सशर्त युद्धविराम का एलान किया है, लेकिन ममता के लिए यह समझ पाना मुश्किल हो रहा कि क्या माओवादी ईमानदारी से समस्या का समाधान चाहते हैं या फिर इस अवधि का इस्तेमाल ताकत बढ़ाने के लिए। बनर्जी को माओवाद के मुद्दे पर केंद्र सरकार से भी दो-दो हाथ करना पड़ रहा है। केंद्र चाहता है कि जंगलमहल में साझा अभियान जारी रहे, जबकि ममता बनर्जी इसके पक्ष में नहीं दिखती। इस बाबत केंद्र के कड़े रवैए ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है। राजनीतिक पयर्वेक्षकों का कहना है कि सत्ता हाथ में आने के बाद अधिकतर मामले में कामयाबी हासिल करने वाली ममता बनर्जी के लिए माओवाद की समस्या गले की हड्डी बनी हुई है। तत्काल ममता इस समस्या से निकलने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है।

Friday, October 21, 2011

सस्ती लोकप्रियता का साधन बने होर्डिंग और बैनर

शंकर जालान



कोलकाता। छुटभैया नेताओं और तथाकथित समाजसेवियों के लिए होर्डिंग और बैनर सस्ती लोकप्रियता का साधन बन गया है। दुर्गापूजा से लेकर अंग्रेजी नववर्ष के दौरान महानगर के विभिन्न मार्गो पर ऐसे असंख्य होर्डिंग व बैनर देखने को मिल जाएंगे, जिस पर शुभकामना संदेश का जिक्र रहता है। होर्डिंग लगाने वाले नेता या समाजसेवी इन होर्डिंग पर प्रसन्नचित वाली अपनी बड़ी-बड़ी फोटो लगाकर स्थानीय लोगों को दुर्गापूजा, दशहरा, दीपावली, छठपूजा, कार्तिक पूर्णिमा, नानक जयंती, क्रिसमस डे और अंग्रेजी नववर्ष की बधाई व शुभकामना देते दिखाई देते हैं।
मजे की बात यह है कि इनमें से ज्यादातर होर्डिंग या बैनर गैरकानूनी तरीके से और कोलकाता नगर निगम से अनुमति लिए बगैर लगाए गए होते हैं। जिस इमारत या भवन पर ऐसे होर्डिंग लगाए जाते हैं। इस बाबत इमारत मालिक से स्वीकृत लेना तो दूर उन्हें सूचना तक नहीं दी जाती। मामला स्थानीय और नेताओं से जुड़ा होने के कारण कोई चाह कर भी विरोध नहीं करना।
इससे भी बड़ी बात यह है कि इन होर्डिंगों पर लिखी भाषा व्याकरण की दृष्टि से अशुद्ध होती है, लिखावट (स्पेलिंग) भी गलत रहती है। जैसे शुभकामना, सलाहकार, दुर्गापूजा, दशहरा, दिनेश की स्पेलिंग लिखी जाती है- सुभकमाना, षलाहाकर, दूर्गापुजा, दसहारा, दीनेस। ऐसी अशुद्ध लिखावट वाली होर्डिंग के माध्यम से होर्डिंग लगाने वाले नेता लोगों को क्या बताना चाहते हैं समझ से परे है।
इस बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की निजी प्रचार की होर्डिंग लगाना चंदा और दान के पैसे की बर्बादी है। सही मायने में होर्डिंग लगाने वाले का मुख्य मकसद लोगों को शुभकामना देना नहीं, बल्कि खुद प्रचार पाना है। बड़ाबाजार के एक वरिष्ठ नागरिक ने नाम न छापने की शर्त पर सवाल उछालते हुए कहा कि क्या ये छुटभैया नेता और तथाकथित समाजसेवी शुभकामना वाले होर्डिंग और बैनर नहीं लगाएंगे तो हमारी दीपावली शुभ नहीं होगी?
जब यहीं प्रश्न होर्डिंग लगाने वाले कुछ नेताओं व समाजसेवियों से किया गया तो लगभग सभी उत्तर देने से कतराते दिखे। क्या लगी होर्डिंग के बाबत आपने कोलकाता नगर निगम से अनुमति ली थी और उसका कर अदा कर दिया है? इस प्रश्न के जवाब में एक तृणमूल कांग्रेस के पूर्व विधायक ने कहा कि ये व्यापारिक होर्डिंग नहीं है इसके लिए नगर निगम अनुमति की कोई आवश्यकता नहीं होती। वहीं, नगर निगम के संबंधित विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सड़क किनारे लगी किसी भी प्रकार की होर्डिंग के लिए कर भुगतान के साथ-साथ नगर निगम से अनुमति लेनी जरूरी है। महानगर में हजारों की संख्या में ऐसे होर्डिंग लगे हैं, जिन पर केएमसी टैक्स पेड का कोई उल्लेख नहीं है इस बाबत आप क्या करेंगे? इस सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि नगर निगम इस बाबत कार्रवाई करेगा। फिलहाल ऐसे होर्डिंग और उसे लगाने वाली संस्थाओं की शिनाख्त की जा रही है, जिन्होंने बिना स्वीकृति और कर अदा किए होर्डिंग लगाए हैं।

दीपावली पर अब नहीं दिखती दीपक की लौ

शंकर जालान



‘‘जलाओ दीए पर रहे ध्यान इतना, अंधेरा धरा पर कहीं रह न जाए’’ रोशनी के पर्व दीपावली से प्रेरित हो इस कविता को रचने वाले कवि को क्या पता था कि वह जिस दीए की बात कर रहा है वह आधुनिक के युग में लगभग बाजार से गायब ही हो गया है। न दीए, न बाती और न तेल की जरूरत। फिर भी टिमटिमाते दीए जैसी रोशनी, जिसे हवाओं के झोंके का भी डर नहीं। जी हां, अब बिजली व बैटरी से रोशन होने वाले दीए से बाजार पटा पड़ा है। भले ही बिजली चालित दीए से अंधेरा दूर व घर रोशन होता हो, मगर दीए व बाती के धंधे से जुड़े लोगों का घर अंधेरे में डूबता जा रहा है। इस वर्ष देशभर में 26 अक्तूबर को दीपावली का पर्व मनाया जाएगा। इसदिन लोग अपने घरों को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाते हैं। कुछ वर्षोें पहले तक दीपावली पर मिट््टी से बने दीए जलाने का चलन था। दीए और सबसे भरे तेल अथवा धी के बीच रूई की बत्ती की लौ देखते ही बनती थी और लोग दीपावली को रोशन करते थे, लेकिन बदलते समय के साथ-साथ दीए की जगह चीन निर्मित छोटे (टूनी) बल्बों ने ले ली है। रोशनी की चकाचौंध और कम खर्च को देखते हुए लोग इन आधुनिक टूनी बल्बों व झालरों का ही उपयोग अधिकाधिक करने लगे हैं। इससे मिट््टी के दीए बनाने वाले कुम्हारों की रोजी-रोटी खतरे में पड़ गई है। मिट््टी और सरसों तेल, घी की कीमत में आशातीत वृद्धि को देखते हुए दीए की मांग धीरे-धीरे कम होती जा रही है। इससे इन कुम्हारों को आर्थिक नुकसान उठाने के अलावा बेरोजगारी का दंश भी झेलना पड़ रहा है। कोलकाता में हजारों की संख्या में ऐसे कुम्हार हैं मिट््टी के दीए, कलश, गमले और टब बनाकर अपना जीवन-यापन करते हैं। मिट््टी के साधारण दीए ग्राहकों को पसंद नहीं आते और डिजाइन व रंगीव दीए अब महंगे होते जा रहे हैं और इस लिए इनकी मांग भी कम होती जा रही है। संकुचित होते बाजार के चलते अब कुम्हारों की नई पीढ़ी इस पेशे में नहीं आना चाहती। कई कुम्हार अभी भी परंपरा की खातिर इस कला से जुड़े हुए हैं। हालांकि इनके बच्चों का कहना है कि केवल कला के जुड़ाव के कारण इस शिल्प से जुड़ा रहना समझदारी का काम नहीं हैं। क्योंकि इसके भरोसे परिवार का पालव संभव नहीं। हम अब नए व्यवसाय में जाने की सोच रहे हैं। जानकारों का मानना है कि मिट््टी के दीए व अन्य सामग्रियों के निर्माण में लगे असंख्य लोग अपनी जीविका चलाते थ, लेकिन वैश्वीकरण की अंधी दौड़ में हस्तशिल्प की यह कला अब लुप्त होने की कगार पर हैं, जबकि कभी ये हमारी पारंपरिक कुटीर उद्योग के आधार हुआ करते थे।
ध्यान रहे कि दीपक का प्रकाश अंधकार को दूर करता है। इसीलिए कहा गया - ‘‘तमसो मा ज्योर्तिमयगम्यम’’ लेकिन अब वह बात कहां। अब तो दीपावली का अर्थ है, तो पटाखों का शोरगुल और बिजली का फिजूलखर्ची। एक ओर जहां पटाखों की धमक से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, वहीं अत्यधिक बिजली के उपयोग से विद्युत संकट। यानि ले देकर मुसीबत हमारी ही है, तो क्यों न हम प्रण लें कि अब दीपावली का पालन पुराने व पारंपरिक तरीकों से करेंगे। यानि कि जो आनंद दीए की पवित्र लौ में है, वह विद्युत झालरों, बल्बों और पटाखों के धमाकों में कहां?
पंडित मधुसूदन शर्मा बताते हैं कि प्राचीन परंपरा के तहत दीपावली पर लोग दीपक जलाकर चारों तरफ प्रकाश करते थे। उस दौर में पर्यावरण को प्रदूषित करने वाली आतिशबाजी नहीं होती थी। त्रेता युग में भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास की अवधि पूरी कर जब वापस अपनी राजधानी अयोध्या लौटे थे, तब लोगों ने उनके (श्रीराम) के स्वागत में दीए जलाकर अपने घरों को रोशन किया था।
‘‘दीपो ज्योति: परं ब्रह्मा दीपो ज्योतिजर्नादर्न:, दीपो हरतु मे पापं सांध्यदीप! नमोस्तु ते।। ’’
दीपावली के तांत्रिक पहलू के संबंध में एक पंडित ने बताया कि महिषासुर का दमन करने के लिए जब देवी दुर्गा को और शक्ति की आवश्यकता हुई तो उन्होंने श्यामा (काली) का रूप धारण किया था। अत्यधिक शक्ति के कारण क्रोध के वशीभूत होकर देवी जब असुरों के बाद संपूर्ण सृष्टि में उथल-पुथल मचानी शुरू कर दी तो भगवान शंकर ने उनको रोकने के लिए अपने को प्रस्तुत कर दिया था। देवी का क्रोध शांत होने के बाद असुरों के विनाश से खुश देवताओं ने अपने-अपने घरों में दीए जलाकर खुशियां मनाई और देवी की आराधना की थी। इसके बाद से ही मानव समाज में भी दीपावली मनाने का सिललसिला शुरू हुआ।
उन्होंने बताया कि धार्मिक मान्यता के साथ ही दीपावली मनाने का वैज्ञानिक पहलू भी है। इससे हम अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ करते हैं। आतिशबाजी के शोर-शराबों से दूर जब सामूहिक रूप से दीए जलाए जाते हैं तो उसके प्रकाश से निकलने वाली किरणें वातावरण में फैले रोगाणुओं व कीटाणुओं को नष्ट कर देती हैं।

पश्चिम बंगाल के मंत्रियों को मिल रही है धमकी

शंकर जालान


पश्चिम बंगाल के खेल मंत्री मदन मित्रा को अलग-अलग नंबरों से उनके मोबाइल
फोन पर धमकियां मिल रही है। यही नहीं, केंद्रीय राज्यमंत्री सौगत राय को
भी धमकी मिली है। कुछ इसी तरह की धमकी राज्य के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
को भी मिली थी। इस बाबत कोलकाता पुलिस की संयुक्त आयुक्त (अपराध) दमयंति
सेन ने बताया कि खेल मंत्री ने शिकायत दर्ज कराई है। हम इस मामले की जांच
कर रहे हैं। जिन नंबरों से मंत्री फोन किए गए हैं वे पब्लिक (सार्वजनिक)
बूथों के हैं। इस सिलसिले में खेल मंत्री का कहना है- मैं जब फोन रिसीव
करता हूं तो दूसरी तरफ से अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया जाता है और मुझे
गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी जाती है। मित्रा ने कहा कि वे कॉल से
परेशान नहीं हुए, लेकिन अगर यह समस्या बनी रही तो वह अज्ञात नंबर से आने
वाले कॉल को रिसीव करना उनके लिए मुश्किल होगा, जिससे आम लोगों को
असुविधा हो सकती है। मंत्री ने कहा- 'मैं लोगों की सेवा करने के लिए हूं,
इसलिए मैंने अपना नंबर सभी को दिया है ताकि मदद के लिए कोई मुझसे संपर्क
कर सके, लेकिन अगर ऐसी घटनाएं जारी रहीं तो मैं अज्ञात नंबर से आने वाले
कॉल को रिसीव नहीं करुंगा। इससे लोगों को असुविधा हो सकती है।
ध्यान रहे कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को माओवादियों से जान के खतरे की
आशंका जताई जा रही है। माओवादी ममता समेत केंद्रीय मंत्री मुकुल रॉय के
अलावा दूसरे तृणमूल कांग्रेस नेताओं को मारना चाहते हैं। बनर्जी के
मुतातिक कुछ दिनों पहले माओवादियों को उनके घर के आस पास देखा गया था।
ममता ने कहा- माओवादियों उन्हें मारने की धमकी दी। साथ ही मुकुल रॉय और
पार्टी के नेता श्रीकांत महतो को भी जान से मारने की धमकी दी। मालूम हो
कि कुछ दिनों पहले माओवादियों ने जंगल महल में एक रैली आयोजित की थी,
जिसमें एक माओवादी नेता ने कहा था कि तृणमूल के कई नेता उनके निशाने पर
हैं। ध्यान रहे कि मुख्यमंत्री बनने से पहले एक विपक्षी नेता के रूप में
बनर्जी बार-बार यह कहती रही थी कि राज्य में कोई माओवादी नहीं है और
सत्ता में आने के बाद तो उन्होंने उग्रवादियों के प्रति नर्म रुख अपनाते
हुए उन्हें बातचीत और समस्या के शांतिपूर्ण समाधान के लिए बुलाया था,
लेकिन अगस्त के बाद से लगातार हो रही हत्याओं से तंग आ कर ममता ने कहा कि
वे व्यक्तिगत तौर पर महसूस करती है कि ऐसे संगठनों से अब कोई वार्ता संभव
नहीं है।

Thursday, October 20, 2011

दीपावली : सजी दुकानें, उमडी भीड़

शंकर जालान


कोलकाता। प्रकाश पर्व दीपावली में अब सप्ताह से भी कम का समय रह गया है। बुधवार को भारी संख्या में लोग दीपावली की खरादारी करते देखे गए। दीपावली के मद्देनजर जहां प्रकाश पर्व से संबंधित सामग्री से दुकानें सजी व भरी पड़ी हैं। वहीं, ग्राहक भी अपनी हैसियत और पसंद के मुताबिक खरीदारी कर रहे हैं।
महानगर समेत आसपास के इलाकों में स्थित बाजारों भी दीपावली की खरीदारी के लिए ग्राहकों की भीड़ देखी जा रही है। नामी-गिरामी मार्केट, बड़े शॉपिंग मॉलों के अलावा फुटपाथ पर लगी दुकानों से लोग आभूषण, श्रृंगार सामग्री, बर्तन, फर्नीचर, बिजली के उपकरण, घड़ी, कपड़े, जूते-चप्पल, सजावटी सामग्री, दीपक, मोमबत्ती आदि चीजें खरीद रहे हैं।
दीपावली के मौके पर कई दुकानदारों ने ग्राहकों के लिए छूट या उपहार की व्यवस्था की। जहां आभूषण दुकानों में मेकिंग में रियायत दी जा रही है। वहीं ब्रांडेड कंपनी के कपड़ों में दो खरीदने में एक फ्री दिया जा रहा है। ठीक इसी तरह जूते-चप्पल की खरीदारी पर छूट के लिए श्रेणी तय की गई है। कहीं पांच सौ से एक हजार की खरीदारी पर दस फीसद की छूट दी जा रही है तो कहीं 15 से 20 फीसद की।
दीपावली का बाजार कैसा है? रोजाना कितने की बिक्री हो रही है? क्या आपकी इच्छा के मुताबिक माल बिक रहा है? इन सवालों के जवाब में दुकानदारों ने कहा कि इस बार दीपावली का वैसा बाजार नहीं है जैसा दो-चार साल पहले हुआ करता था। जहां तक बिक्री का सवाल है आम दिनों की तुलना में अवश्य कुछ अधिक हो रही है और हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले तीन-चार दिनों में बिक्री में इजाफा होगा। दुकानदारों का कहना है कि इस दीपावली में इच्छा के मुताबिक बिक्री नहीं हो रही है। दीपावली के लिए जितना माल स्टॉक किया था, अब तक की बिक्री को देखते हुए ऐसा लगता है कि काफी माल बच जाएगा।
ऐसा क्यों हो रहा है? बिक्री कम क्यों हो रही है? इसके जवाब में सत्यनारायण पार्क एसी मार्केट के एक दुकानदार ने बताया कि मुझे लगता है महंगाई के कारण लोग तंग हाथों से खर्च कर रहे हैं। पहले लोग बच्चों के कई जोड़ी कपड़े खरीदते के साथ-साथ अपने लिए भी खरीदारी करते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। लोग अपने लिए तो जेब हल्की नहीं कर रहे हैं और बच्चों के लिए भी एक जोड़ी ही खरीद रहे हैं।
वहीं, जवाहरलाल नेहरू रोड स्थित एक जूते-चप्पल की दुकान के एक अधिकारी ने बताया कि इस बार जूते-चप्पल की बिक्री मंदी है। उन्होंने बताया कि जो ग्राहक जूता खरीदने आता था जूते खरीदने के साथ-साथ अगर चप्पल पसंद आ गई तो खरीद लेता था। ठीक इसी तरह बेल्ट या पर्स पसंद आने पर ले लेता था। पर इस साल ऐसा नहीं है। खरीदारी के बाद अगर हम ग्राहक अन्य समान दिखाने को कहते हैं तो वे साफ मना कर देते हैं।
मछुआ बाजार के पास विभिन्न आकार और डिजाइन के दीपक समेत मिट््टी से बनी पूजन की अन्य सामान बेच रही एक महिला ने बताया कि महंगाई के मद्देनदर लोग रंगीन डिजाइन वाले दीपक खरीदने से कतरा रहे हैं। साधारण दीपक भी जो लोग पहले सैकड़ों की संख्या में खरीदते थे और दर्जन के हिसाब से ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि बाजारों में दीपावली के ग्राहकों की भीड़ तो है, लेकिन उस अनुपात में बिक्री नहीं हो रही है, जो होनी चाहिए।
नूतन बाजार के समीप अस्थाई दुकान लगाकर विभिन्न प्रकार की मोमबत्ती बेच रहे हैं एक व्यक्ति ने बताया कि बताया कि बीते छह दिन से दुकान लगा रहा हूं और दीपावली में छह दिन बाकी है, लेकिन वह बिक्री नहीं हो रही है, जिस उम्मीद से दुकान लगाया था। उन्होंने बताया कि थोक बाजार से करीब 35 हजार रुपए की मोमबत्ती खरीदकर लाया हूं और उम्मीद थी कि 42 से 45 हजार में बेचूंगा, लेकिन अभी तक 35 सौ का माल भी नहीं बिका है। लगता है कम मुनाफे में मोमबत्ती बेचनी पड़ेगी।

Friday, October 14, 2011

तृणमूल राज में भी नहीं बदले हालात

शंकर जालान



वर्ष 2007 में पूर्वी मेदिनीपुर जिले में हुए नरसंहार के बाद सुर्खियों
आया। जिले के नंदीग्राम में पुलिस की गोली से 14 गांववासियों की मौत हो
गई थी। इस दर्दनाक घटना की वजह से वाममोर्चे को न केवल सत्ता से हाथ धोना
पड़ा था, बल्कि मुख्य विरोधी दल तृणमूल कांग्रेस को एक मुद्दा मिल गया था
और तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी से इस मुद्दे को बेहतरीन तरीके के भुनाया
दूसरे शब्दों में कहे तो इन केश किया। वाम दलों का गढ़ कहे जाने वाले
पूर्वी मेदिनीपुर जिले में 34 सालों में पहली बार वाममोर्चा को करारी हार
का सामना करना पड़ा। कहना गलत नहीं होगा कि इसी घटनाक्रम से मौजूदा
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के राजनीतिक भविष्य में एक नया मोड़ आया। बनर्जी
ने मौके की नजाकत को भांपते हुए 'परिवर्तन के वादे के साथ राज्यभर एक
अभियान छेड़ा, जिसके तहत उन्होंने राज्य के हित में फैसला लेने का वादा
किया। चुनाव पूर्व बनर्जी का कहना था कि उनकी पार्टी हर हाल में हर
समस्या का हल निकालेगी और लोगों की सुख-शांति से जीवन व्यतीत करने की
दिशा में अहम पहल करेगी।
अफसोस यह है कि बनर्जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी हालात जस के तस बने
हुए हैं। साथ ही कई तरह की शिकायतें भी आ रही हैं।
प्रमुख औद्योगिक हल्दिया विकास प्राधिकरण (एचडीए) में हालात पहले जैसे
ही हैं। एचडीए का नेतृत्व कभी माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के
विशेष लोगों में शामिल लक्ष्मण सेठ किया करते थे, लेकिन सत्ता परिर्वतन
के बाद इसकी बागडोर तृणमूल कांग्रेस के सांसद शुभेंदु अधिकारी के हाथों
में आ गई है। एचडीए में परिवर्तन के चार महीने बाद तक भ्रष्टïाचार पर
अंकुश नहीं लग सका है। एचडीए में कार्यरत एक मजदूर के मुताबिक केवल कलर
(रंग) बदला है। पहले लाल थो सो अब हरा हो गया है लेकिन भ्रष्टïाचार का
बोलबाला अब भी वैसे ही है जैसे वाममोर्चा के शासनकाल में था। उन्होंने
कहा- वाममोर्चा के शासनकाल के में जिन लोगों ने हमें परेशान किया वे लोग
अब पाला बदल कर हमें परेशान कर रहे हैं। उनके मुताबिक- वे लोग जो कभी
अपने को सच्चा कम्यूनिष्ट कहते थे उन्होंने ही अब गिरगिट की तरह अपना रंग
बदल लिया है और खुद को तृणमूल कांग्रेस का नेता कहने लगे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि वाम मोर्चे ने जिस तरह नंदीग्राम के जरिये
गुंडाराज और भ्रष्टïाचार को बढ़ावा दिया, वही गलती अब तृणमूल कांग्रेस भी
दोहरा रही है। लोगों का कहना है- अगर माकपा का मजदूर संगठन सेंटर ऑफ
इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) मजदूरों से हर महीने 200 रुपये बतौर चंदा
लेता था तो तृणमूल कांग्रेस के इंडियन नैशनल
तृणमूल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (आईएनटीटीयूसी) ने इसे दोगुना कर दिया है
और वे निम्न दर्जे के मजदूरों को एक दिन का वेतन देने के लिए बाध्य कर
रहे हैं।
ध्यान रहे कि इसी साल हुए विधानसभा चुनावों में वाममोर्चा की करारी हार
के बाद माकपा के मान्यता प्राप्त संगठन सीटू का नाटकीय पतन हुआ है। हाल
के कुछ महीनों में सीटू को करीब 16 कार्यालय बंद करने पड़े। सीटू के जिला
सचिव सुदर्शन मन्ना का कहना है कि 'यह हकीकत है कि आईएनटीटीयूसी के
सदस्य, फैक्टरी के मजदूरों से जबरदस्ती पैसे वसूल रहे हैं। जो लोग उनके
संगठन में शामिल होने के लिए तैयार नहीं हैं, उन्हें काम करने की इजाजत
नहीं दी जा रही है। जिन लोगों को 20-25 साल तक काम करने का अनुभव है,
उन्हें भी नए ठेकेदार काम से निकाल रहे हैं। जिले के वाममोर्चा नेता के
मुताबिक तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता मजदूरों से अच्छी-खासी रकम वसूल
रहे हैं और यह राशि नौकरी के ग्रेड के लिहाज से भी तय की जा रही है। उनका
कहना है कि तमाम कंपनियों की परियोजनाओं में प्रबंधन को जानकारी देकर और
बिना जानकारी के भी वसूली की प्रक्रिया जारी है। मन्ना का कहा- पिछले कुछ
महीने में ही हमने मजदूरों के साथ आईएनटीटीयूसी की गुंडागर्दी के करीब
पांच दर्जन मामले दर्ज कराए हैं, लेकिन राज्य पुलिस ने इस समस्या का हल
निकालने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
मालूम हो कि इंडोनेशिया के सलीम समूह की केमिकल हब परियोजना के लिए
नंदीग्राम का चयन करने में सेठ की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। अब सेठ का
रवैया बदला-बदला सा लगता है। सेठ का कहना है कि अधिकारी और उनकी टीम ने
एचडीए में हाल में अपना काम शुरू किया है ऐसे में इसका आकलन करने का अभी
सही वक्त नहीं है। जब उनसे हाल की हिंसात्मक घटनाओं के बारे में पूछा गया
तो उनका कहना था- 'दीदी (बनर्जी) ने कहा है कि राज्य में कोई भी
राजनीतिक हिंसा नहीं होगी। अब हमें इंतजार करते हुए स्थितियों पर निगाह
रखनी होगी।
आईएनटीटीयूसी के एक कार्यकर्ता ने कहा कि मुझे 6-7 साल का अनुभव है। इसके
बावजूद मुझे नौकरी गंवानी पड़ी। उनका कहना है कि करीब एक महीने से मैं
यहां हूं। इस बाबत स्थानीय सांसद और कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के अधिकारियों
से बातचीत की, लेकिन कुछ भी नहीं हो रहा है। इस सिलसिले में सांसद ने कहा
कि 'जब मैंने एचडीए के अध्यक्ष के तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभाली तब हमने
इस क्षेत्र में सीटू के दफ्तरों द्वारा जबरदस्ती वसूली जैसे कारनामों पर
अंकुश लगाया। हल्दिया में अब एक नया दौर शुरू हुआ है और यहां निवेश की
संभावनाएं बन रही हैं। नई परियोजनाओं में एचपीएल की विस्तार योजना भी
शामिल है। आईओसी पाइपलाइन के अलावा हल्दिया-पारादीप पाइपलाइन की योजना पर
भी अमल किया जाना है। इस क्षेत्र में कई छोटे उद्योगों के अलावा साउथ
एशियन पेट्रोकेमिकल्स, आईओसी, एक्साइड, शॉ वॉलेस, टाटा केमिकल्स, एचपीएल,
मित्सुबिशी केमिकल्स और हिंदुस्तान लीवर जैसी बड़ी औद्योगिक परियोजनाएं
भी हैं। कई दूसरी परियोजनाएं मसलन सीईएससी ऊर्जा संयंत्र और सिनो स्टील
परियोजना विभिन्न चरणों में है।
सांसद का कहना है, 'मैंने कुछ हफ्ते पहले ही एचडीए की जिम्मेदारी संभाली
है। कुछ महीने में ही आप भारी मात्रा में निवेश के साथ ही 3-4 नई
परियोजनाएं देखेंगे, क्योंकि ये मंजूरी मिलने के आखिरी चरण में हैं। जिन
लोगों की जमीन गई है उन्हें प्राथमिकता के आधार पर नौकरी मिलेगी।
यह तो मानी हुई बात है और बिल्कुल साफ है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने
हल्दिया में विकास की लहर शुरू कर चुकी हैं। उन्होंने कुछ हफ्ते पहले ही
सार्वजनिक मंच पर यह कहा था कि उनकी पार्टी के नाम पर पैसा मांगने वालों
को उद्योगपति बिल्कुल पैसा न दें। उन्होंने राज्य के कुछ उद्योगपतियों को
संबोधित कर कहा था- 'कुछ क्षेत्रों में लोग उनकी पार्टी के नाम का गलत
इस्तेमाल कर पैसे मांग रहे हैं। कृपया आप उन्हें पैसे न दें। हमें या
हमारी पार्टी को पैसे नहीं चाहिए। हम बंगाल का विकास चाहते हैं और अपनी
विश्वसनीयता को बरकरार रखने के लिए हमें काफी कुछ करना है।

Monday, October 3, 2011

पूजा पंडालों में दर्शनाथियों की भीड़

शंकर जालान





कोलकाता। महाषष्ठी के मौक रविवार को ही पूजा पंडालों में दर्शनाथियों की भीड़ उमड़ने लगी। दक्षिण, मध्य व उत्तर कोलकाता के अलावा हावड़ा, उत्तर चौबीस परगना, दक्षिण चौबीस परगना और साल्टलेक के कई पूजा पंडालों में रविवार शाम से ही दर्शनार्थियों का तांता लगा रहा। दर्शक विशेष थीम की पूजा को अधिक पसंद कर रहे हैं। यंग व्बायज क्लब (ताराचंद दत्त स्ट्रीट) में काल्पनिक मंदिरनुमा भव्य पंडाल, सिंधी पार्क में दक्षिणेश्वर की आकृति का पंडाल, श्री बड़ाबाजार सार्वजनीन दुर्गापूजा कमिटी (जौहरीपट््टी) में स्वर्ग लोक की झलक, त्रिधारी सम्मिलनी (रासबिहारी एवेन्यू) में राजस्थान का नजारा, मानिकतला-चलताबागान लोहापट््टी दुर्गापूजा कमिटी (अमहर्स्ट स्ट्रीट) में कांच की कला, राममोहन स्मृति संघ (अमहर्स्ट रो) में प्राकृति व पर्यावरण का महत्व और यूथ एसोसिएशन (मोहम्मद अली पार्क) में नारी के विविध रूप पर आधारित पूजा आयोजित की गई है, जिसे देखने भारी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं।
चेयरमैन का चलन : बीते कुछ सालों के दौरान दुर्गापूजा के मौके पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा चेयरमैन बनाने का चलन चल पड़ा है। पूजा कमिटियां आर्थिक सहयोग के मद्देनजर चेयरमैन का चयन करती हैं। इसी का फायदा उठाकर प्रचार लोभी कुछ लोग कई पूजा कमिटियों के चेयरमैन बन जाते हैं। भले ही जो व्यक्ति चेयरमैन बनता है वह पूजा कमिटी का आर्थिक रूप से सहायक होता हो, लेकिन इससे कभी-कभी कमिटी के सदस्य में मतभेद हो जाता है। सदस्य का कहना है कि पूरे साल तक कमिटी से जुड़े रहने और हर वक्त काम आने के बावजूद पूजा के वक्त सिर्फ पैसे के कारण एक व्यक्ति को पूजा कमिटी का चेयरमैन बनाकर विशेष प्रचार देना उन्हें नागवार गुजरता है। सदस्यों का कहना है कि जो व्यक्ति चेयरमैन बनता है वह अपने निजी खर्च पर बड़े-बड़े होर्डिंग और बैनर इतनी अधिक संख्या में लगता है कि आयोजक कमिटी और उसके सदस्य मानो नगण्य हो जाते हो। सदस्यों के मुताबिक- प्रचार पाने की हद तो तब पार कर जाती है, जब एक ही व्यक्ति दो-दो पूजा कमिटियों का चेयरमैन बन जाता है। सदस्यों ने बताया कि वे कमिटी के पदाधिकारियों का सम्मान करते हैं, इसलिए खुलकर विरोेध नहीं करते। सही मायने में वे चेयरमैन नियुक्त करने के खिलाफ हैं और ऐसे व्यक्ति को तो बिल्कुल ही चेयरमैन नहीं मानना चाहते, जो किसी और पूजा कमिटी के चेयरमैन पद पर हो।
सुस्त हुआ महानगर का ट्रैफिक : चार दिवसीय दुर्गोत्सव शुरू होते ही महानगर की सड़कों पर ट्रैफिक जाम और बढ़ गया । शहर के विभिन्न इलाकों में सड़कों के किनारे बने पूजा पंडालों पर दर्शन की भीड़ की वजह से ट्रैफिक की रफ्तार पर ब्रेक लग गया है। कुछ इलाकों को छोड़कर पूर्व से लेकर पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक षष्ठी (रविवार) से ही ट्रैफिक जाम की समस्या उत्पन्न हो गई। ट्रैफिक सुचारू रखने के लिए कोलकाता पुलिस की ओर से विशेष बंदोबस्त किए गए हैं। बावजूद इसके कई सड़कों पर रविवार को दोपहर बाद ही जाम शुरू हो गया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कुछ सड़कों पर पंडाल बना दिए गए हैं और वहां भारी संख्या में लोग जुट रहे हैं। ऐसे में वाहनों की आवाजाही बाधित हो रही है, जिससे ऐसी सड़कों से जुड़े अन्य मार्गों पर जाम हो रहा है। पुलिसकर्मियों के अलावा भारी संख्या में स्वयंसेवकों की तैनाती की गई है ताकि सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशमी को होने वाली भीड़ के दौरान ट्रैफिक को नियंत्रण में रखा जा सके।

Sunday, October 2, 2011

दुर्गा के रंग में रंगा महानगर कोलकाता

शंकर जालान


कोलकाता। महानगर और आसपास का इलाका दुर्गापूजा के रंग में रंगने लगा है। शनिवार को महापंचमी के मौके पर ही कई पूजा-पंडालों में दर्शनार्थियों तांता लगा रहा। वहीं, कुछ पूजा पंडालों का उद्घाटन भी हुआ। शनिवार को यंग ब्वायज क्लब (तारातंद दत्त स्ट्रीट) के पूजा पंडाल का उद्घाटन केंद्रीय राज्य मंत्री सुदीप बंद्योपाध्याय ने किया। इस मौके पर हिंदी फिल्मों के जानेमाने अभिनेता सुनील शेट््टी, पूजा कमिटी के संयोजक राकेश सिंह, रामचंद्र बड़ोपोलिया, विनोद-विक्रांत सिंह समेत कई जाने माने लोग मौजूद थे। वक्ताओं ने अपने संबोधन में नारी शक्ति के महत्व पर प्रकाश डाला। अपने वक्तव्य में अतिथियों ने कहा कि धन (लक्ष्मी), बल (दुर्गा) और बुद्धि (सरस्वती) की कमान देवियों के ही हाथ है। दूसरी ओर, अमहस्ट्र रो में राम मोहन स्मृति संघ के बैनर तले आयोजित होने वाली दुर्गा पूजा का उद्घाटन हुआ। संघ के एक वरिष्ठ सदस्य धर्मेंद्र जायसवाल ने बताया कि इस मौके पर राजा वर्मा, डी. बजाज समेत कई लोग मौजूद थे। सिंघी पार्क दुर्गा पूजा कमिटी, श्री बड़ाबाजार सार्वजनिक दुर्गा पूजा कमिटी (जौहरी पट््टी), दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर में अग्रदूत व उदय संघ पूजा कमिटी, एकडलिया एवरग्रीन पूजा समिति, चेतला अग्नि क्लब समेत दक्षिण, मध्य और उत्तर कोलकाता के कई पूजा पंडालों का उद्घाटन हुआ।
खाली हो गया मूर्तिकारों का गोला : उत्तर कोलकाता स्थित कुम्हारटोली के मूर्तिकारों को गोला (मूर्ति बनाने का स्थान) शनिवार दोपहर तक लगभग खाली हो गया था। मूर्तिकारों ने बताया कि शनिवार को जहां महानगर के विभिन्न इलाकों व विभिन्न पंडालों में रौनक बढ़ी। वहीं, मूर्तिकारों के मक्का कहे जाने वाली कुम्हारटोली में बिरानी छा गई है। मूर्तिकारों के मुताबिक बीते पांच महीनों से वे तन्मयता से जिस प्रतिमा के निर्माण कर रहे थे उन प्रतिमाओं के पंडाल में पहुंचाने में उन्हें मानसिक तकलीफ हो रही है। काशी पाल नामक एक मूर्तिकार ने बताया कि भले ही प्रतिमा बनाने और उसे पंडाल तक पहुंचाने के एवज में उन्हें राशि मिलती है और ठीक-ठाक मुनाफा भी हो जाता है। बावजूद उसके उन्हें गोला खाली होने पर भावनात्मक कष्ट होता है। एक अन्य मूर्तिकार बादल पाल ने बताया कि प्रतिमा निर्माण के लिए बांस व बिचाली का ढांचा बनाने से लेकर चक्षु दान करने तक वे बड़ी हिफाजत से मूर्ति गढ़ने का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि इस पांच महीनों पर कई बार ऐसा मौका आता है जब प्रतिमा को बारिश से बचाने के लिए अपने तो अपने बच्चों को बारिश से भींगना पड़ता है। सारी-सारी रात बैठे रहना पड़ता है। मूर्तिकार कार्तिक पाल ने बताया कि पंडाल से तो मां दुर्गा समेत गणेश, कार्तिक, सरस्वती और लक्ष्मी की प्रतिमाओं को विजया दशमी या इसके बाद विदा किया जाएगा, लेकिन हम जैसे मूर्तिकारों ने तो नवरात्र के पहले दिन से ही प्रतिमाओं को विदा करना शुरू कर दिया है।

Saturday, October 1, 2011

श्रीभूमि में महाआकाश और अहिरीटोला में भव्य पंडाल

शंकर जालान



कोलकाता। महानगर कोलकाता में दुर्गापूजा के पंडालों के उद्घाटन का सिलसिला शुरू हो गया है। उत्तर कोलकाता के वीआईपी अंचल के लेकटाउन इलाके में श्रीभूमि स्पोर्टिंग क्लब की ओर से इस बार महाआकाश व महाविश्व की थीम पर पूजा आयोजित की गई है। वहीं, बीके पाल रोड स्थित अहिरीटोला पार्क में अहिरीटोला सार्वजनीन दुर्गोत्सव कमिटी के बैनर तले महिषासुर की तर्ज पर भव्य पंडाल बनाया जा रहा है।
श्रीभूमि स्पोर्टिंग क्लब : लेक टाउन इलाके में क्लब के बैनर तले आयोजित पूजा की थीम है महाआकाश-महाविश्व। क्लब के सचिव अशोक बनिक ने बताया कि इस बार का पंडाल सुब्रत गंगोपाध्याय की परिकल्पना से बताया गया है। इन लोगों ने बताया कि उनके पंडाल में रखी प्रतिमा का साकार रूप दिया है मूर्तिकार सनातन रूद्र पाल ने। बिजली सज्जा के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हुगली जिले के चंदननगर के कारीगरों ने थीम के मुताबिक बिजली सज्जा की है। क्लब के वरिष्ठ सदस्य सुभाष मंडल ने बताया कि बीते साल 2010 में काल्पनिक राजबाड़ी नुमा पंडाल बनाया गया था। इससे पहले भी यानी 2009 में अक्षरधाम मंदिर और 2008 में सद्भावना की थीम पर पूजा आयोजित की गई थी। मंडल के मुताबिक बीते 10-12 सालों में श्रीभूमि स्पोर्टिंग क्लब की पूजा ने अच्छी-खासी ख्याति अर्जित की है। उन्होंने बताया कि क्लब को बेहतरीन साज-सज्जा, प्रतिमा और पंडाल के लिए अब तक दर्जनों सरकारी व गैरसरकारी संगठनों की ओर से पुरस्कृत किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि आठ अक्तूबर को प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा, लेकिन दुर्गोत्सव का समापन लक्ष्मी पूजा के बाद होगा।
अहिरीटोला सार्वजनीन दुर्गोत्सव कमिटी : शक्ति, गति और प्रगति की थीम, समुद्री तल, नारियल की रस्सी, टीन का पंडाल और हाथ रिक्शा का महत्व पर आधारित पूजा आयोजित करने वाली अहिरीटोला सार्वजनीन दुर्गोत्सव कमिटी ने इस बार महिषासुर की तर्ज पर भव्य और दर्शनीय पंडाल बनाया है। कमिटी के एक वरिष्ठ सदस्य विश्वजीत साहा ने बताया कि पूरी परिकल्पना गौरांग कुइली की और उन्हें की देख-रेख में पंडाल और प्रतिमा बनाने का काम संपन्न हुआ है। उन्होंने बताया कि श्रीगोपाल इलेक्ट्रिक के कारीगरों ने बिल्कुल थीम के मुताबिक इंद्रधनुषी बिजली सज्जा की है। उन्होंने बताया कि क्लब की ओर से आयोजित पूजा में प्रतिमा तो पारंपरिक ही रहती है, लेकिन पंडाल निर्माण में हर वर्ष बदलाव लाया जाता है। उन्होंने बताया कि यहां बीते 71 सालों से पूजा हो रही है और कमिटी को अब तक एशियन पेंट, बनिक शू, कारूकृति, यंग स्टार, जोड़ाबागान थाना, खबर एखून, संवाद प्रतिदिन, शालीमार समाज कल्याण अवार्ड समेत कई सम्मान मिल चुके हैं।
इस बीच, शुक्रवार शाम यूथ एसोसिएशन (मोहम्मद अली पार्क) के पूजा पंडाल का उद्घाटन राज्यपाल एमके नारायणन किया। इस मौके पर कई जानेमाने लोग बतौर अतिथि मौजूद थे। यह जानकारी एसोसिएशन के कार्यकारी अध्यक्ष रमेश लाखोटिया और प्रधान सचिव विनोद शर्मा ने दी। वहीं, पाथुरियाघाट पांचेर पल्ली (पाथुरियाघाट स्ट्रीट), विधाननगर सीके-सीएल ब्लॉक रेसिडेंड एसोसिएशन (साल्टलेक), श्रीभूमि स्पोर्टिंग क्लब (लेक टाउन), अहिरीटोला सार्वजनीन दुर्गोत्सव कमिटी समेत कई पूजा पंडालों का उद्घाटन हुआ।
शनिवार को यंग ब्वायज क्लब (ताराचंद दत्त स्ट्रीट) और सिंघी पार्क दुर्गा पूजा कमिटी के पूजा पंडाल का उद्घाटन होगा। यंग ब्वायज क्लब के पूजा पंडाल में केंद्रीय राज्य मंत्री सुदीप बंद्योपाध्याय व फिल्म अभिनेता सुनील सेष्ी और सिंघी पार्क दुर्गा पूजा कमिटी में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उपस्थिति रहेंगी।