Monday, June 3, 2013

धूएं में उड़ा धूम्रपान विरोधी दिवस

शंकर जालान
विश्व धूम्रपान विरोधी दिवस (31 मई) को महानगर और आसपास के इलाकों में ऐसे कई नजारे देखने को मिले, जिसे देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि सिरगेरट-बीड़ी पीने के आदि लोग धूम्रपान विरोधी दिवस को नि:संकोच धुआं उड़ाते रहे। केंद्र व राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अलावा विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों की ओर से धूम्रपान के खिलाफ लोगों को आगाह करने के बावजूद लोग खुले आम धुआं उड़ाते देखे गए। शहर में धूम्रपान विरोधी दिवस के मद्देनजर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। कहीं संगोष्ठी, कहीं सभा तो कही रैली निकाली गई। इन कार्यक्रम में लोगों ने धूम्रपान को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताते हुए इसे जानलेवा कहा। नेताजी सुभाष चंद्र बोस कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओर से धूम्रपान के खिलाफ जनजागरण अभियान चलाया गया। इस मौके पर कोलकाता के पुलिस आयुक्त आरके पचनंदा भी मौजूद थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन की सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक विश्व में हर साल तंबाकू से 5.4 मिलियन लोगों की मौत होती है। वहीं, एएमआरआई अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक प्रसनजीत चटर्जी के मुताबिक धूम्रपान जानलेवा है। उन्होंने कहा कि 90 से 95 फीसद लोगों को सिगरेट की वजह कैंसर होता है। इस मौके पर डॉ. आशीष मुखर्जी ने कहा कि सिगरेट के पैकेट पर चेतावनी प्रकाशित करने के बावजूद दिल्ली, मुंबई और चेन्नई के मुकाबले कोलकाता में सिगरेट पीने वालों की तादाद ज्यादा है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में हर साल कैंसर के 75 हजार नए मरीज सामने आ रहे हैं।एक सर्वेक्षण के मुताबिक तमाम तरह की चेतावनी और सिगरेट के पैकेट पर छपी गंभीर फोटो के बाद भी सिगरेट पीने वालों की तादाद में गिरावट नहीं आ रही है और यह चिंता का विषय है। व्यस्क युवकों के अलावा इनदिनों महिलाओं व किशोर में भी सिगरेट पीने का चलन बढ़ा है। इस एक मात्र कारण खुलेआम सिगरेट-बीडी की बिक्री माना जा रहा है। कानूनत: दुकानदार 18 वर्ष से कम के आयु के किशोर को सिगरेट-बीड़ी नहीं बेच सकते, लेकिन न तो दुकानदार इस कानून को मान रहे हैं और न ही किशोर सिगरेट-बीड़ी खरीदने व पीने से बाज आ रहे हैं।विशेषज्ञों के मुताबिक शहरों में युवाओं में धूम्रपान की आदत में लगातार इजाफा हो रहा है। अब लड़कियां भी इसमें पीछे नहीं। धूम्रपान का यह शौक कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों का कारण भी बन रहा है। लगातार धूम्रपान करने वाली लड़कियों में गर्भावस्था में बच्चे में विकार पैदा होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। हुक्का पीना इन दिनों शहर के युवाओं का नया शगल बन गया है। चिकित्सकों के मुताबिक हुक्के के धुएं से सांस की बीमारी और दूसरी समस्या होना आम है। आधुनिक युग में रॉक म्यूजिक, रंग-बिरंगी रोशनी, गड़ाड़ाहट की आवाज के साथ उठता धुआं। ब्रेफिक बिंदास युवा पीढ़ी गम के साथ खुशियों को भी सिगरेट और हुक्के के धुएं में उड़ा रही है। अपने भविष्य से अनजान ये युवा हर कश के साथ अनचाही बीमारियों को न्यौता दे रहे हैं। दुखद यह है कि सिगरेट के धुएं को लड़कों के साथ लड़कियां भी बिंदास अंदाज में उड़ा रही है। विशेषज्ञों ने बताया कि छोटी उम्र में धूम्रपान की आदत गर्भावस्था के समय परेशानी का कारण बनती है। मां बनने के समय बच्चे में इस धूम्रपान का बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और बच्चे में कई विकार दिखते हैं।डॉक्टरों का कहना है कि धुआं किसी भी प्रकार से लिया जाए वह फेफड़ों के लिए नुकसानदायक होता है। इससे सांस की बीमारी, फेफड़े कमजोर होना, खांसी, दमा और इंफेक्शन का खतरा सबसे ज्यादा होता है। हुक्का में धुएं उड़ाने की आदत युवाओं को सिगरेट और दूसरे व्यसनों की ओर बढ़ाती है। सिगरेट और गुटखा से फेफड़ों का कैंसर और ओरल कैंसर होते हैं। धूम्रपान से हृदय गति और याददाश्त कमजोर होना जैसी समस्या भी हो रही है।

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