Sunday, July 12, 2009

पश्चिम बंगाल - जमीन अधिग्रहण मामले में वाममोर्चा सरकार की हुई किरकिरी

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की वाममोर्चा सरकार को जमीन अधिग्रहण मामले में एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार (८ जुलाई) को राज्य सरकार की उस नोटिस को खारिज कर दिया, जिसमें राज्य सरकार ने ४७ कट्टा में फैले रवींद्र सरणी स्थित गणेश गढ़ को अधिग्रहण करने की बात कही थी। विगत दो सालों से लटके मामले में बुधवार को उस वक्त विराम लग गया, जब कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य ने राज्य सरकार की अपील को खरिज करते हुए यशोदा देवी लाखोटिया व अन्य के पक्ष में फैसला सुना दिया।
मालूम हो कि १९ जुलाई २००८ को महानगर के कुछ अखबारों में राज्य सरकार की ओर से एक अधिसूचना प्रकाशित कारई गई थी। जिसके अनुसार रवींद्र सरणी स्थित (रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के विपरीत) गणेश गढ़ की खाली हुई जमीन को अधिग्रहण करने की पेशकश की गई थी। अधिसूचना में इस बात का जिक्र किया गया था कि यहां (गणेश गढ़) बैथून कॉलेज के कुछ विभागों का स्थानांतरण किया जाएगा। इसलिए राज्य सरकार इसका अधिग्रहण करना चाहती है। इस अधिग्रहण के खिलाफ यशोदा देवी लाखोटिया ने ७ अगस्त २००८ को अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसका फैसला ७ जुलाई २००९ को उनके पक्ष में आया।
उल्लेखनीय है कि १९९५ में लाखोटिया परिवार ने गणेश गढ़ खरीदा था। उसके बाद सालों तक न्यायालय के चक्कर काटने और कई जद्दोजेहद झेलने के बाद उन्होंने यह मकान खाली करवाया था। तत्कालीन सांसद और माकपा नेता सुधांशु शील की इस खाली पड़े भूखंड पर नजर पड़ी और जब उनका निजी स्वार्थ पूरा नहीं हुआ तो उन्होंने इसकी अधिग्रहण की बात उछाल दी। इस बाबत शील की सह पर राज्य सरकार ने २००६ में माहेश्वरी विद्यालय के विस्तार के लिए गणेश गढ़ के अधिग्रहण बाबत अधिसूचना जारी की थी, जिसे लाखोटिया परिवार ने चुनौती दी और न्यायालय ने चुनौती पर गौर करते हुए राज्य सरकार की नोटिस को खारिज कर दिया।
बुधवार को न्यायाधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस अधिग्रहण के पीछे गलत मंशा है। अदालत में पेश किए गए कागजात के मद्देनजर यह समझ में आ गया है कि कॉलेज का विस्तार महज एक बहाना है यहां मुख्य मुद्दा जमीन के मालिक को परेशान करना हैं।
ध्यान देने वाली बात है कि रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के विपरीत बने गणेश गढ़ की जमीन पर जहां राज्य सरकार शिक्षण संस्थान बनाना चाह रही थी वहां के माहौल को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग शिक्षा के लिए प्रतिकुल बताया है इसीलिए अनुदान की सिफारिश पर रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के शिक्षण विभाग को रवींद्र सरणी से बीटी रोड स्थानांतरित कर दिया गया है।
मजे की बात यह है कि जिस बैथून कॉलेज की विस्तार की बात की जा रही थी उसकी प्रभारी भी मानती है कि बड़ाबाजार का भीड़भाड़ वाला इलाका उच्च शिक्षण संस्थान के निर्माण के नजिरए से अनुकूल नहीं है। लाखोटिया परिवार की तरफ से इस मामले की पैरवी एडवोकेट बीके बच्छावच, गौरीशंकर मित्रा, एस. पाल कर रहे थे, जबकि राज्य सरकार की ओर से बलाई राय और सुधांशु शील की तरफ से अशोक बनर्जी अपनी बात रख रहे थे।