Thursday, May 28, 2009

ये हैं कैबिनेट और स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री

मनमोहन सरकार के 14 कैबिनेट मंत्रियों, 7 स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्रियों और 38 राज्यमंत्रियों ने बृहस्पतिवार को शपथ ली। इनमें से 14 कैबिनेट मंत्रियों और 7 स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्रियों का परिचय इस प्रकार है :वीरभद्र सिंह : हिमाचल प्रदेश से कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में हैं। मंडी से जीतकर आए हैं। पांच बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वे 1962 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीते थे।विलासराव देशमुख : ग्राम पंचायत के सदस्य से शुरुआत कर महाराष्ट्र की दो बार कमान संभालने वाले कद्दावर मराठा नेता देशमुख को संसद के दोनों सदनों में से किसी का भी सदस्य नहीं होने के बावजूद केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। 26 मई, 1945 को लातूर जिले के बभलगांव में जन्मे देशमुख ने एलएलबी की पढ़ाई की है। उन्होंने युवावस्था में सूखा राहत से अपनी सामाजिक गतिविधियां शुरू कीं। महाराजा चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना कर कई शैक्षणिक संस्थान चलाने वाले देशमुख को पढ़ने, शास्त्रीय संगीत सुनने, वॉलीबाल और टेबल टेनिस का शौक है। उनके परिवार में उनकी पत्नी वैशाली, तीन पुत्र अमित, रितेश और धीरज हैं, जिनमें रितेश बॉलीवुड अभिनेता हैं। मुंबई में 26 नवंबर के आतंकवादी हमलों के बाद अपने पुत्र के साथ प्रख्यात निर्देशक रामगोपाल वर्मा को लेकर ताज होटल जाने के कारण विवादों से घिरे देशमुख को उसके बाद मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था।दयानिधि मारन : शौकिया हैम रेडियो ऑपरेटर दयानिधि को विरासत में राजनीति मिली है। उनके पिता मुरासोली मारन तमिलनाडु के कद्दावर नेता थे। मुख्यमंत्री एम करुणानिधि रिश्ते में उनके दादा हैं। दयानिधि के बड़े भाई कलानिधि मारन सन नेटवर्क के संस्थापक और प्रबंध निदेशक हैं। यह समूह दक्षिण भारत में चार भाषाओं में सबसे ज्यादा उपग्रह टेलीविजन चैनल चलाता है। चेन्नई के डॉन बॉस्को स्कूल से पढ़ाई करने वाले दयानिधि का जन्म 5 दिसंबर, 1966 को तंजावुर में हुआ। 14वीं लोकसभा के वह सदस्य थे और करुणानिधि परिवार में विवाद के कारण उन्हें पिछली सरकार से इस्तीफा देना पड़ा था। पिछले चुनाव में ही उन्होंने अपनी सम्पत्ति करीब 1.6 करोड़ रुपये घोषित की थी।मल्लिकार्जुन खड़गे : कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन गुलबर्ग से निर्वाचित होकर लोकसभा में दाखिल हुए हैं। लगातार नौ विधानसभा चुनाव जीतने का रिकार्ड बना चुके खड़गे आठ बार गुरमिटकल (सुरक्षित) विधानसभा सीट और एक बार चित्तपुर (सुरक्षित) विधानसभा सीट से जीते थे। खड़गे हालांकि अब भी राज्य की राजनीति में ही बने रहना चाहते थे, लेकिन पार्टी आलाकमान ने उन्हें 15वीं लोकसभा चुनाव में गुलबर्ग ग्रामीण सीट पर चार बार के सांसद भाजपा के रेवू नाइक बेलायगी के खिलाफ उतारा और उन्होंने नेतृत्व को निराश नहीं किया। केंद्रीय मंत्रिमंडल में उन्हें लिया जाना इसी विश्वास का तोहफा माना जा सकता है।ए राजा : तमिलनाडु के नीलगिरी संसदीय सीट से सांसद राजा पिछली सरकार में भी मंत्री थे।सुबोधकांत सहाय : रांची से सांसद हैं। पिछली सरकार में खाद्य एवं रसद मंत्री थे। वीपी सिंह की सरकार में गृह राज्यमंत्री थे।एमएस गिल : राज्यसभा सदस्य हैं। केन्द्र में खेल राज्यमंत्री। पूर्व में मुख्य चुनाव आयुक्त रहे हैं और पद्म विभूषण से सम्मानित हैं।जीके वासन : तमिल मानिला कांग्रेस के नेता जीके मूपनार के बेटे हैं। सोनिया गांधी के कहने पर कांग्रेस में पार्टी का विलय किया और राज्यमंत्री रह चुके हैं।पवन कुमार बंसल : चंडीगढ़ से सांसद बंसल पिछली सरकार में वित्त राज्यमंत्री रहे। इसके पहले उन्होंने लोकसभा में कांग्रेस के चीफ व्हिप की भूमिका अदा की है।कांतिलाल भूरिया : मध्यप्रदेश के झाबुआ से सांसद हैं। पिछली सरकार में कृषि और खाद्य एवं रसद मंत्री रहे।मुकुल वासनिक : महाराष्ट्र के रामटेक से निर्वाचत वासनिक को कांग्रेस संगठन में कार्य करने का खासा अनुभव हासिल है। पहली बार उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। वह कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य और पार्टी महासचिव हैं।कुमारी शैलजा : हरियाणा के दलित नेता चौधरी दलबीर सिंह की पुत्री कुमारी शैलजा पहली बार कैबिनेट मंत्री बनी हैं। 24 दिसंबर, 1962 को पैदा शैलजा अविवाहित हैं और उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से एमफिल की उपाधि हासिल की है। उन्होंने महिला कांग्रेस से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी और 1990 में इसकी अध्यक्ष बनीं। 1991 में वह पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुईं और नरसिम्हा राव सरकार में राज्यमंत्री बनीं। पिछली सरकार में वह आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्री थीं। वह अंबाला सीट से सांसद हैं।फारुक अब्दुल्ला : शेर-ए-कश्मीर के नाम से प्रख्यात शेख अब्दुल्ला के पुत्र फारुक अब्दुल्ला वैसे तो पेशे से डॉक्टर हैं, लेकिन राजनीति में उन्होंने अपनी अलग जगह बनाई है। हालांकि उनका राजनीतिक करियर विवादों से अछूता नहीं रहा है। 21 अक्तूबर, 1936 को जम्मू-कश्मीर के सौरा में पैदा हुए फारुक 1981 में नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष बने। 1984 में उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया गया। इससे पहले 1983 में उन्होंने कांग्रेस के साथ अपनी पार्टी के तालमेल से इंकार कर दिया था। 1987 में अब्दुल्ला कांग्रेस के साथ तालमेल कर चुनाव में उतरे। उन्होंने ब्रिटिश मूल की नर्स मोली से शादी की, जो ज्यादातर इंग्लैंड में रहती हैं। उनके पुत्र उमर अब्दुल्ला इस वक्त जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री हैं, जबकि मनमोहन सरकार में राज्यमंत्री बनने जा रहे सचिन पायलट उनके दामाद हैं।एम के अझागिरि : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के ज्येष्ठ पुत्र मथुवेल करुणानिधि अझागिरि को उनके पिता के राजनीतिक वारिस के तौर पर देखा जाता है, लेकिन सौतेले भाई एमके स्टालिन से उन्हें प्रतिस्पर्धा मिलती रहती है। अझागिरि करुणानिधि की दूसरी पत्नी दयालु अम्मल की संतान हैं। स्टालिन और अझागिरि की राजनीतिक लड़ाई उस समय सार्वजनिक हुई, जब करुणानिधि के बड़े पुत्र के समर्थकों ने मारन परिवार के स्वामित्व वाले सन टीवी समूह के अखबार दिनाकरन के दफ्तर पर हमला किया और आग लगा दी। अझागिरि को आपराधिक मुकदमों का भी सामना करना पड़ा है, लेकिन उन्हें द्रमुक के एक पूर्व मंत्री की हत्या के मामले में विश्वसनीय सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।
स्वतंत्र प्रभार वाले सात राज्यमंत्री
पृथ्वीराज चव्हाण : पिछली संप्रग सरकार में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री रहे चव्हाण को इस बार स्वतंत्र प्रभार वाला राज्यमंत्री बनाया गया है। उन्होंने राजस्थान के बिट्स पिलानी से बीई (ऑनर्स) और अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से एमएस किया है। 1991 में वह पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। फिलहाल वह राज्यसभा के सदस्य हैं।श्रीप्रकाश जायसवाल : उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की हालत पतली रहने के समय भी लोकसभा चुनाव जीतने वाले पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्रीप्रकाश जायसवाल पिछली सरकार में गृह राज्यमंत्री थे। कानपुर से सांसद जायसवाल को इस बार स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया है। 25 सितंबर, 1944 को उनका जन्म हुआ था।सलमान खुर्शीद : पेशे से वकील और लेखक सलमान खुर्शीद के पिता खुर्शीद आलम खां भी कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार थे। वह देश के तीसरे राष्ट्रपति डा जाकिर हुसैन के पौत्र हैं और दिल्ली के सेंट स्टीफन्स तथा ऑक्सफोर्ड के सेंट एडमंड हॉल से उनकी पढ़ाई-लिखाई हुई है। इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान वह प्रधानमंत्री कार्यालय में विशेष कार्य अधिकारी थे। बाद में वह विदेश राज्यमंत्री के पद पर भी रहे। दो बार उन्हें उत्तर प्रदेश में कांग्रेस संगठन का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इस बार वह फर्रुखाबाद लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए हैं।दिनशॉ पटेल : पिछली सरकार में पेट्रोलियम राज्यमंत्री रहे दिनशॉ को कांग्रेस ने 2007 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ मणिनगर सीट से उतारा था। वह हालांकि मोदी के हाथों पराजित हो गए, लेकिन पार्टी ने तब उन्हें राज्य के मुख्यमंत्री के दावेदार के तौर पर पेश कर दिया था। वह लगातार लोकसभा के लिए निर्वाचित होते आ रहे हैं।जयराम रमेश : रमेश को कांग्रेस के रणनीतिकारों में शुमार किया जाता है। वह राज्यसभा सदस्य हैं और पिछली सरकार में उन्होंने वाणिज्य राज्यमंत्री तथा ऊर्जा राज्यमंत्री का पद संभाला था। 2009 के आम चुनाव से पहले पार्टी की रणनीति तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उन्होंने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया था, लेकिन उनकी कुर्बानी पार्टी के काम आई और अब पार्टी ने उन्हें फिर मंत्री बनाकर पुरस्कृत किया है। उनका जन्म 9 अपैल, 1954 को कर्नाटक के चिकमंगलूर में हुआ था, लेकिन वह उच्च सदन में आंध्र प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हैं।कृष्णा तीरथ : राष्ट्रीय राजधानी में विधायक के तौर पर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाली कृष्णा तीरथ पहली बार केंद्र सरकार में मंत्री बनी हैं। 3 मार्च, 1955 को जन्मी कृष्णा प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। 14वीं लोकसभा के दौरान वह पीठासीन अधिकारियों के पैनल में शामिल थीं।प्रफुल पटेल : कांग्रेस के पूर्व प्रमुख नेता दिवंगत मनोहरभाई पटेल के सुपुत्र प्रफुल पटेल महाराष्ट्र के गोंडिया जिले से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन उनका जन्म 17 फरवरी, 1957 को कोलकाता में हुआ था। राजनीति में कदम रखने से पहले वह परिवार का व्यवसाय संभालते थे और उन्होंने वाणिज्य विषय से स्नातक तक की पढ़ाई की है। पटेल 34 साल की उम्र में 1991 में पहली दफा लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। उसके बाद वह लगातार जीतते रहे, लेकिन 1999 और 2004 में वह जनता का समर्थन नहीं पा सके। इस बार वह भंडारा गोदिया से निर्वाचित हुए हैं। पिछली सरकार में भी उन्हें स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री का दर्जा मिला था। वह सफल व्यवसायी हैं और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं।

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