Sunday, May 27, 2012

हिलेरी-ममता वार्ता






शंकर जालान






अमेरिका की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिटंन ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात कर भले ही ममता बनर्जी का राजनीतिक कद बढ़ा दिया हो, लेकिन संविधान विशेषज्ञ इसे परंपरा का उल्लंघन मान रहे हैं। जहां संविधान विशेषज्ञ इसकी वैधता पर सवाल उठाने लगे हैं। इस पर बहस तेज हो गई है कि कोई राज्य कैसे किसी दूसरे देश की विदेश मंत्री से सीधी बात कर सकता है? वहीं, माकपा के दो शीर्ष नेताओं ने कड़ी आपत्ति जताई। इनमें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट््टाचार्य व माकपा के राज्य सचिव विमान बसु प्रमुख हैं। दोनों नेताओं ने एक स्वर से हिलेरी क्लिंटन के साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुलाकात को लेकर आशंका जताई। माकपा नेताओं ने कहा कि  पश्चिम बंगाल में इसी विदेशी मेहमान की पसंद की सरकार सत्ता में आई है, इसीलिए वे (हिलेरी क्ंिलटन) यहां आई हैं। मालूम हो कि पिछले साल पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के समय अमेरिकी संस्था विकीलिक्स ने अपने एक खुलासे में भारत में अमेरिकी राजदूत के हवाले कहा था कि अमेरिका पश्चिम बंगाल में अपनी पसंद की सरकार स्थापित करना चाहता है। विकीलिक्स पर यह खुलासा 20 अप्रैल 2011 को हुआ था। साथ ही इसी खुलासे में यह भी कहा गया था कि 20 अक्तूबर 2009 को कोलकाता स्थित अमेरिकी कांसुल जनरल द्वारा भेजे एक संदेश में कहा गया था कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को भावी मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित करना होगा। माकपा नेताओं ने कड़े शब्दों में कहा कि भारत के अंदरुनी मामलों में अमेरिकी विदेश मंत्री के हस्तक्षेप को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जरूरी मुद्दों पर हिलेरी क्लिंटन को अगर कुछ कहना हो तो वे सीधे भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कहनी चाहिए।  
माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य सीताराम येचुरी ने यह मामला ससंद में भी  उठाया। हिलेरी-ममता की मुलाकात के ठीक बाद येचुरी ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान कहा कि केंद्र सरकार को इस पर तत्काल टिप्पणी करनी चाहिए। आखिर, ममता बनर्जी को किसी दूसरे देश की विदेश की मंत्री से सीधी वार्ता की इजाजत किसने दी। आमतौर पर भारतीय संविधान में ऐसी वार्ता की परंपरा नहीं है। यह पहला मौका है जब अमेरिका ने भारत के किसी राज्य सरकार से सीधी वार्ता की हो। संविधान के जानकार इसे भारत के आंतरिक मामलों में दखल करार दे रहे हैं। 
अमेरिकी विदेश मंत्री के दौरे पर एक पक्ष का यह भी कहना है कि आर्थिक तंगी से जूझ रहे पश्चिम बंगाल में अमेरिकी निवेश की संभावनाएं भी काफी बढ़ गई हैं।  लंबे अरसे बाद पहला मौका है जब किसी अमेरिकी विदेश मंत्री ने अपनी तीन दिवसीय भारत यात्रा के दो दिन कोलकाता में गुजारे हों और मुख्यमंत्री से मुलाकात की हो। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि इससे साफ है कि अमेरिका ममता बनर्जी और उनकी सरकार को जरूरत से ज्यादा महत्व दे रहा है। तभी तो हिलेरी ने भारत की राजधानी नई दिल्ली से पहले कोलकाता का दौरा किया। अपने दो दिवसीय दौरे में हिलेरी ने भारतीय संस्कृति परिषद की ओर से आयोजित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया। विक्टोरिया मेमोरियल देखने पहुंचीं।

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