Sunday, November 13, 2011

भले आदमी, लेकिन कमजोर प्रधानमंत्री हैं मनमोहन सिंह : आडवाणी

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता, पूर्व उपप्रधानमंत्री और
संभवत: भावी प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का कहना है कि नि:संदेह मनमोहन
सिंह भले आदमी हैं, लेकिन अफसोस इस बात का है कि वे अब तक के सबसे कमजोर
प्रधानंत्री साबित हुए हैं। अपनी 40 दिन और 7600 किलोमीटर की जन चेतना
यात्रा पर निकले आडवाणी बीते दिनों दो दिवसीय (20-21 अक्तूबर) दौरे पर
कोलकाता पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने एक जनसभा को संबोधित किया और
संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से मुखातिब हुए। आडवाणी ने अपने व्यस्त
कार्यक्रम के बावजूद शुक्रवार के लिए शंकर जालान से बातचीत की। पेश हैं
चुनिंदा अंश।

- देश की वर्तमान स्थिति पर आपका क्या कहना है ?
0 फिलहाल देश कई समस्याओं से जूझ रहा है। बेरोजगारी, अशिक्षा और आतंकवाद
से त्रस्त भारत में अब घोटालों की बाढ़ आ गई है। जहां तक मेरी जानकारी और
मेरा अनुभव है आजादी के बाद यानी 1947 से 2011 तक इन 64 सालों में देश का
सबसे बुरा हाल बीते कुछ सालों में हुआ है। बीते दो-ढाई साल के दौरान
उजागर हुए एक के बाद एक घोटालों ने तो देश को आर्थिक संकट में डाला ही,
साथ ही जनता की नजर में राजनेताओं के प्रति शक पैदा कर दिया। आलम यह है
कि जनता समझने लगी -राजनेता माने भ्रष्टाचारी।


- इसके लिए आप किसे दोषी मानते हैं?
0 निश्चित तौर पर कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन
(संप्रग) सरकार और उसकी गलत नीतियों को। मेरा मानना है कि जिस सरकार में
टू जी स्पेट्रम, आदर्श सोसाइटी, राष्ट्र मंडल खेल और एअर इंडिया समेत कई
घोटाले हुए हो उसे प्रगतिशील नहीं विनाशशील सरकार की संज्ञा देनी चाहिए।
मैं फिर कहता हूं कि यह बिल्कुल सही है कि मनमोहन सिंह एक भले आदमी है,
तो यह भी कदापि झूठ नहीं कि सबसे कमजोर प्रधानमंत्री भी। इतिहास गवाह है
जवाहरलाल नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक नजर दौड़ाएं तो साफ दिखाई देगा कि
सचमुच मनमोहन सिंह कमजोर प्रधानमंत्री हैं।


- जन चेतना यात्रा आपकी छठी यात्रा है, इसका मकसद क्या है?
0 सीधे, साफ, स्पष्ट शब्दों और संक्षित में कहूं तो भ्रष्टाचार के खिलाफ
देश की जनता को एकजुट करना।


- जन चतेना यात्रा और अपनी पिछली यात्राओं के बारे में कुछ विस्तार से बताएं?
0 देखिए, मैंने पहली यात्रा 1990 में निकाली थी, जिसका मकसद था अयोध्या
में रामलला के मंदिर के लिए लोगों को साथ लेना। सीधे तौर पर वह यात्रा
धर्म से जुड़ी थी और उसे भारी समर्थन भी मिला था। अब मैं देश के लिए 40
दिवसीय जन चेतना यात्रा पर हूं। इस यात्रा को पहली और पिछली सभी यात्राओं
से कहीं ज्यादा समर्थन मिल रहा है। इससे यह साफ हो जाता है कि आम आदमी
भ्रष्टाचार से त्रस्त है। 10 अक्तूबर को शुरू हुई जन चेतना यात्रा 20
नवंबर को समाप्त होगी और इस दौरान मैं 7600 किलोमीटर की दूरी तय करूंगा
और अपनी बात को लेकर देश के गांव-गांव, जिले-जिले में जाऊंगा। मैंने 1997
में स्वर्ण जयंती यात्रा के नाम से जो यात्रा निकाली थी, उसे में अच्छा
समर्थन मिला था।


- 1990 की रामलला यात्रा और 2011 की जन चेनता यात्रा में क्या फर्क है?
0 सबसे बड़ा फर्क तो 21 साल का अंतर है। इस दौरान मेरे राजनीतिक अनुभव में
इजाफा हुआ है। मैं समझ व महसूस कर रहा हूं- धर्म और राष्ट्र के लिए भारत
की जनता भाजपा के साथ है।


- देश का हर पांचवा आदमी अशिक्षित है, ऐसे में आपको लगता है कि लोग काले
धन, घोटाले, भ्रष्टाचार की बात व इसके कुप्रभाव को समझ पाएंगे और आगामी
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे?
0 यह सही है कि देश का औसत आदमी पढ़ा-लिखा नहीं है। बावजूद इसके ज्यादातर
लोग राजनीति समझ रखते हैं। मेरा विश्वास है कि आगामी लोकसभा चुनाव में
जनता कांग्रेस को नकार देगी और भाजपा को एक बार भी मौका।


- ऐसा आप इतने विश्वास से कैसे और किस आधार पर कह रहे हैं?
0 आधार बिल्कुल साफ है। भाजपा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक
गठबंधन (राजग) सरकार ने छह सालों में जितना काम किया, उतना कांग्रेस ने
साठ सालों में नहीं किया। अभी भी जिन-जिन राज्यों में भाजपा की सरकार है,
उनकी स्थिति उन राज्यों से कहीं बेहतर है, जहां कांग्रेस की सरकार है।


- जन चेतना यात्रा का मकसद प्रधानमंत्री की कुर्सी पाना तो नहीं है? क्या
आपको भावी प्रधानमंत्री के रूप में देखा जा सकता है?
0 जन चेतना यात्रा का मकसद प्रधानमंत्री बनना कतई नहीं है। प्रधानमंत्री
वही बनेगा, जिसे पार्टी नेतृत्व चाहेगा। आपको बता दूं 2009 में हुए
लोकसभा चुनाव में मुझे प्रधानमंत्री के रूप में प्रमोट किया गया था, वह
निर्णय पार्टी का ही था और अगला प्रधानमंत्री कौन बनेगा यह फैसला भी
पार्टी ही करेगी।


- हाल ही में एक अंग्रेजी दैनिक ने अण्णा हजारे की टीम की सदस्य किरण
बेदी को आरोपों के घेरे में खड़ा किया है। आप इस पर क्या कहेंगे?
0 मैं फिलहाल इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहना चाहता।


- अण्णा हजारे के मौन व्रत के पीछे क्या कोई रहस्य है?
0 यह मैं कैसे बता सकता हूं। अनशन पर रहना या मौन रहना व्यक्ति का अपना
अधिकार है। इस पर कोई टिप्पणी करना ठीक नहीं।


-सुना जा रहा है कि आपकी जन चेतना यात्रा को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
(आरएसएस) का समर्थन नहीं है, इसमें कितनी सच्चाई है?
0 मैं केवल इतना कहूंगा- यह सब मीडिया की उपज है। मुझे न तो इसकी
जानकारी है और न ही यात्रा के दौरान ऐसा महसूस हो रहा है।


-राइट टू रिकॉल पर आपकी क्या राय है?
0 मैं राइट टू रिकॉल के पक्ष में नहीं हूं। एक-दो छोटे देशों को छोड़कर
बाकी किसी देश ने इसे व्यवहार में नहीं लाया। मेरा मानना है कि भारत जैसे
विशाल देश में इसे लागू करना अस्थिरता को जन्म देना है। हां, मैं हर हाल
में चुनाव सुधार के पक्ष में हूं। विशेष कर चुनावों में इस्तेमाल किए जा
रहे धन बल को रोकने के संदर्भ में।


- कभी राजग के साथ रही ममता बनर्जी फिलहाल संप्रग के साथ है। राज्य में
हाल में हुए विधानसभा चुनाव में वाममोर्चा को हराकर सत्ता पर काबिज हुई
हैं। आप पश्चिम बंगाल में हुए सत्ता परिवर्तन को किस नजर से देखते हैं?
0 मैं मानता और जानता था कि ममता बनर्जी स्पष्टवादी हैं। उन्हें जो
नागवार लगता है वे साफ-साफ कर देती हैं, लेकिन संप्रग सरकार के कार्यकाल
में हो रहे घोटालों पर उनकी चुप्पी संदेहजनक है। जहां तक परिवर्तन की बात
है मुझे प्रदेश स्तर के नेताओं से पता चला है कि केवल सत्ता बदली है
स्थिति नहीं।


- आप भ्रष्टाचार के खिलाफ जन चेतना यात्रा पर हैं और आपकी पार्टी के नेता
व कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में। यह
विरोधाभास क्यों?
0 देखिए, भाजपा कभी भी भ्रष्टाचार के पक्ष में नहीं रही। यदुरप्पा के
खिलाफ जैसे ही लोकायुक्त की रिपोर्ट आई पार्टी नेतृत्व ने उन्हें पद
छोड़ने को कह दिया। आगे की जांच जारी है।

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