Sunday, June 5, 2011

वृक्ष धरा का हैं श्रंगार, इनसे करो सदा तुम प्यार

विश्व पर्यावरण दिवस आज

शंकर जालान


रविवार को विश्व पर्यावरण दिवस है, ऐसा दिवस जो दुनिया वालोंं को याद दिलाए कि उन्हें इस धरती के पर्यावरण को सुरक्षित रखना है। उसे अधिक बिगड़ने से रोकना है, उसे इस रूप में बनाए रखना है कि आने वाली पीढ़ियां उसमें जी सकें । अगर लोग पर्यावरण के विषय पर सजक नहीं हुए तो यह दिवस अपने उद्देश्य में शायद ही सफल हो पाएगा। जब तक लोग वृक्ष को धरती का श्रृंगार नहीं समझेंगे और हरियाली से प्यार नहीं करेंगे, तब तक पर्यावरण दिवस मनाना केवल औपचारिकता भर रहेगा। एक कवि ने कहा है-वृक्ष धरा का हैं श्रंगार, इनसे करो सदा तुम प्यार।इनकी रक्षा धर्म तुम्हारा, ये हैं जीवन का आधार।।कहने को तो दुनिया भर में वैश्विक स्तर पर अनेक दिवस मनाए जाते हैं। जैसे-इंटरनेशनल वाटर डे (22 मार्च), इंटरनेशनल अर्थ डे (22 अप्रैल), वर्ल्ड नो टोबैको डे (31 मई), इंटरनेशनल पाप्युलेशन डे (11 जुलाई), वर्ल्ड पॉवर्टी इरेडिकेशन डे (17 दिसंबर), इंटरनोनल एंटीकरप्शन डे (9 दिसंबर), आदि । इन सभी दिवसों का मूल उद्देश्य विभिन्न छोटी-बड़ी समस्याओं के प्रति मानव जाति का ध्यान खींचना हैं, उनके बीच जागरूकता फैलाना है, समस्याओं के समाधान के प्रति उनके योगदान की मांग करना है, लेकिन यह साफ-साफ नहीं बताया जाता है कि लोग क्या करें और कैसे करें ।जानकारों के मुताबिक पर्यावरण शब्द के अर्थ बहुत व्यापक हैं । सड़कों और खुले भूखंडों पर आम लोगों द्वारा फेंकी जाने वाली प्लास्टिक की थैलियों की समस्या पर्यावरण से ही संबंधित है । शहरों में ही नहीं, गांवों में भी विकसित हो रहे रिहायशी इलााके पर्यावरण को प्रदूषित ही करते हैं । भूगर्भ जल का असमिति दोहन अब पेयजल की गंभीर समस्या को जन्म दे रहा है। ऐसी तमाम समस्याओं के प्रति जागरूकता फैलाने की कोशिश की जा रही है, पांच जून को वर्ष में एक बार एक दिवस मनाकर । क्या जागरूकता की बात लगातार चलने वाली प्रक्रिया नहीं होनी चाहिए? एक दिन विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए पर्यावरण दिवस मनाना क्या कुछ ऐसा ही नहीं जैसे हम किसी का जन्मदिन मनाते हैं या कोई तीज-त्योहार ? एक दिन जोरशोर से मुद्दे की चर्चा करो और फिर 364 दिन के लिए उसे भूल जाओ ? ऐसा कर हम सही अर्थों में पर्यावरण की रक्षा नहीं कर पाएंगे।पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि इन दिनों पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग जैसी जटिल समस्या से लड़ने के उपाय ढूंढ रही हैं। वहीं, आप और हम अपनी दिनचर्या में थोड़ी सी सावधानी या बदलाकर पर्यावरण को बचाने में बड़ा योगदान कर सकते। प्रदूषण न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर की भयानक समस्या है। मनुष्य के आसपास जो वायुमंडल है वह पर्यावरण कहलाता है। पर्यावरण का जीवजगत के स्वास्थ्य और कार्यकुशलता से गहरा संबंध है। पर्यावरण को पावन बनाए रखने में प्रकृति का विशेष महत्व है। प्रकृति का संतुलन बिगड़ा नहीं कि पर्यावरण दूषित हुआ नहीं। पर्यावरण के दूषित होते ही जीव- जगत रोग ग्रस्त हो जाता है। इसीलिए कहा गया है-यदि शुद्ध हो पर्यावरण, यदि प्रबुद्ध हो हर आचरण।भय दूर होगा रोग का, संतुलित होगा जीवन- मरण।।इस बाबत कोलकाता नगर निगम के पर्यावरण विभाग के मेयर परिषद के सदस्य राजीव देव का कहना है कि जब सभी लोग जागरूक होंगे तभी पर्यावरण का संरक्षण हो सकेगा। फिर चाहे वह किसी भी माध्यम से हो हम चाहें पौधरोपण करें, जल संरक्षण करें या फिर ऊर्जा का संरक्षण करें। इसके लिए संकल्प की आवश्यकता होगी। संकल्प भी ऐसा जिसको हम पूरा कर सकें। वार्ड नंबर 22 की पार्षद मीनादेवी पुरोहित ने कहा कि ईश्वर ने जो प्रकृति रूपी वरदान हमें दिया है। उसको हम नागरिकों ने अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए नष्ट कर दिया। इसलिए मैं पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए रविवार को कुछ पौधे जरूर लगाऊंगी।

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