Saturday, May 5, 2012

पहनावे पर विवाद में पादरी




शंकर जालान



देश की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले कोलकाता के  शहर के एक पादरी आर्क बिशप को चर्च में महिलाओं का मॉडर्न ड्रेस में आना पसंद नहीं। उन्होंने बीते दिनों महिलाओंप्रार्थना के दौरान पारदर्शी, चुस्त और छोटे कपड़े पहन कर नहीं आने की नसीहत दी। उनका मानना है कि इससे प्रार्थना में भिग्न पैदा होता है। पदारी की यह नसीहत कई लोगों को नागवार गुजरी। इससे पहले किसी पदारी ने इस तरह की सीख नहीं दी थी। चर्च में इस तरह के ड्रेस कोड का यह देश का पहला मामला है। जिस पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है। कई महिलाइों ने इसे अपनी आजादी का हनन माना है।
बीते दिनों रोमन कैथोलिक चर्च के प्रधान आर्क बिशप थॉमस डिसूजा ने प्रार्थना के दौरान यह नसीहत देते हुए कहा था कि चुस्त व छोटे वस्त्र भद्दे दिखते हैं। उनका मानना है-पारदर्शी कपड़े भी लड़कियों की शालीनता का मजाक उड़ाते हैं। महिलाओं को वैसे कपड़े नहीं पहनने चाहिए, जिससे उनकी देह झलकती हो। विशेष कर प्रार्थना के समय तो ऐसे कपड़ों को बिल्कुल ही नहीं पहनने चाहिए। वैसे बिशप ने इस बाबत कोई फतवा जारी नहीं किया है। चर्च में आने वाली महिलाओं से सिर्फ अपील भर की है। उन्हें उम्मीद है कि इस अपील का असर पड़ेगा और महिलाएं चर्च में आते वक्त छोटे कपड़े पहनने से पहरेज करेंगी।
पादरी के इस बयान पर महानगर में ईसाई समुदाय के बीच तीखी प्रतिक्रिया हुई है। ईसाई समुदाय की युवतियों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि उनकी आजादी का हनन है। उनका धर्म बिशप को इस बात की इजाजत नहीं देता कि वह कोई ड्रेस कोड लागू करें। महानगर के प्रोटेस्टेंट ईसाई भी इस नसीहत को गैरजरूरी मान रहे हैं। कई अन्य चर्च के पादरी व ईसाई स्कूलों की प्रधानाध्यापिकाएं भीा बिशप की नसीहत से खफा हैं। इन लोगों का तर्क है कि आज के जमाने में हम सौ साल पुराने कपड़े पहनने को बाध्य नहीं कर सकते।
ध्यान रहे कि कोलकाता में ब्रिटिश राज के कुछ चुनिंदा क्लब ड्रेस कोड को अभी भी अहमियत देते हैं। समय-समय पर इसको लेकर विवाद भी होते रहे हैं। प्रख्यात बांग्ला चिज्ञकार शुभप्रसन्न को ऐसे ही एक क्लब ने धोती, कुर्ता और चप्पल के कारण प्रवेश से रोक दिया था। इसके बाद काफी बवाल मचा था।
जानकारों का मानना है कि पोशाक पहनने का अधिकार पूरी तरह से व्यक्तिगत है। जहां तक प्रार्थना सभा में मर्यादित कपड़े पहनने की बात है, लोगों को इस पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन जबरदस्ती महिलाओं या युवतियों पर किसी तरह का ड्रेस कोड लादना बिल्कुल उचित नहीं है।

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