Friday, July 8, 2011

पश्चिम बंगाल खुली स्वास्थ्य सेवाओं की पोल

शंकर जालान




बीते दिनों घटी महानगर कोलकाता के उत्तरी अंचल में स्थिति डा. विधानचंद्र राय शिशु अस्पताल सह मेडिकल कालेज (सरकारी) में दिल दहला देने वाली घटना ने न केवल पश्चिम बंगाल की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल दी है, बल्कि यह भी जग जाहिर कर दिया है कि राज्य के सरकारी अस्पताल खुद बीमार है। मात्र ४८ घंटों के दौरान १९ बच्चों की मौत ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जो स्वास्थ्य मंत्री भी हैं को सोचने पर मजबूर कर दिया है। ध्यान रहे कि २० मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही ममता ने महानगर की कई सरकारी अस्पतालों का औचक दौरा किया था और लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने का वादा भी। अस्पतालों के दौरों के एक महीना बीत जाने के बाद भी इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, लिहाजा कई माताओं की गोद अवश्य सुनी हो गई।
महानगर में यह पहली बार नहीं है जब एक साथ इतनी बड़ी संख्या में इलाजरत शिशुओं की मौत हुई है। नौ वर्ष पहले यानी 2002 में भी तीन दिन के भीतर इसी अस्पताल में 32 बच्चों ने दम तोड़ा था। इस बार ४८ घंटों में १९ बच्चों की मौत हुई है। इतनी बड़ी संख्या में इलाजरत शिशुओं की मौत की जिम्मेदारी लेने के लिए अस्पताल का कोई भी अधिकारी तैयार नहीं है। बहरहाल अस्पताल के अधीक्ष डा. डीके पाल ने कार्रवाई से आशंकित होकर खुद ही इस्तीफे की पेशकश की, लेकिन वे भी सीधे तौर पर जिम्मेदारी मानने को तैयार नहीं है। हद तो तब हुई जब यहां एक वरिष्ठ अधिकारी ने चिकित्सकीय लापरवाही या गड़बड़ी की बात स्वीकार करने की बजाए पर इसे एक सामान्य घटना बता दिया। अधिकारी ने कहा कि यह एक बाल चिकित्सालय है यहां रोजाना ही दो-चार-छह शिशुओं की मौत होती है, लेकिन एक साथ इतनी अधिक संख्या में मौत बड़ी और सनसनीखेज खबर है। अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि मारे गए किसी नवजात या शिशु के अभिभावक ने चिकित्सकीय लापरवाही की कोई अधिकृत शिकायत दर्ज नहीं कराई है, लेकिन फिर भी मामले की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गई है। वहीं अस्पताल व मेडिकल कालेज प्रबंधन के अधिकारियों के परस्पर विरोधाभासी बयानों से भी मामला उलझता जा रहा है। अस्पताल के मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल मृणाल चटर्जी ने कहा कि अस्पताल में न ही बुनियादी सुविधाओं की कमी है न ही चिकित्सकों का अभाव। वहीं अस्पताल के अधीक्षक डा. डीके पाल ने बुनियादी ढांचे में कमी की बात स्वीकारी । पाल ने इस्तीफे की पेशकश की है लेकिन सरकार ने अभी तक इस बारे में कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है।
चिकित्सा क्षेत्र के जानकारों के मुताबिक अस्पताल का अपना ब्लड बैंक नहीं है और कई जरूरी उपकरणों की भी कमी है। जानकारों ने सवाल खड़ा किया कि १२५ डाक्टरों और २०० नर्सो की फौज वाले डॉ. विधानचंद्र राय शिशु अस्पताल में बार-बार इतनी बड़ी तादाद में बच्चे क्यों मौत के मुंह में समा जाते हैं और इसके लिए सीधे तौर पर कोई जिम्मेदार भी नहीं ठहराया जाता।
राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी माकपा के राज्य सचिव विमान बसु ने राज्य के मुख्यमंत्री व स्वास्थ्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए विधानचंद्र राय शिशु अस्पताल में एक साथ हुई १९ शिशुओं की मौत के लिए राज्य की नई तृणमूल सरकार की कड़ी आलोचना की है।
दूसरी ओर, बच्चों के परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों ने इलाज में लापरवाही बरती जबकि अस्पताल प्रशासन खुद को निर्दोष बता रहा है। परिजनों का कहना है कि चिकित्सकों की अनदेखी के कारण उनके घर के चिराग बुझ गए। दिल को रुलाने वाली इस घटना से गुस्साए परिजनों ने पहले तो डॉक्टरों पर नाराजगी जताई , उसके बाद सड़क पर जाम लगाया और फिर कोई सुनवाई न होते देख बेकाबू होकर अस्पताल में जमकर तोड़फोड़ की। हालात काबू करने के लिए पुलिस ने कई बार लाठियां चलाईं। इस बीच स्थिति की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार जांच के आदेश दिए हैं। इस बाबत दो डॉक्टरों की एक टीम बनाकर उसे २४ घंटों के भीतर रिपोर्ट दर्ज करने को कहा गया है।
ध्यान रहे कि विधानचंद्र राय शिशु अस्पताल कोलकाता और आसपास के इलाक़े में बच्चों का एकमात्र बड़ा सरकारी अस्पताल है। इस अस्पताल में आसपास के गांवों और कस्बों से बीमार बच्चों को भेजा जाता है.
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि जिन बच्चों की मौत हुई है वो गंभीर हालत में अस्पताल में लाए गए थे और इलाज में कोई कोताही नहीं बरती गई है। दूसरी ओर बच्चों के परिजनों का आरोप है कि अस्पताल ने इलाज़ में लापरवाही बरती है जिसके कारण बच्चों की मौत हुई है।
अभिभावकों का कहना है कि यह अस्पताल एक बार फिर बच्चों की कब्रगाह साबित हुआ। मौत की नींद सोए १९ शिशुओं में १६ की आयु एक से पांच दिन की थी, इन्हें राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से इलाज के लिए यहां लाया गया था।
हास्पिटल में गुरुवार सुबह तकरीबन १० बजे हड़कंप मच गया, जब लोगों को पता चला कि अस्पताल में भर्ती १५ बच्चों की एक साथ मौत हो गई है। खबर मिलते ही इलाजरत तमाम शिशुओं के परिजन और रिश्तेदार अस्पताल पहुंचे। माताओं के विलाप के बीच परिजनों (पुरुष सदस्यों) और अन्य लोगों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए तोड़फोड़ शुरू कर दी। दोपहर करीब १२ बजे दो और शिशुओं की मौत की खबर के बाद स्थानीय नागरिक भी पीडि़तों के साथ शामिल हो गए। चिकित्सक मृणालकांति चटर्जी ने कहा, १२ बच्चों की मौत बुधवार को हुई, छह बच्चों ने वृहस्पितवार और एक बच्चे ने शुक्रवार तड़के दम तोड़ा। उन्होंने कहा, अधिकांश बच्चे कम नजन (अंडरवेट) थे। इन्हें किडनी, लीवर की गड़बड़ी, रक्ताल्पता, सेप्टिसीमिया जैसी गंभीर तकलीफों के बाद विभिन्न अस्पतालों से इलाज के लिए यहां लाए गए थे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस घटना को बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि गठित टीम की रिपोर्ट आने पर दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा ताकि दूसरे लोग इससे सबक ले सके।
एक निजी टेलिवजीन से बातचीत में ममता बनर्जी ने अस्पतालों में चिकित्सा की बुनियादी जरूरतों को नजरअंदाज करने के लिए वाम मोर्चा के शासन को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि अस्पताल में चिकित्सा की बुनियादी जरूरतों का ध्यान नहीं रखा गया है। इस तरह की घटनाएं वाममोर्चा के शासनकाल में पहले भी हो चुकी हैं।
उन्होंने माना कि बुनियादी जरूरतों को शीघ्र पूरा नहीं किया जा सकता। नई मशीनों को खरीदने के लिए प्रक्रियाओं का पालन करना होता है जिसमें समय लगता है।
हालांकि मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार ने चिकित्सा ढांचे को व्यवस्थित करने के लिए अल्प एवं मध्यावधि योजनाओं का खाका तैयार किया है।
ममता बनर्जी चाहे जो दलील दे, लेकिन जिन माताओं ने अपने लाल (बच्चे) खोए हैं, उन्हें विश्वास में लेना उनकी लिए डेढ़ी खीर से कम नहीं होगा। वे मां जिनकी गोद सुनी हो गई है वे यह कभी नहीं भूल पाएंगी कि अग्निकन्या के गद्दी संभालने के सवा महीने के भीतर ही उनके जिगर का टुकड़ा राज्य के लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की भेंट चढ़ गया।
राज्य सरकार और अस्पताल प्रबंधन चाहे जितनी सफाई दे। विपक्ष इस घटना के लिए जितनी चाहे सरकार की आलोचना करे, लेकिन इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता है उन माताओं के बच्चों की मौत से अश्वधामा जैसा धावा मिला है, जो न कभी भरेगा और न ही सुखेगा।
दूसरी ओर, मध्य कोलकाता के चित्तरंजन एवेन्यू स्थित मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक महिला मरीज के पैर की अंगूली चूहे ने खा ली। वहीं, नदिया जिले के कल्यानी इलाके में किडनी तस्करी का गिरोह चलाने के आरोप में 2 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार रेल सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने उन्हें कल्याणी स्टेशन से पकड़ कर पुलिस के हवाले किया। आरपीएफ का कहना है कि ये दोनों किडनी तस्करी का गिरोह चलाते थे।

No comments:

Post a Comment