Tuesday, March 15, 2011

आंस मूंद कर वोट नहीं डालना चाहते नए मतदाता

शंकर जालान कोलकाता, राज्य में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एक ओर जहां विभिन्न राजनीतिक पार्टियों अपनी रणनीति बनाने में जुटी हैं। दूसरी ओर, यह चर्चा शबाब पर है कि चुनावी नतीजों का ऊंट इस बार किस करवट बैठेगा। हालांकि समाचार लिखे जाने तक वाममोर्चा ने 292 और भाजपा ने 106 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी थी, जाकि कांग्रेस व तृणमूल कांग्रेस के गठांधन पर सशंय बरकरार था। इस बीच, जो लोग पहली बार वोट डालेंगे यानी पहली बार मताधिकार का प्रयोग करने वाले नए मतदाताओं का कहना है कि वे आंख मूंद कर वोट डालने के पक्ष में नहीं हैं। इस बाबत जोड़ासांकू, श्यामपुकुर, काशीपुर और चौरंगी विधानसभा क्षेत्र के कई नए मतदाताओं से बातचीत की गई तो इन लोगों ने सपाट शब्दों में उत्तर दिया कि वे अपने मताधिकार का प्रयोग करने से पहले भली-भांति सोच-विचार करेंगे। पिता, भाई, मां और भाभी तरह किसी के कहने या दवाब में आकर वोट नहीं डालेंगे। इन लोगों के चेहरे पर मतदाता बनने की खुशी साफ झलक रही थी, लेकिन नए मतदाताओं इस दिशा में भी सचेत थे कि उनका वोट गलत पार्टी या गलत उम्मीदवार के पक्ष में न चला जाए। जोड़ासांकू और श्यामपुकुर विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न स्कूलों के उन छात्र-छात्राओं से जो पहली बार मतदान का करेंगे से पूछा गया कि कैसा उम्मीदवार चाहते हैं? आपकी नजर में एक विधायक की क्या प्राथमिकता होनी चाहिए? इसके जवाब में जोड़ासांकू विधानसभा क्षेत्र के नए मतदाताओं अरविंद अग्रवाल (सनातन धर्म विद्यालय), राजीव तिवारी (कमला शिक्षा सदन), रश्मि दम्मानी (सावित्री पाठशाला) और अनूप सोनकर (श्री डीडू माहेश्वरी पंचायत विद्यालय), श्यामपुकुर विधानसभा क्षेत्र के अमित शर्मा (एसबी मार्डन हाई स्कूल), श्वाती सिंह (बालकृष्ण विठ्ठलनाथ बालिका विद्यालय), सुब्रत भट्टाचार्य (श्यामबाजार एबी स्कूल) और तरुण दास (शलेंद्र सरकार स्कूल) ने कहा कि जीत-हार बाद की बात है। सबसे पहले हर पार्टियों को साफ-सुथरी छवि वाले, कर्मठ और ईमानदार लोगों को टिकट देना चाहिए। अगर हर राजनीतिक पार्टी अपनी इस जिम्मेदारी को ईमानदारी से निभाती है तो फिर मतदाताओं के लिए बहुत कुछ साफ हो जाता है। इन लोगों ने कहा कि उम्मीदवार ऐसा होना चाहिए, जिसपर आम आदमी अंगूली नहीं उठा सके। रही बात चुनाव जीतकर विधायक बनने की तो हम ऐसे उम्मीदवार को जीताना पसंद करेंगे, जो बाहुबलि नहीं बुद्धिबलि हो। लोगों के सुख-दुख में साथ देने वाला है। क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता देने वाला हो। इन लोगों के कहा कि वे आंख मूंद पर मतदान करने की बजाए सोच-समझ कर मतदान करने में विश्वास करते हैं। इनके मुताबिक इन्हें पहली बार जो जिम्मेवारी मिली उसके निर्वाह में कोई चूक न हो जाए इस बात का पूरा ध्यान रखेंगे। क्या परिवर्तन संभव है और है तो क्यों? वर्तमान सरकार में क्या खामियां लग रही है? जो पार्टी सत्ता हासिल करने का दावा कर रही है क्या वह वर्तमान सरकार के बेहतर काम कर पाएगी? इन सवालों के जवाब में काशीपुर व चौरंगी विधानसभा के नए मतदाताओं ने बताया कि सत्ता परिवर्तन से जरूरी है नीति का बदलाव। काशीपुर विधानसभा क्षेत्र के प्रदीप त्रिपाठी (पुजारी), शंकर गोयनका (कपड़ा व्यापारी), राहुल चौधरी (चायपत्ती दुकान का कर्मचारी), रवींद्र प्रसाद (किराना दुकान में काम करने वाला) और चौरंगी विधानसभा इलाके के सरोज गुप्ता ( दवा दुकान में काम करने वाली), दीप्ति नायर (आभूषण दुकान का कर्मचारी), रत्नेश बालासरिया (मिठाई दुकान का मालिक) व चंद्रशेखर रतेरिया (दर्जी) ने बताया कि वाममोर्चा की सरकार बीते 35 सालों से राज्य में सत्तासीन है और यह लाजिमी है कि इतने लंबे शासनकाल में कुछ गलतियां हो गई है, लेकिन सरकार बदलने से ज्यादा अच्छा है कि सरकार को उसकी गलती का एहसास दिलाया जाए। इन लोगों ने कहा कि जो पार्टी परिवर्तन का दावा कर रही है उसकी नेत्री के अलावा उस पार्टी के अन्य किसी नेता पर भरोसा नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही यह दावा में खोखला ही लगता है कि अगर तृणमूल कांग्रेस की अगुवाई में सरकार बनी तो उससे कोई चूक नहीं होगी। इन लोगों के मुताबिक नए उम्मीदवारों को विजयी बनाना उनकी प्राथमिकता रहेगी। इसका कारण पूछने पर इन लोगों ने कहा कि नए लोगों को कुछ करने की इच्छा रहती है और उनका विश्वास है कि पुराने उम्मीदवारों की तुलना में नए उम्मीदवार ज्यादा कारगर साबित होंगे।

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