Wednesday, March 23, 2011

कांग्रेस व तृणमूल कांग्रेस में अभी भी है असमंजस की स्थिति

विधानसभा चुनाव -२०११

शंकर जालान
कोलकाता । कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारें के मुद्दे पर सहमति हो जाने के बाद भी दोनों दलों के कई नेता व समर्थक इसे मानने को तैयार नहीं है। वाममोर्चा के खिलाफ कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस के बीच सीटों के तालमेल पर काफी हद तक सहमति हो जाने के बावजूद असमंजस की स्थिति अभी बनी हुई है, जिससे दोनों पार्टी के कई वरिष्ठ नेता, विधायक सहित राजनीतिक कार्यकर्ता किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। एक ओर जहां एसयूसीआई 19 सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करने का एलान कर कांग्रेस-तृणमूल कांग्रेस की मुसीबत बढ़ा दी है। वहीं, भाजपा ने राज्य की सभी 294 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर कांग्रेस-तृणमूल के लिए दिक्कत और वाममोर्चा के लिए सहूलियत कर दी है। राजनीतिक हलकों में फिलहाल चर्चा यही है कि आने वाले दिनों में कुछ और फेरबदल संभव है।
राजनीति के जानकारों के मुताबिक विपक्ष जितने भागों में बंटेगा, वाममोर्चा के लिए आठवीं बार सरकार बनाने का रास्ता उतना ही सहज होगा। लोगों का कहना है कि वाममोर्चा के वोट लगभग फिक्स हैं यानी जो मतदाता वाममोर्चा उम्मीदवारों को वोट देते आ रहा है वह उसे ही वोट देना। वाममोर्चा के मतदाता अन्य राजनीति दलों के शब्जबाग और झांसे में आने वाले नहीं है। जबकि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी समेत अन्य राजनीति दलों के मतदाता अवसर और उम्मीदवार के साथ-साथ विभिन्न चुनावों को ध्यान में रखते हुए अपने मताधिकार का इस्तेमाल करते हैं।
मालूम हो कि मुख्य रूप से कांग्रेस (65) और तृणमूल कांग्रेस (229) के बीच सीटों के बंटवारे पर सोमवार को सहमति हो गई थी, जिसके बाद संभावना चुनावी रणनीति और तस्वीर के साफ होने की जताई जा रही थी, लेकिन इस गठजोड़ के खिलाफ विभिन्न खेमो से अलग-अलग आवाज सुनाई देने से संशय और असमंजस बढ़ता ही जा रहा है। कांग्रेस के सांसद अधीर चौधरी (मुर्शिदाबाद), सांसद दीपा दासमुंशी (जलपाईगुड़ी) के अलावा विधायक राम प्यारे राम, पूर्व विधायक शंकर सिंह ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। अधीर चौधरी जहां अलग से उम्मीदवार खड़ा करने की बात कह रहे हैं। वहींंं, राम प्यारे राम ने निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। इसके अलावा मध्य कोलकाता के जोड़ासांकू विधानसभा सीट से शांतिलाल जैन उम्मीदवार बनाने से तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेताओं में नाराजगी है। माना जा रहा है कि तृणमूल में जारी असंतोष की वजह से कई सीटों पर अभी यह स्थिति नहीं बन पाई है कि उम्मीदवार बेखटके चुनाव प्रचार में जुट सके, क्योंकि समीकरण के अभी कई और करवट लेने की संभावना व्यक्त की जा रही है। खास तौर पर प्रदेश स्तर पर तृणमूल कांग्रेस द्वारा अपने कोटे से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को एक सीट देने के बाद ऐसे दसों की उम्मीद और बढ़ गई है, जिनका प्रदेश स्तर पर तो कई विशेष जनाधार नहीं है, लेकिन गठबंधन की राजनीति का फायदा उठाने को उनके आका सक्रिय हो उठे हैं। ऐसे दलों में झारखंड नामधारी पार्टियों के साथ जनता दल यूनाइटेड जैसे दलों को शामिल किया जा रहा है, जो आगामी चुनाव में गठबंधन की संभावनाएं तलाश रहे हैं। हालांकि इस बाबत इन दलों के नेता ऐसे सवालों पर कुछ कहने से साफ इंकार करते हैं।

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