Wednesday, March 16, 2011

...और सबकी नजर अब जोड़ासांकू विधानसभा क्षेत्र पर

शंकर जालानकोलकाता, 16 मार्च। पश्चिम बंगाल में अप्रैल-मई में होने वाला विधानसभा चुनाव इस बार कई मायने में अहम है। एक ओर जहां तृणमूल कांग्रेस परिवर्तन का दावा कर रही है। वहीं, वाममोर्चा विकास के मुद्दे की उम्मीद के साथ की आठवीं बार फिर राइटर्स पर उनका कब्जा करने की बात कह रहा है। राजनीतिक दलों के आरोप-प्रत्यारोपों के बीच इस बार के विधानसभा में परिसीमन की भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यूं तो परिसीमन का असर पूरे राज्य और लगभग सभी 294 विधानसभा सीटों पर पड़ा है, लेकिन पश्चिम बंगाल की राजधानी यानी कोलकाता के हृदयस्थल वृहत्तर बड़ाबाजार में इसका खासा असर पड़ा है। 2006 में हुए विधानसभा चुनाव में वृहत्तर बड़ाबाजार में जोड़ाबागान, जोड़ासांकू और बड़ाबाजार नामक तीन विधानसभा क्षेत्र थे, लेकिन इस बार जोड़ाबागान और बड़ाबाजार विधानसभा सीटें परिसीमन की भेंट चढ गई है। लिहाजा केवल जोड़ासांकू क्षेत्र रह गया है। बीते विधानसभा चुनाव में जोड़ाबागान से माकपा के परिमल विश्वास, जोड़ासांकू से तृणमूल कांग्रेस दिनेश बजाज और बड़ाबाजार से वाममोर्चा समर्थित राजद से मोहम्मद सोहराब ने जीत दर्ज की थी। इस बार बड़ाबाजार और जोड़ाबागान नामक कोई विधानसभा सीट या क्षेत्र नहीं है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि वृहत्तर बड़ाबाजार का नेतृत्व, विकास और विधानसभा में इस इलाके की समस्याओं को उठाने की जिम्मेवारी जोड़ासांकू के विधायक की होगी। इसलिए भाजपा हो या कांग्रेस या फिर तृणमूल कांग्रेस समेत अन्य राजनीति दल भी इस क्षेत्र के उम्मीदवार का नाम एलान करने के पहले अनुकूल-प्रतिकुल स्थिति को भांपना चाहते हैं। हालांकि इन सबसे अलग माकपा ने यहां से न केवल जानकी सिंह को उम्मीदवार बनाने की घोषणा की है, बल्कि पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनके (जानकी सिंह) के पक्ष पर प्रचार भी शुरू कर दिया है।तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के बीच गठबंधन क्या मोड़ लेगा यह कहना फिलहाल मुश्किल है। समाचार लिखे जाने तक इस सिलसिले में स्थिति साफ नहीं हो पाई थी। भाजपा भी फिलहाल जोड़ासांकू क्षेत्र के उम्मीदवार के बारे में अभी पत्ता खोलने के मूड़ में नहीं है। यहां इतना जरूर माना जा रहा है कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच गठबंधन हो या नहीं, तृणमूल कांग्रेस जोड़ासांकू सीट अपने कोटे में ही रखेगी और लगभग यह भी तय है कि पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी की मंशा वर्तमान विधायक दिनेश बजाज को इस बार टिकट देने की नहीं है। इस बारे में तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि बीते पांच सालों के दौरान वर्तमान विधायक बजाज ने निजी प्रचार को महत्त्व देने के साथ-साथ कई ऐसे कार्यों को अंजाम दिया है, जो पार्टी के दिशा-निर्देश के मुताबिक उन्हें नहीं करने चाहिए थे। सूत्रों का यह भी कहना है कि ममता बनर्जी काफी पहले ही बजाज को पार्टी से निकाल सकती थीं, लेकिन विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस के विधायकों की तकनीकी संख्या ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। सूत्रों ने बताया कि बजाज को यह आभास हो गया था कि तृणमूल कांग्रेस से इस बार उन्हें टिकट नहीं मिलने वाला है, इसलिए उन्होंने वाममोर्चा से संपर्क बढ़ाया था, लेकिन वाममोर्चा को वह घटना याद थी, जब दिेनेश बजाज के पिता सत्यनारायण बजाज को 2001 में फारवर्ड ब्लॉक से उम्मीदवार बना दिया गया था और इसके बाद उन्होंने पाला बदल लिया और तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। इसी के मद्देनजर वोममार्चा ने बजाज के संपर्क गंभीरता से नहीं लिया और ममता बनर्जी को बजाज की करतूत का एक और सुराग मिल गया। सुना जा रहा है कि तृणमूल कांग्रेस का एक वर्ग यहां से काशीपुर के विधायक तारक बनर्जी को उम्मीदवार बनाना चाहता है। वहीं पार्टी का एक वर्ग वार्ड नंबर 44 की पार्षद रेहाना खातून को। पार्टी सूत्रों के मुताबिक नि:संदेह तारक बनर्जी रेहाना खातून से वरिष्ठ और अनुभवी हैं, लेकिन अगर बात जोड़ासांकू विधानसभा क्षेत्र की कि जाए गए बनर्जी की तुलना में रेहाना खातून भारी पड़ेंगी। हालांकि इस बाबत अंतिम फैसला पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी को लेना है। सूत्रों ने बताया कि माकपा ने महिला (जानकी सिंह) को उम्मीदवार बनाया है। सुना जा रहा है कि भाजपा भी यहां से महिला को उम्मीदवार बनाने के पक्ष में है। इस बाबत वार्ड नंबर 22 की पार्षद व पूर्व डिप्टीमेयर मीनादेवी पुरोहित के नाम पर विचार-विमर्श हो रहा है। इसीलिए ममता बनर्जी भी यहां से महिला उम्मीदवार खड़ा करना चाहती है। इस गणित से भी रेहाना खातून के दावेदारी बनती है।चर्चा यह भी कि हाल ही में राजद से नाता तोड़ जनता दल (यू) में शमिल हुए बड़ाबाजार के वर्तमान विधायक मोहम्मद सोहराब के लिए भाजपा यह सीट छोड़ सकती है। इस बाबत भाजपा सूत्रों का कहना है कि बिहार में भाजपा और जनता दल (यू) साथ-साथ है तो बंगाल में होने में क्या हर्ज है। वहीं, सूत्रों ने यह भी बताया कि तृणमूल कांग्रेस का टिकट नहीं मिलने की चर्चा से मायूस दिनेश बजाज ने वाममोर्चा से संपर्क बढ़ाया था, लेकिन वहां से सकारात्मक उत्तर नहीं मिलने पर अब उनका ध्यान भाजपा की तरफ है। इस बाबत प्रदेश भाजपा के नेता रितेश तिवारी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि आज तक इस बात में कोई सच्चाई नहीं है। हां हो सकता है कि कल यह बात सच साबित हो जाए।

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