Friday, August 5, 2011

आर्डर के इंतजार में कुम्हारटोली के मूर्तिकार

शंकर जालान


कोलकाता। दुर्गा पूजा में अब एक सौ दिन से भी कम रह गए हैं। उत्तर कोलकाता स्थित कुम्हारटोली के मूर्तिकारों को इन दिनों आर्डर का इंतजार है। कुम्हारटोली के मूर्तिकारों ने बताया कि दुर्गापूजा के मद्देनजर इस बार करीब साढ़े नौ से मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है। बांस और बिचाली का ढांचा बनाकर उस पर मिट््टी चढ़ाने का काम पूरा कर लिया गया है, लेकिन अभी तक केवल पांच मूर्तिकारों के 10-15 मूर्तियों बाबत आर्डर व अग्रिम भुगतान का आर्डर मिला है। शेष 38 मूर्तिकार अभी भी आर्डर के इंतजार में हैं।
प्रसिद्ध मूर्तिकार सनातन पाल ने बताया कि वे इस बार विभिन्न आकार और थीम की कुल 38 प्रतिमा बना रहे हैं और अभी तक दक्षिण कोलकाता की दो पूजा कमिटियों ने मूर्तियां बुक कराई है। उन्होंने बताया कि आजकल एकरूपता का जमाना है, इसीलिए कई आयोजक इन दिनों अपनी पसंद की मूर्ति को बुक करवा लेते हैं और इसके आगे का काम हम बिजली सज्जा और पंडाल बनाने वालों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद करते हैं, ताकि पंडाल, विद्युत सज्जा और प्रतिमा में एक रूपता लगे।
महिला मूर्तिकार चायना पाल ने बताया कि मैं केवल एक चाल (एक साथ पांचों मूर्ति) की प्रतिमा बनाती हूं। इस बार 42 मूर्तियां बना रही हूं और अभी तक तीन मूर्तियां बुक हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा बनाई गई पारंपरिक मूर्तियां पंडाल की तुलना में घरों में अधिक जाती है। इसके कारण का खुलासा करते हुए पाल ने बताया कि मैं मूर्तियों के निर्माण में प्रयोग करने में विश्वास नहीं रखती। इसीलिए क्लब या संगठनों वाले मेरी मूर्तियों को उतना महत्व नहीं देते, जितना घरों में पूजा आयोजित करने वाले लोग देते हैं।
कृष्ण दास नामक एक अन्य मूर्तिकार ने बताया कि उन्होंने अब पूंजी और बैंक से ऋण पर ली गई राशि से 55 मूर्तियों के लिए बांस व बिचाली के ढांचे पर मिट््टी का लेप चढ़ाने का काम पूरा कर लिया है। अब आगे के काम के लिए उन्हें आर्डर का इंतजार है। उन्होंने बताया कि आर्डर मिलने से या मूर्ति बुक होने से एक दो अग्रिम (एडवांस) भुगतान बाबत उनके पास पैसे आ जाते हैं और दूसरा इस बात का संतोष हो जाता है कि चलो इतनी मूर्तियां बिक गर्इं।
मूर्तिकारों की संस्था कुम्हारटोली मूर्ति शिल्पी सांस्कृतिक संघ के एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि वैसे तो मूर्तिकारों के हर पूजा के वक्त काम रहता है, लेकिन दुर्गा पूजा के दौरान मूर्तिकारों के पास अधिक काम होता है। सरस्वती पूजा, काली पूजा या विश्वकर्मा पूजा के लिए मूर्तिकार एक-डेढ़ महीने पहले से मूर्ति निर्माण में लगते हैं, लेकिन दुर्गा पूजा के लिए मूर्तिकार छह महीने पहले से व्यस्त हो जाते हैं और पूजा से पहले जुलाई-अगस्त का समय मूर्तिकारों के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यही वह समय है, जब मूर्तिकारों के अग्रिम भुगतान बाबत राशि मिलती है।
उन्होंने बताया कि हर साल पूजा से ढाई-तीन महीने पहले तक 35 से 40 फीसद मूर्तियां बुक हो जाया करती थी, लेकिन अभी तक पांच फीसद भी मूर्तियां बुक नहीं हुई हैं। इस वजह से ज्यादातर मूर्तिकार पैसे की कमी महसूस कर रहे हैं और आगे का काम भी प्रभावित हो रहा है।

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