Sunday, October 2, 2011

दुर्गा के रंग में रंगा महानगर कोलकाता

शंकर जालान


कोलकाता। महानगर और आसपास का इलाका दुर्गापूजा के रंग में रंगने लगा है। शनिवार को महापंचमी के मौके पर ही कई पूजा-पंडालों में दर्शनार्थियों तांता लगा रहा। वहीं, कुछ पूजा पंडालों का उद्घाटन भी हुआ। शनिवार को यंग ब्वायज क्लब (तारातंद दत्त स्ट्रीट) के पूजा पंडाल का उद्घाटन केंद्रीय राज्य मंत्री सुदीप बंद्योपाध्याय ने किया। इस मौके पर हिंदी फिल्मों के जानेमाने अभिनेता सुनील शेट््टी, पूजा कमिटी के संयोजक राकेश सिंह, रामचंद्र बड़ोपोलिया, विनोद-विक्रांत सिंह समेत कई जाने माने लोग मौजूद थे। वक्ताओं ने अपने संबोधन में नारी शक्ति के महत्व पर प्रकाश डाला। अपने वक्तव्य में अतिथियों ने कहा कि धन (लक्ष्मी), बल (दुर्गा) और बुद्धि (सरस्वती) की कमान देवियों के ही हाथ है। दूसरी ओर, अमहस्ट्र रो में राम मोहन स्मृति संघ के बैनर तले आयोजित होने वाली दुर्गा पूजा का उद्घाटन हुआ। संघ के एक वरिष्ठ सदस्य धर्मेंद्र जायसवाल ने बताया कि इस मौके पर राजा वर्मा, डी. बजाज समेत कई लोग मौजूद थे। सिंघी पार्क दुर्गा पूजा कमिटी, श्री बड़ाबाजार सार्वजनिक दुर्गा पूजा कमिटी (जौहरी पट््टी), दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर में अग्रदूत व उदय संघ पूजा कमिटी, एकडलिया एवरग्रीन पूजा समिति, चेतला अग्नि क्लब समेत दक्षिण, मध्य और उत्तर कोलकाता के कई पूजा पंडालों का उद्घाटन हुआ।
खाली हो गया मूर्तिकारों का गोला : उत्तर कोलकाता स्थित कुम्हारटोली के मूर्तिकारों को गोला (मूर्ति बनाने का स्थान) शनिवार दोपहर तक लगभग खाली हो गया था। मूर्तिकारों ने बताया कि शनिवार को जहां महानगर के विभिन्न इलाकों व विभिन्न पंडालों में रौनक बढ़ी। वहीं, मूर्तिकारों के मक्का कहे जाने वाली कुम्हारटोली में बिरानी छा गई है। मूर्तिकारों के मुताबिक बीते पांच महीनों से वे तन्मयता से जिस प्रतिमा के निर्माण कर रहे थे उन प्रतिमाओं के पंडाल में पहुंचाने में उन्हें मानसिक तकलीफ हो रही है। काशी पाल नामक एक मूर्तिकार ने बताया कि भले ही प्रतिमा बनाने और उसे पंडाल तक पहुंचाने के एवज में उन्हें राशि मिलती है और ठीक-ठाक मुनाफा भी हो जाता है। बावजूद उसके उन्हें गोला खाली होने पर भावनात्मक कष्ट होता है। एक अन्य मूर्तिकार बादल पाल ने बताया कि प्रतिमा निर्माण के लिए बांस व बिचाली का ढांचा बनाने से लेकर चक्षु दान करने तक वे बड़ी हिफाजत से मूर्ति गढ़ने का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि इस पांच महीनों पर कई बार ऐसा मौका आता है जब प्रतिमा को बारिश से बचाने के लिए अपने तो अपने बच्चों को बारिश से भींगना पड़ता है। सारी-सारी रात बैठे रहना पड़ता है। मूर्तिकार कार्तिक पाल ने बताया कि पंडाल से तो मां दुर्गा समेत गणेश, कार्तिक, सरस्वती और लक्ष्मी की प्रतिमाओं को विजया दशमी या इसके बाद विदा किया जाएगा, लेकिन हम जैसे मूर्तिकारों ने तो नवरात्र के पहले दिन से ही प्रतिमाओं को विदा करना शुरू कर दिया है।

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