Thursday, May 28, 2009

ये हैं कैबिनेट और स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री

मनमोहन सरकार के 14 कैबिनेट मंत्रियों, 7 स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्रियों और 38 राज्यमंत्रियों ने बृहस्पतिवार को शपथ ली। इनमें से 14 कैबिनेट मंत्रियों और 7 स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्रियों का परिचय इस प्रकार है :वीरभद्र सिंह : हिमाचल प्रदेश से कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में हैं। मंडी से जीतकर आए हैं। पांच बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वे 1962 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीते थे।विलासराव देशमुख : ग्राम पंचायत के सदस्य से शुरुआत कर महाराष्ट्र की दो बार कमान संभालने वाले कद्दावर मराठा नेता देशमुख को संसद के दोनों सदनों में से किसी का भी सदस्य नहीं होने के बावजूद केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। 26 मई, 1945 को लातूर जिले के बभलगांव में जन्मे देशमुख ने एलएलबी की पढ़ाई की है। उन्होंने युवावस्था में सूखा राहत से अपनी सामाजिक गतिविधियां शुरू कीं। महाराजा चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना कर कई शैक्षणिक संस्थान चलाने वाले देशमुख को पढ़ने, शास्त्रीय संगीत सुनने, वॉलीबाल और टेबल टेनिस का शौक है। उनके परिवार में उनकी पत्नी वैशाली, तीन पुत्र अमित, रितेश और धीरज हैं, जिनमें रितेश बॉलीवुड अभिनेता हैं। मुंबई में 26 नवंबर के आतंकवादी हमलों के बाद अपने पुत्र के साथ प्रख्यात निर्देशक रामगोपाल वर्मा को लेकर ताज होटल जाने के कारण विवादों से घिरे देशमुख को उसके बाद मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था।दयानिधि मारन : शौकिया हैम रेडियो ऑपरेटर दयानिधि को विरासत में राजनीति मिली है। उनके पिता मुरासोली मारन तमिलनाडु के कद्दावर नेता थे। मुख्यमंत्री एम करुणानिधि रिश्ते में उनके दादा हैं। दयानिधि के बड़े भाई कलानिधि मारन सन नेटवर्क के संस्थापक और प्रबंध निदेशक हैं। यह समूह दक्षिण भारत में चार भाषाओं में सबसे ज्यादा उपग्रह टेलीविजन चैनल चलाता है। चेन्नई के डॉन बॉस्को स्कूल से पढ़ाई करने वाले दयानिधि का जन्म 5 दिसंबर, 1966 को तंजावुर में हुआ। 14वीं लोकसभा के वह सदस्य थे और करुणानिधि परिवार में विवाद के कारण उन्हें पिछली सरकार से इस्तीफा देना पड़ा था। पिछले चुनाव में ही उन्होंने अपनी सम्पत्ति करीब 1.6 करोड़ रुपये घोषित की थी।मल्लिकार्जुन खड़गे : कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन गुलबर्ग से निर्वाचित होकर लोकसभा में दाखिल हुए हैं। लगातार नौ विधानसभा चुनाव जीतने का रिकार्ड बना चुके खड़गे आठ बार गुरमिटकल (सुरक्षित) विधानसभा सीट और एक बार चित्तपुर (सुरक्षित) विधानसभा सीट से जीते थे। खड़गे हालांकि अब भी राज्य की राजनीति में ही बने रहना चाहते थे, लेकिन पार्टी आलाकमान ने उन्हें 15वीं लोकसभा चुनाव में गुलबर्ग ग्रामीण सीट पर चार बार के सांसद भाजपा के रेवू नाइक बेलायगी के खिलाफ उतारा और उन्होंने नेतृत्व को निराश नहीं किया। केंद्रीय मंत्रिमंडल में उन्हें लिया जाना इसी विश्वास का तोहफा माना जा सकता है।ए राजा : तमिलनाडु के नीलगिरी संसदीय सीट से सांसद राजा पिछली सरकार में भी मंत्री थे।सुबोधकांत सहाय : रांची से सांसद हैं। पिछली सरकार में खाद्य एवं रसद मंत्री थे। वीपी सिंह की सरकार में गृह राज्यमंत्री थे।एमएस गिल : राज्यसभा सदस्य हैं। केन्द्र में खेल राज्यमंत्री। पूर्व में मुख्य चुनाव आयुक्त रहे हैं और पद्म विभूषण से सम्मानित हैं।जीके वासन : तमिल मानिला कांग्रेस के नेता जीके मूपनार के बेटे हैं। सोनिया गांधी के कहने पर कांग्रेस में पार्टी का विलय किया और राज्यमंत्री रह चुके हैं।पवन कुमार बंसल : चंडीगढ़ से सांसद बंसल पिछली सरकार में वित्त राज्यमंत्री रहे। इसके पहले उन्होंने लोकसभा में कांग्रेस के चीफ व्हिप की भूमिका अदा की है।कांतिलाल भूरिया : मध्यप्रदेश के झाबुआ से सांसद हैं। पिछली सरकार में कृषि और खाद्य एवं रसद मंत्री रहे।मुकुल वासनिक : महाराष्ट्र के रामटेक से निर्वाचत वासनिक को कांग्रेस संगठन में कार्य करने का खासा अनुभव हासिल है। पहली बार उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। वह कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य और पार्टी महासचिव हैं।कुमारी शैलजा : हरियाणा के दलित नेता चौधरी दलबीर सिंह की पुत्री कुमारी शैलजा पहली बार कैबिनेट मंत्री बनी हैं। 24 दिसंबर, 1962 को पैदा शैलजा अविवाहित हैं और उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से एमफिल की उपाधि हासिल की है। उन्होंने महिला कांग्रेस से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी और 1990 में इसकी अध्यक्ष बनीं। 1991 में वह पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुईं और नरसिम्हा राव सरकार में राज्यमंत्री बनीं। पिछली सरकार में वह आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्री थीं। वह अंबाला सीट से सांसद हैं।फारुक अब्दुल्ला : शेर-ए-कश्मीर के नाम से प्रख्यात शेख अब्दुल्ला के पुत्र फारुक अब्दुल्ला वैसे तो पेशे से डॉक्टर हैं, लेकिन राजनीति में उन्होंने अपनी अलग जगह बनाई है। हालांकि उनका राजनीतिक करियर विवादों से अछूता नहीं रहा है। 21 अक्तूबर, 1936 को जम्मू-कश्मीर के सौरा में पैदा हुए फारुक 1981 में नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष बने। 1984 में उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया गया। इससे पहले 1983 में उन्होंने कांग्रेस के साथ अपनी पार्टी के तालमेल से इंकार कर दिया था। 1987 में अब्दुल्ला कांग्रेस के साथ तालमेल कर चुनाव में उतरे। उन्होंने ब्रिटिश मूल की नर्स मोली से शादी की, जो ज्यादातर इंग्लैंड में रहती हैं। उनके पुत्र उमर अब्दुल्ला इस वक्त जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री हैं, जबकि मनमोहन सरकार में राज्यमंत्री बनने जा रहे सचिन पायलट उनके दामाद हैं।एम के अझागिरि : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के ज्येष्ठ पुत्र मथुवेल करुणानिधि अझागिरि को उनके पिता के राजनीतिक वारिस के तौर पर देखा जाता है, लेकिन सौतेले भाई एमके स्टालिन से उन्हें प्रतिस्पर्धा मिलती रहती है। अझागिरि करुणानिधि की दूसरी पत्नी दयालु अम्मल की संतान हैं। स्टालिन और अझागिरि की राजनीतिक लड़ाई उस समय सार्वजनिक हुई, जब करुणानिधि के बड़े पुत्र के समर्थकों ने मारन परिवार के स्वामित्व वाले सन टीवी समूह के अखबार दिनाकरन के दफ्तर पर हमला किया और आग लगा दी। अझागिरि को आपराधिक मुकदमों का भी सामना करना पड़ा है, लेकिन उन्हें द्रमुक के एक पूर्व मंत्री की हत्या के मामले में विश्वसनीय सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।
स्वतंत्र प्रभार वाले सात राज्यमंत्री
पृथ्वीराज चव्हाण : पिछली संप्रग सरकार में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री रहे चव्हाण को इस बार स्वतंत्र प्रभार वाला राज्यमंत्री बनाया गया है। उन्होंने राजस्थान के बिट्स पिलानी से बीई (ऑनर्स) और अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से एमएस किया है। 1991 में वह पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। फिलहाल वह राज्यसभा के सदस्य हैं।श्रीप्रकाश जायसवाल : उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की हालत पतली रहने के समय भी लोकसभा चुनाव जीतने वाले पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्रीप्रकाश जायसवाल पिछली सरकार में गृह राज्यमंत्री थे। कानपुर से सांसद जायसवाल को इस बार स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया है। 25 सितंबर, 1944 को उनका जन्म हुआ था।सलमान खुर्शीद : पेशे से वकील और लेखक सलमान खुर्शीद के पिता खुर्शीद आलम खां भी कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार थे। वह देश के तीसरे राष्ट्रपति डा जाकिर हुसैन के पौत्र हैं और दिल्ली के सेंट स्टीफन्स तथा ऑक्सफोर्ड के सेंट एडमंड हॉल से उनकी पढ़ाई-लिखाई हुई है। इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान वह प्रधानमंत्री कार्यालय में विशेष कार्य अधिकारी थे। बाद में वह विदेश राज्यमंत्री के पद पर भी रहे। दो बार उन्हें उत्तर प्रदेश में कांग्रेस संगठन का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इस बार वह फर्रुखाबाद लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए हैं।दिनशॉ पटेल : पिछली सरकार में पेट्रोलियम राज्यमंत्री रहे दिनशॉ को कांग्रेस ने 2007 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ मणिनगर सीट से उतारा था। वह हालांकि मोदी के हाथों पराजित हो गए, लेकिन पार्टी ने तब उन्हें राज्य के मुख्यमंत्री के दावेदार के तौर पर पेश कर दिया था। वह लगातार लोकसभा के लिए निर्वाचित होते आ रहे हैं।जयराम रमेश : रमेश को कांग्रेस के रणनीतिकारों में शुमार किया जाता है। वह राज्यसभा सदस्य हैं और पिछली सरकार में उन्होंने वाणिज्य राज्यमंत्री तथा ऊर्जा राज्यमंत्री का पद संभाला था। 2009 के आम चुनाव से पहले पार्टी की रणनीति तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उन्होंने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया था, लेकिन उनकी कुर्बानी पार्टी के काम आई और अब पार्टी ने उन्हें फिर मंत्री बनाकर पुरस्कृत किया है। उनका जन्म 9 अपैल, 1954 को कर्नाटक के चिकमंगलूर में हुआ था, लेकिन वह उच्च सदन में आंध्र प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हैं।कृष्णा तीरथ : राष्ट्रीय राजधानी में विधायक के तौर पर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाली कृष्णा तीरथ पहली बार केंद्र सरकार में मंत्री बनी हैं। 3 मार्च, 1955 को जन्मी कृष्णा प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। 14वीं लोकसभा के दौरान वह पीठासीन अधिकारियों के पैनल में शामिल थीं।प्रफुल पटेल : कांग्रेस के पूर्व प्रमुख नेता दिवंगत मनोहरभाई पटेल के सुपुत्र प्रफुल पटेल महाराष्ट्र के गोंडिया जिले से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन उनका जन्म 17 फरवरी, 1957 को कोलकाता में हुआ था। राजनीति में कदम रखने से पहले वह परिवार का व्यवसाय संभालते थे और उन्होंने वाणिज्य विषय से स्नातक तक की पढ़ाई की है। पटेल 34 साल की उम्र में 1991 में पहली दफा लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। उसके बाद वह लगातार जीतते रहे, लेकिन 1999 और 2004 में वह जनता का समर्थन नहीं पा सके। इस बार वह भंडारा गोदिया से निर्वाचित हुए हैं। पिछली सरकार में भी उन्हें स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री का दर्जा मिला था। वह सफल व्यवसायी हैं और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं।

हिंदी रंगमंच के पुरोधा थे पृथ्वीराज कपूर

हिंदी फिल्मों में कपूर खानदान की नींव रखने वाले पृथ्वीराज कपूर बहुचर्चित फिल्म मुगल-ए-आजम में शहंशाह अकबर की भूमिका के कारण आज भी लोगों की स्मृतियों में अपना स्थान बनाए हुए हैं, लेकिन उन्होंने अपने दौर में फिल्म ही नहीं रंगमंच को भी काफी सशक्त योगदान दिया।
आकर्षक व्यक्तित्व व शानदार आवाज के स्वामी पृथ्वीराज कपूर ने सिनेमा और रंगमंच दोनों माध्यमों में अपनी अभिनय क्षमता का परिचय दिया हालांकि उनका पहला प्यार थिएटर ही था। उनके पृथ्वी थिएटर ने करीब 16 वषरें में दो हजार से अधिक नाट्य प्रस्तुतियां की। पृथ्वी राज कपूर ने अपनी अधिकतर नाट्य प्रस्तुतियों मे महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई। थिएटर के प्रति उनकी दीवानगी स्पष्ट थी।
पृथ्वी थिएटर की नाट्य प्रस्तुतियों में सामाजिक जागरूकता के साथ ही देशभक्ति और मानवीयता को प्रश्रय दिया गया। वर्ष 1944 में स्थापित पृथ्वी थिएटर के नाटकों में यथार्थवाद और आदर्शवाद पर भी पर्याप्त जोर दिया गया। उनके नाटकों मे दीवार, पठान, गद्दार, किसान, पैसा, आहुति, कलाकार आदि शामिल हैं। तीन नवंबर 1906 को अविभाजित पंजाब में पैदा हुए पृथ्वीराज कपूर के पिता दीवान बशेश्वरनाथ कपूर पुलिस अधिकारी थे और वह अपने पुत्र को वकील बनाना चाहते थे। वकालत की पढ़ाई के दौरान ही उनका नाट्य प्रेम जगा और उन्होंने सपनों की नगरी मुंबई की राह ले ली।
पृथ्वीराज कपूर मूक फिल्मों के दौर से ही सिनेमा से जुड़ गए। उन्होंने पहली बोलती फिल्म आलमआरा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बाद में वह एक नाट्य कंपनी ग्रांट एंडरसन थिएटर से जुड़ गए और उस कंपनी की प्रस्तुति हैमलेट में काम किया। उन दिनों कोलकाता फिल्म निर्माण का प्रमुख केंद्र बन गया था और वह भी कोलकाता चले गए। वहां वह प्रसिद्ध न्यू थिएटर में शामिल हो गए। वहां उन्होंने कई चर्चित फिल्मों में काम किया। उन फिल्मों में सीता, मंजिल और विद्यापति शामिल हैं। उनकी जबरदस्त अभिनय प्रतिभा का परिचय 1941 में प्रदर्शित सोहराब मोदी की फिल्म सिकंदर में मिला। उन्होंने अपनी बेहतरीन अदाकारी से सिकंदर के किरदार को अमर बना दिया। इसी प्रकार उन्होंने 1960 में प्रदर्शित फिल्म मुगल-ए-आजम में शहंशाह अकबर की स्मरणीय भूमिका की।
फिल्मों में बेहतरीन अभिनय के बावजूद उन्हें तृप्ति नहीं मिली और उनका ध्यान रंगमंच की ओर ही लगा रहा। कलाकार मन की इसी बेचैनी के बीच उन्होंने 1944 में पृथ्वी थिएटर की स्थापना की। पृथ्वीराज कपूर ने मुगल-ए-आजम, सिकंदर के अलावा अपने पुत्र राजकपूर के निर्देशन में बनी फिल्म आवारा में एक जज की अविस्मरणीय भूमिका की। उनकी अन्य प्रमुख फिल्मों में कल आज और कल, तीन बहूरानियां, आसमान, महल आदि शामिल हैं।
पृथ्वीराज को देश के सर्वोच्च फिल्म सम्मान दादा साहब फाल्के के अलावा पद्म भूषण तथा कई अन्य पुरस्कारों से भी नवाजा गया। उन्हें राज्यसभा के लिए भी नामित किया गया था। फिल्मों में अपने अभिनय से सम्मोहित करने वाले और रंगमंच को नई दिशा देने वाली इस महान हस्ती का 29 मई 1972 को निधन हो गया। उन्हें मरणोपरांत दादा साहब फाल्के से सम्मानित किया गया था।

Wednesday, May 27, 2009

फौजी भाइयों के लिए जूते बनाएगी बाटा

कोलकाता। फुटवियर बनाने वाली बाटा इंडिया ने रक्षा और अर्द्धसैनिक बलों के लिए फुटवियर तैयार करने की योजना बनाई है और इस संबंध में ठेके हासिल करने के लिए कंपनी ने एक समर्पित टीम का गठन किया है।बाटा इंडिया के गैर कार्यकारी अध्यक्ष पी.एम. सिन्हा ने बताया कंपनी का इरादा रक्षा अर्द्धसैनिक और पुलिस बलों के खंड में उतरने का है जहां कारोबार की व्यापक संभावनाएं हैं। हालांकि इसमें कुछ समय लगेगा।उन्होंने कहा कि कंपनी ने देशभर में 65-70 स्टोर्स खोलने की भी योजना बनाई है। वर्तमान में रक्षा बलों के लिए जूते असंगठित क्षेत्र से खरीदे जाते हैं। सिन्हा ने कहा कि बाटा ग्रामीण बाजारों में भी संभावनाएं तलाश रही है। उन्होंने कहा कि संगठित जूता उद्योग में बाटा 33 फीसद बाजार हिस्सेदारी के साथ अग्रणी स्थिति में है।

छत व पेड़ बने तबाह लोगों के पनाहगाह

कोलकाता सैकड़ों गांव जलमग्न। घरों, अन्य इमारतों की छतों और पेड़ों पर शरण लिए लोग। हजारों की तादाद में खंभे धराशायी, नतीजतन बिजली व्यवस्था ठप। टावरों के गिरने से संचार व्यवस्था भी खामोश। रेल और हवाई सेवा प्रभावित। पश्चिम बंगाल में तबाही की यह निशानियां दे गया है 'आइला' यानी प्रलयंकारी तूफान। सोमवार को मौत बनकर आया यह तूफान 70 से अधिक जिंदगियों को समेट ले गया है। दर्जनों लोग लापता हैं। कम से कम 14 लाख लोग प्रभावित हैं। बहरहाल राहत कार्य युद्ध स्तर पर है।
उत्तर-दक्षिण 24 परगना तबाह पश्चिम बंगाल में 'आइला' ने सर्वाधिक तबाही उत्तर और दक्षिण 24 परगना में मचाई है। इन दोनों जिलों में 50 लोगों की मौत हो गई है। अस्सी हजार से अधिक लोग बेघर हो गए हैं। 20 हजार से अधिक कच्चे मकान ढह गए हैं। विभिन्न नदियों पर बने करीब 16 बांध टूट चुके हैं। सैकड़ों गांव जलमग्न हैं। हजारों एकड़ फसल बरबाद हो गई है। इन दोनों जिलों में लोग घरों, ऊंची इमारतों की छतों व पेड़ों पर शरण लिए हैं। बिजली आपूर्ति और टेलीफोन ठप हैं। रेल और हवाई सेवा भी प्रभावित है।
हेलीकाप्टर व बोट के साथ जुटी सेना सेना के जवान हेलीकाप्टर व स्पीड बोट की मदद से राहत कार्य में जुटे हैं और फंसे लोगों को निकाल रहे हैं। मंगलवार को सेना के करीब दो सौ जवान राहत कार्य के लिए प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचे। दो हेलीकाप्टर और छह स्पीड बोट भी राहत और बचाव कार्य में लगाए गए हैं। सेना की इन टीमों को सबसे प्रभावित संदेशखाली, कुलतली और सुंदरवन के इलाके में राहत सामग्री पहुंचाने और फंसे लोगों को बाहर निकालने में लगाया गया है। सेना के छह कालम को सतर्क भी रखा गया है।
बीस ट्रक खाद्य सामग्री पहुंचीमुख्यमंत्री बुद्धदेव भंट्टाचार्य ने मंगलवार को दक्षिण चौबीस परगना जिले के कुल्टी इलाके का दौरा कर राहत कैंप और प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया। युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्य चलाने का निर्देश दिया। उन्होंने दो दिन के अंदर क्षतिपूर्ति मुहैया कराने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने बताया कि बीस से अधिक ट्रकों से खाद्य पदार्थ पहुंचाए गए हैं। राहत के लिए प्रधानमंत्री से भी उन्होंने बातचीत की है। तीन मंत्रियों को प्रभावित क्षेत्रों में कैंप करने को कहा गया है। प्रभावितों के बीच हेलीकाप्टर के अलावा आठ ट्रकों से चूड़ा, गुड़ और अन्य सूखा खाना पहुंचाया जा रहा है। राहत शिविर कायम किए गए हैं।
चार्ज लेकर ममता पहुंची काकद्वीप कोलकाता में रेल मंत्री का कार्यभार संभालने के बाद ममता बनर्जी ने मंगलवार को दोपहर विशेष ट्रेन से काकद्वीप का दौरा कर राहत व बचाव कार्य का जायजा लिया। पश्चिम बंगाल के वित्तमंत्री असीम दासगुप्ता और राहत मंत्री मुर्तजा हुसैन ने तूफान प्रभावितों के बीच 25 लाख रुपये अनुदान की घोषणा की।
दार्जिलिंग में भूस्खलन, 15 मरेजबरदस्त बारिश के कारण पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में भूस्खलन के कारण 15 लोगों की मौत हो गई है। नौ तो खास दार्जिलिंग और उपनगर कर्सियांग में छह लोग मरे हैं। दार्जिलिंग के जिला पदाधिकारी सुरेंद्र गुप्ता ने बताया कि सेना की पांच टीमों को राहत व बचाव कार्य में लगाया गया है।
पूर्वोत्तर भी चपेट मेंपश्चिम बंगाल के अलावा पूर्वोत्तर राज्यों में भी खासा नुकसान पहुंचा है। सिक्किम के गंगटोक में तीन सौ घर ढह गए हैं। भू-स्खलन के कारण अवरुद्ध हुए सड़कों पर यातायात शुरू करने के लिए बीएसएफ की आपदा प्रबंधन टीम को भी बुलाया गया है। मेघालय, त्रिपुरा और पश्चिमी असम में भी दो दिनों से जारी भारी वर्षा और पचास से साठ किलोमीटर की रफ्तार से चल रहे तूफान के कारण सैकड़ों घर ढह गए और खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचा है।
बांग्लादेश में पांच सौ लापताआइला तूफान ने बांग्लादेश में कहर बरपाया। 62 लोगों की मौत घरों के गिरने और डूबने से हो गई है। मछुआरों सहित पांच सौ लोग लापता हैं। सोमवार को सौ किलोमीटर की रफ्तार से बांग्लादेश के समुद्रतटीय इलाके से गुजरे 'आइला' ने जान माल को भारी नुकसान पहुंचाया।

Tuesday, May 26, 2009

महानगर में खुलेगा दमकल विश्वविद्यालय

कोलकाता। केंद्रीय विमानन विभाग कोलकाता में देश का पहला दमकल विश्वविद्यालय खोलेगा। दमकल विश्वविद्यालय एयरपोर्ट इलाके के नारायणपुर में 25 एकड़ भूमि में स्थापित किया जायेगा। इसमें विमान दुर्घटना होने पर उससे निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जायेगा। स्नातक व स्नातकोत्तर की पढ़ाई होगी। शुरुआती दौर में इसे हैदराबाद में खोलने की योजना थी। इंटरनेशनल सिविल एवियेशन आर्गनाइजेशन के अनुसार अब इसे कोलकाता में खोला जायेगा। कोलकाता क्षेत्र के डीजीएम जीवब्रत तरफदार ने कहा कि 737 विमान के अंदर जितने तार रहते हैं उससे दिल्ली शहर को सात बार घेरा जा सकता है। इस तरह के तथ्य अधिकारियों को जानने की जरूरत है। विमान में आग लगने पर उसे किस स्थान पर काटकर यात्रियों को निकाला जा सकता है। इसकी भी जानकारी होनी चाहिए। इसमें एयरपोर्ट अधिकारियों के अलावा उच्च माध्यमिक पास विद्यार्थियों को भी पढ़ने का अवसर मिलेगा।

मुख्यमंत्री सचिवालय को जनमुखी बनाने का प्रयास तेज

कोलकाता। राइटर्स बिल्डिंग में मुख्यमंत्री सचिवालय को अब जनमुखी बनाने का प्रयास शुरू किया जा रहा है। मुख्यमंत्री बुद्धदेव भंट्टाचार्य के निर्देश पर इसे लेकर नौकरशाहों की गतिविधियां तेज हो गयी है। राइटर्स बिल्डिंग सूत्रों के मुताबिक श्री भंट्टाचार्य पहले से ही मुख्यमंत्री सचिवालय में आमुलचूल परिवर्तन करने पर जोर देते रहे हैं लेकिन लोकसभा चुनाव में पार्टी को झटका लगने के बाद अब वह इसके लिए विशेष रूप से सक्रिय हुए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री सचिवालय के समस्त अफसरों से सरकार की खामियों को ढूढ़ने और जनता के हित में काम करने के लिए राय मांगी है।
मुख्यमंत्री सचिवालय में वर्तमान में दो आइएस अफसर शामिल हैं। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सुवेश दास सहित मुख्यमंत्री सचिवालय में दो वरिष्ठ आईएस अफसर हैं। इसके अतिरिक्त दो संयुक्त सचिव, एक उपसचिव, निजी सचिव, और सहायक निजी सचिव भी मुख्यमंत्री सचिवालय टीम में हैं और इसमें 60 योग्य कर्मचारियों का समूह भी है। सरकार के काम की गति बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री सचिवालय को पीएमओ आफिस के ढांचे पर तैयार करने की बात भी उठती रही है लेकिन पार्टी ने इसके लिए हरी झंडी नहीं दी। पीएमओ आफिस का सभी मंत्रालयों पर नियंत्रण होता है लेकिन राज्य में मुख्यमंत्री सचिवालय अन्य विभागों में ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करता। अब बदलते हालात में मुख्यमंत्री सचिवालय विशेष रूप से सक्रिय होगा और महत्वपूर्ण मामलों में वह हस्तक्षेप करेगा। भूमि अधिग्रहण और उद्योग मामले में मुख्यमंत्री सचिवालय विशेष रूप से नजर रखेगा। शिकायतों को सुनने और उसे तत्काल निपटारा करने के लिए जनता के साथ संपर्क स्थापित करने और जरूरमंदों को हर तरह से मदद करने पर जोर दिया जायेगा। मुख्यमंत्री अपने सहयोगी मंत्रियों के साथ अक्सर बैठक करेंगे और विकास मूलक कायरें की समीक्षा करेंगे।

Monday, May 25, 2009

सुकांतनगर में बनेगा बैथून कॉलेज का सेकेंड कांप्लेक्स

उत्तर कोलकाता के १८१, विधान सरणी स्थित बैथून कॉलेज की स्थापना १३० साल पहले यानी १८७९ में हुई थी। लड़कियों को शिक्षित करने के मकसद से शहर में यह पहला कॉलेज स्थापित किया गया था। आरंभिक काल में जहां इस कॉलेज में १२५ लड़िकयों के बैठने और पढ़ने की व्यवस्था थी, वहीं आज यहां ११०० लड़कियां शिक्षा ग्रहण करते हैं। इसके बावजूद कॉलेज के विस्तर की जरूरत है। यह मानना है कॉलेज की प्रभारी मंजुषा सिन्हा (बेरा) का। बातचीत में उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से लोग शिक्षा के महत्त्व को समझ रहे हैं और नारी शिक्षा के प्रति जागरूक हुए हैं इसे शुभ संकेत माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि बैथून कॉलेज पूरी तरह से सरकारी कॉलेज है अौर कॉलेज प्रबंधन बीते कई सालों से राज्य सरकार से कॉलेज के विस्तार के लिए भीड़भाड़ वाले इलाके से दूर ईएम बाईपास इलाके के समीप जमीन की मांग कर रहा था। काफी विचार-विमर्श के बाद अब यह तय हुआ कि एससीएफ, सेक्टर चार, सुकांतनगर, साल्टलेत में कॉलेज का सेकेंड कांप्लेक्स बनेगा और इसके लिए जगह की पहचान कर ली गई है। बहुत जल्द निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। पेश है कॉलेज के विस्तार के संबंध में प्रभारी मंजुषा सिन्हा (बेरा) के साथ शंकर जालान की हुई बातचीत के मुख्य अंश।
सुकांत नगर में जगह कब मिली और वहां निर्माण कायॆ कब शुरू होगा ?
जगह के बारे में बातचीत को काफी पहले से चल रही थी, इस बाबत अंतिम निर्णय बीते साल सितंबर-अक्तूबर में हुआ। फिलहाल कागजी कार्रवाई चल रही है। इसके पूरे होते ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।

वहां कितनी जगह है और कौन सा विभाग खोला जाएगा ?
३८ कठ्ठा जमीन है और वहां पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) विभाग खोला जाएगा। जहां एमए व एमएससी की पढ़ाई होगी।

कॉलेज के विस्तार के लिए कॉलेज प्रबंधन ने राज्य सरकार से काफी पहले ही नोनाडांगा और ईएम बाईपास इलाके में तीन एकड़ जमीन की मांग की थी, उसकी क्या हुआ ?
राज्य सरकार ने नोनाडांगा और ईएम बाईपास इलाके में जगह नहीं उपलब्ध कराई औप ना ही इसका कोई पुख्ता कारण बताया।

सही मायने में बैथून कॉलेज के विस्तार के लिए कितनी जगह चाहिए और कहां ?
कॉलेज के समुचित विकास के लिए तीन एकड़ जमीन चाहिए औप बेहतर हो कि यह जमीन मध्य और उत्तर कोलकाता से दूर शांत वातावरण वाले इलाके में हो। मेरे ख्याल में साल्टलेक और ईएम बाईपास का इलाका शिक्षण संस्थान के निर्माण के लिए बेहतर होगा।

बैथून कॉलेज परिसर में ही काफी जगह खानी पड़ी है, यहां निर्माण क्यों नहीं हो रहा है ?
पहली बात तो यह है कि यह कॉलेज पूरी तरह सरकारी है और यहां की जमीन भी सरकार की। इसलिए निर्णय लेने का अधिकार भी राज्य सरकार को है। मेरे शब्दों में बात कहूं तो यह इलाका अब उच्च शिक्षा ग्रहण के लिए उतना अनुकूल नहीं रह गया है। बीते कुछ सालों में यहां कि आबादी बढ़ी है और इस लिहाज से शोर-शराबा भी बढ़ा है, जो अध्ययन को प्रभावित कर सकता है। इससे पढ़ने वालों की एकाग्रता भंग हो सकती है।

आप ने ठीक कहा, शोर-शराबा पढ़ने वालों की एकाग्रता भंग करता है। इसी वजह से रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के अध्ययन विभाग को यूजीसी की सिफारिश पर जोड़ासांकू से बीटी रोड स्थानांतरित कर दिया गया है। भीड़भाड़ वाले इलाके से दूर ही उच्च शिक्षण संस्थान का निर्माण होना चाहिए. आप इस बात से सहमत हैं ?
बिल्कुल सहमत हूं।

क्या आप को मालूम है कि इस बाबत राज्य सरकार ने एक एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया था। कमिटी ने कब और क्या रिपोर्ट दी ?
मैंने सुना जरूर है कि बैथून कॉलेज के विस्तार के सिलसिले में बीते साल एक एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया गया था, लेकिन मैं उस कमिटी की सदस्य नहीं थी। इसलिए मुझे विशेष कुछ मालूम नहीं है। इतना जरूर कह सकती हूं कि सुकांतनगर में जो जमीन कॉलेज के विस्तार के लिए मिल रही है वह कमिटी की रिपोर्ट से इत्तिफाक जरूर रखती होगी।

मध्य कोलकाता के गणेश टॉकीज के समीप रवींद्र सरणी स्थित किसी की निजी जमीन पर भी कॉलेज के विस्तार या सेकेंड कांप्लेक्स की बात चल रही थी, उसका क्या हुआ ?
इस बारे में पुख्ता नहीं मालूम। मेरी जानकारी के मुताबिक, वह जमीन विवादित है। मामला विचाराधीन है। मामले की सुनवाई और फैसला आने तक कॉलेज के विस्तार को नहीं रोका जा सकता। इसिलए राज्य सरकार ने हमें दूसरी जमीन उपलब्ध करा दी है।