उत्तर कोलकाता के १८१, विधान सरणी स्थित बैथून कॉलेज की स्थापना १३० साल पहले यानी १८७९ में हुई थी। लड़कियों को शिक्षित करने के मकसद से शहर में यह पहला कॉलेज स्थापित किया गया था। आरंभिक काल में जहां इस कॉलेज में १२५ लड़िकयों के बैठने और पढ़ने की व्यवस्था थी, वहीं आज यहां ११०० लड़कियां शिक्षा ग्रहण करते हैं। इसके बावजूद कॉलेज के विस्तर की जरूरत है। यह मानना है कॉलेज की प्रभारी मंजुषा सिन्हा (बेरा) का। बातचीत में उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से लोग शिक्षा के महत्त्व को समझ रहे हैं और नारी शिक्षा के प्रति जागरूक हुए हैं इसे शुभ संकेत माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि बैथून कॉलेज पूरी तरह से सरकारी कॉलेज है अौर कॉलेज प्रबंधन बीते कई सालों से राज्य सरकार से कॉलेज के विस्तार के लिए भीड़भाड़ वाले इलाके से दूर ईएम बाईपास इलाके के समीप जमीन की मांग कर रहा था। काफी विचार-विमर्श के बाद अब यह तय हुआ कि एससीएफ, सेक्टर चार, सुकांतनगर, साल्टलेत में कॉलेज का सेकेंड कांप्लेक्स बनेगा और इसके लिए जगह की पहचान कर ली गई है। बहुत जल्द निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। पेश है कॉलेज के विस्तार के संबंध में प्रभारी मंजुषा सिन्हा (बेरा) के साथ शंकर जालान की हुई बातचीत के मुख्य अंश।
सुकांत नगर में जगह कब मिली और वहां निर्माण कायॆ कब शुरू होगा ?
जगह के बारे में बातचीत को काफी पहले से चल रही थी, इस बाबत अंतिम निर्णय बीते साल सितंबर-अक्तूबर में हुआ। फिलहाल कागजी कार्रवाई चल रही है। इसके पूरे होते ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
वहां कितनी जगह है और कौन सा विभाग खोला जाएगा ?
३८ कठ्ठा जमीन है और वहां पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) विभाग खोला जाएगा। जहां एमए व एमएससी की पढ़ाई होगी।
कॉलेज के विस्तार के लिए कॉलेज प्रबंधन ने राज्य सरकार से काफी पहले ही नोनाडांगा और ईएम बाईपास इलाके में तीन एकड़ जमीन की मांग की थी, उसकी क्या हुआ ?
राज्य सरकार ने नोनाडांगा और ईएम बाईपास इलाके में जगह नहीं उपलब्ध कराई औप ना ही इसका कोई पुख्ता कारण बताया।
सही मायने में बैथून कॉलेज के विस्तार के लिए कितनी जगह चाहिए और कहां ?
कॉलेज के समुचित विकास के लिए तीन एकड़ जमीन चाहिए औप बेहतर हो कि यह जमीन मध्य और उत्तर कोलकाता से दूर शांत वातावरण वाले इलाके में हो। मेरे ख्याल में साल्टलेक और ईएम बाईपास का इलाका शिक्षण संस्थान के निर्माण के लिए बेहतर होगा।
बैथून कॉलेज परिसर में ही काफी जगह खानी पड़ी है, यहां निर्माण क्यों नहीं हो रहा है ?
पहली बात तो यह है कि यह कॉलेज पूरी तरह सरकारी है और यहां की जमीन भी सरकार की। इसलिए निर्णय लेने का अधिकार भी राज्य सरकार को है। मेरे शब्दों में बात कहूं तो यह इलाका अब उच्च शिक्षा ग्रहण के लिए उतना अनुकूल नहीं रह गया है। बीते कुछ सालों में यहां कि आबादी बढ़ी है और इस लिहाज से शोर-शराबा भी बढ़ा है, जो अध्ययन को प्रभावित कर सकता है। इससे पढ़ने वालों की एकाग्रता भंग हो सकती है।
आप ने ठीक कहा, शोर-शराबा पढ़ने वालों की एकाग्रता भंग करता है। इसी वजह से रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के अध्ययन विभाग को यूजीसी की सिफारिश पर जोड़ासांकू से बीटी रोड स्थानांतरित कर दिया गया है। भीड़भाड़ वाले इलाके से दूर ही उच्च शिक्षण संस्थान का निर्माण होना चाहिए. आप इस बात से सहमत हैं ?
बिल्कुल सहमत हूं।
क्या आप को मालूम है कि इस बाबत राज्य सरकार ने एक एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया था। कमिटी ने कब और क्या रिपोर्ट दी ?
मैंने सुना जरूर है कि बैथून कॉलेज के विस्तार के सिलसिले में बीते साल एक एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया गया था, लेकिन मैं उस कमिटी की सदस्य नहीं थी। इसलिए मुझे विशेष कुछ मालूम नहीं है। इतना जरूर कह सकती हूं कि सुकांतनगर में जो जमीन कॉलेज के विस्तार के लिए मिल रही है वह कमिटी की रिपोर्ट से इत्तिफाक जरूर रखती होगी।
मध्य कोलकाता के गणेश टॉकीज के समीप रवींद्र सरणी स्थित किसी की निजी जमीन पर भी कॉलेज के विस्तार या सेकेंड कांप्लेक्स की बात चल रही थी, उसका क्या हुआ ?
इस बारे में पुख्ता नहीं मालूम। मेरी जानकारी के मुताबिक, वह जमीन विवादित है। मामला विचाराधीन है। मामले की सुनवाई और फैसला आने तक कॉलेज के विस्तार को नहीं रोका जा सकता। इसिलए राज्य सरकार ने हमें दूसरी जमीन उपलब्ध करा दी है।
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