Friday, May 29, 2009

केंद्र सरकार में पहली बार बंगाल के आठ मंत्री

केन्द्र की राजनीति में पहली बार बंगाल के कांग्रेस व तृणमूल सांसदों ने महत्वपूर्ण रोल निभाते हुए जनता को आठ मंत्रियों का तोहफा दिया है। इसमें वित्तामंत्री प्रणव मुखर्जी व रेलमंत्री ममता बनर्जी शामिल हैं।
तृणमूल के छह राज्यमंत्रियों के नाम हैं-चौधरी मोहन जटुआ, दिनेश त्रिवेदी, शिशिर अधिकारी, सौगत राय, सुलतान अहमद व मुकुल राय। छह मंत्रियों द्वारा शपथ लेने के बाद महानगर व विभिन्न जिलों में कांग्रेस व तृणमूल के समर्थकों ने एक दूसरे को अबीर लगाया और बधाई दी। तृणमूल सुप्रीमो ममता के कालीघाट स्थित निवास व पार्टी मुख्यालय तृणमूल भवन में समर्थकों के बीच मिठाइयां बांटी गयीं। छह मंत्रियों के घरों पर भी मिठाइयां वितरित हुई। हालांकि तृणमूल की शपथ लिये मंत्रियों के परिवार के अधिकांश सदस्य दिल्ली में हैं इसलिए कहा जा रहा है कि उनके लौटने पर उत्सव मनाया जायेगा। सूत्रों के अनुसार ममता शुक्रवार को छह मंत्रियों के साथ महानगर लौटेंगी और उनका प्रारंभिक काम होगा चक्रवाती तूफान से प्रभावित लोगों तक राहत पहुंचाना।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार बंगाल के इतिहास में कभी पहले एक साथ आठ मंत्री शामिल नहीं हुए। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के कार्यकाल में सबसे अधिक छह मंत्री थे जिसमें अब्दुल गनी खान चौधरी, अशोक सेन, प्रणव मुखर्जी, अजीत पांजा, प्रियरंजन दासमुंशी आदि प्रमुख थे। उसके बाद कभी तीन तो कभी चार मंत्री शामिल हुए। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में प्रणव मुखर्जी, अजीत पांजा, प्रियरंजन दासमुंशी व अजीत पांजा प्रमुख थे। पिछले दिनों वित्तामंत्री प्रणव मुखर्जी ने भी कहा था कि इस बार बंगाल के सबसे अधिक मंत्री केन्द्र सरकार में शामिल हुए हैं। कांग्रेस के बंगाल से सिर्फ एक मंत्री बनाये जाने पर कार्यकर्ताओं में नाराजगी है लेकिन वे उसे प्रकट नहीं होने दे रहे हैं। कांग्रेस विधायक दल के नेता डा. मानस भुइयां के अनुसार मंत्री बनाना प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है। अगले मंत्रिमंडल विस्तार में कांग्रेस सांसद शामिल किये जा सकते हैं।
तृणमूल के राज्यमंत्री 71 वर्षीय सीएम जटुआ सेवानिवृत आइपीएस अधिकारी हैं। वर्ष 1996 में सेवानिवृत होने के बाद 2001 में राजनीति में सक्रिय हुए और विधायक निर्वाचित हुए। इस बार तृणमूल के टिकट पर मथुरापुर से सांसद निर्वाचत हुए।
59 वर्षीय दिनेश त्रिवेदी लोकसभा चुनाव जीतने के पहले दो बार राज्यसभा के सांसद रहे हैं। अमेरिका के टैक्सास विश्वविद्यालय से एमबीए करने के बाद कामर्शियल पायलट का प्रशिक्षण लिया और बैरकपुर में माकपा के हैविवेट प्रत्याशी तडि़त वरण तोपदार को पराजित कर सांसद निर्वाचित हुए और राज्यमंत्री बने। कांथी से निर्वाचित सांसद 69 वर्षीय शिशिर अधिकारी नंदीग्राम कांड के बाद चर्चा में आये और उन्होंने भूमि उच्छेद प्रतिरोध कमेटी का संचालन कर केमिकल हब को नंदीग्राम से हटाने के लिए किसानों का नेतृत्व किया। दो बार विधायक रहे शिशिर पहली बार केन्द्र में राज्य मंत्री बने हैं। 63 वर्षीय सौगत राय कई बार विधायक रह चुके हैं और वर्ष 1977 में केन्द्रीय राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। इस बार केन्द्र में दूसरी बार राज्यमंत्री बन रहे हैं। पेशे से अध्यापक रहे सौगत राय की तृणमूल में प्रतिष्ठा है और जरूरत पड़ने पर ममता भी उनसे सलाह-मशविरा करती हैं।
56 वर्षीय सुलतान अहमद राजनीति के साथ फुटबाल क्लब की भी जिम्मेदारी निभाते हैं। तृणमूल कांग्रेस में वर्षो तक अल्पसंख्यक सेल की वर्षो तक जिम्मेदारी संभालने वाले सुलतान अहमद की पहचान पार्टी में तेज तर्रार नेता की है। इस चुनाव में अल्पसंख्यकों को तृणमूल के करीब लाने में सुलतान ने अहम भूमिका निभायी। वह केन्द्र में पहली बार राज्यमंत्री बने हैं। राज्यसभा सांसद मुकुल राय तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के करीबी नेता माने जाते हैं। सांगठनिक क्षमता नहीं होने के बावजूद पार्टी के विभिन्न महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी निभाते रहे हैं। पिछली बार ममता ने विपक्षी नेता पंकज बनर्जी की इच्छा के बावजूद उन्हें राज्यसभा नहीं भेजकर मुकुल राय को सांसद बना दिया। उसके बाद से पंकज ने अस्वस्थता के नाम पर राजनीति से संन्यास ले लिया। मुकुल राय भी केन्द्र में पहली बार मंत्री बने हैं। मंत्रियों के महानगर पहुंचने पर लोगों का सामूहिक आभार प्रकट किया जायेगा।

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