Friday, May 29, 2009

ममता ने लौटाया टाटा का 27 लाख का चैक

भले ही ममता बैनर्जी को उनका पसंदिदा मंत्रालय मिल गया हो लेकिन उनके तेवरों में अभी भी कोई बदलाव नहीं आया। आज भी ममत उसी आक्रामक बनें हुए हैं। यूं तो राजनेता जल्दी ही अपने बयानों से पलट जाते हैं लेकिन इसे ममता का दृढ़ निश्चय कहें या जिद वह आज भी टाटा से अपनी दुश्मनी निभाती आ रही हैं। आज भी ममता केमिकल हब के लिए टाटा को जगह देनें के लिए तैयार नहीं हैं।
दूसरा भोपाल नहीं बनने दूंगी
भले ही तूफान आए या बाढ़ ममता कभी नहीं बदलेंगी। केमिकल हब के खिलाफ वह हमेशा डटकर मुकाबला करेंगी। अपने बयान में ममता ने साफ कह दिया है कि केमिकल पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदेह हैं और जो कंपनी भोपाल गैस कांड में ब्लैक लिस्ट हो चुकी है उसे वह कभी बंगाल में हब बनाने नहीं देंगी। जब इस कंपनी को पर्यावरण एवं प्रदूषण बोर्ड इसे क्लीयरेंट नहीं दे रहा तो हम कैसे दे दें?
टाटा कोई पैसे नहीं बांटता
नैनों को बंगाल भगाने के लिए डटकर ममता दीदी ने मुकाबला किया और सफल भी रही। यही नहीं टाटा का 27 लाख का चैक बड़ी विनम्रता के साथ लौटा भी दिया। वहीं टाटा के प्रवक्ता के अनुसार यह पैसा कोई घूस या पार्टी फंड नहीं बल्कि टाटा इलेक्टोरल ट्रस्ट द्वारा दान में दिया गया था।
इस ट्रस्ट के मानकों के अनुसार ममता फिट बैठती थी और इस लिए टाटा ने पैसा ममता को भिजवाया, वर्ना टाटा कोई पैसे नहीं बांटता। नैनों के मामले में ममता अभी भी अपनी मांग पर अडिग हैं और किसानों के हितों से हटकर जरा सा कोई फैसला नहीं लेंगी।
बंगाल की मंत्री हैं ममता
अपने मंत्रियों के साथ ममता बंगाल के लिए क्या खास करनेवाली हैं इस सवाल पर वह कहती हैं कि एक बार मंत्रालय मिल जाएं फिर देखना हम बंगाल के लिए क्या करते हैं। सभी राज्य मंत्रियों को यह निर्देश दिए जा चुके हैं कि उनका लक्ष्य बंगाल की जनता और उनके विकास का कार्य करना होना चाहिए।
भले ही ममता बंगाल के लिए बहुत कुछ करना चाहती हों पर अपने मनमुताबित करना अभी भी पूरी तरह उनके हाथ में नहीं। वह बंगाल को अपनें तरीके से संवारना चाहती हैं तो राज्य सरकार बदलना होगी।
फिलहाल उन्होंने मिशन बंगाल की शुरूआत करते हुए केंद्र से चक्रवात आइला के पीड़ितों के लिए मुआवजा जुगाड़ना शुरू कर दिया है। उन्होंने वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर हरसंभव मदद का भरोसा भी ले लिया है।
अपनें पांचो मंत्रियों को ममता ने राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों का कार्यभार और राहत कार्य दे दिया है। ममता के मंत्री कार्यभार संभालते ही पहली ही गाड़ी से कोलकाता रवाना हो गए। भई जब दीदी ने खुद को बंगाल का रेलमंत्री बना लिया हो तो राज्य मंत्रियों को उनके राज्य के लिए गंभीरता से सोचना ही होगा।

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