Sunday, May 31, 2009

कैसे रखे जाते हैं तूफानों के नाम?

सिद्र, कैटरीना, टीना, नरगिस, बिजली और अब आइला। ये उन तूफानों के नाम हैं जो समय-समय पर अलग-अलग इलाकों में कहर मचा चुके हैं। आखिर इन्हें यह नाम कैसे मिले? तूफानों के नामकरण का अपना ही फामरूला है। इसमें इस बात का ध्यान रखा जाता है कि वह नाम छोटा हो और उस क्षेत्र विशेष के लिए जाना पहचाना हो। इसके पीछे मकसद यही होता है कि तूफान के दौरान मौसम विभाग के अधिकारियों को स्थानीय लोगों को चेतावनी व राहत अभियानों के बारे में जानकारी देने में दिक्कत नहीं हो। हाल ही में आने वाले तूफान आइला का नामकरण मालदीव के मौसम विभाग ने किया था। तूफानों के नामकरण का भी अपना दिलचस्प इतिहास है। तूफानों के नामकरण की शुरुआत का श्रेय बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में एक आस्ट्रेलियाई मौसम विज्ञानी को जाता है। उन्होंने तूफानों का नामकरण उन नेताओं के नाम पर किया, जिन्हें वह नापसंद करता था। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना के जवान तूफानों को अपनी पत्नी या महिला मित्र के नाम से पुकारते थे। आजकल अधिकांश नामकरण फूलों, पशुओं, पक्षियों और खाद्य सामग्री के नाम पर किया जाता है। इसकी भी एक तयशुदा प्रक्रिया है। विश्व मौसम संगठन (डल्ब्यूएमओ) की टाइफून समिति के सदस्य देश स्थानीय शब्दावली के अनुसार तूफानों के नाम रखते हैं। भावी तूफानों का नामकरण पहले ही कर दिया जाता है। उत्तरी हिंद महासागर के आठ देशों के समूह ने आने वाले 64 तूफानों के नामों की सूची बना ली है। इस समूह में भारत भी शामिल है। इस क्षेत्र में आने वाले भावी तूफान का नाम ‘फ्यान’ होगा। यह नाम म्यान्मार ने दिया है।(साभार)

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