Saturday, May 23, 2009

मुझे कॉलगर्ल बनाना चाहता है मेरा पिता

17 साल की यह लड़की भोपाल में पुलिस के आला अफसरों से गुहार लगा रही है कि उसे उसके पिता से बचाया जाए। उसका आरोप है कि पिता उसे कॉलगर्ल बनाना चाहता है। कोलकाता में एक लाख रुपए में उसकी आबरू का सौदा भी तय हो गया था लेकिन वह भाग आई..जूली उन बदनसीब लड़कियों में से एक है, जिनके परिजन ही उन्हें देह व्यापार में डालना चाहते हैं। हालांकि जूली ने अपने पिता और नानी के इन मंसूबों को पूरा नहीं होने दिया और उनके चंगुल से भाग निकली। बचती-बचाती जूली मुरैना के अभ्युदय आश्रम में पहुंच तो गई लेकिन उसके पिता लगातार आश्रम संचालक रामस्नेही को धमका रहे हैं। अब यह युवती अपनी सुरक्षा की गुहार लेकर भोपाल पहुंच गई है। पुलिस के आला अफसरों ने उन्हें आश्वासन दिया कि युवती को पूरी सुरक्षा दी जाएगी और उसे देह व्यापार में धकेलने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
मां नहीं चाहती थी

जूली के मुताबिक मुरैना के अम्बाह कस्बे में रहने वाली उसकी नानी कैलाशी बाई वेश्यावृत्ति कराती है। लेकिन उसकी मां अनीता अपनी बच्ची को इस धंधे से दूर रखना चाहती थी। तीन साल पहले उसकी मां की एक सड़क हादसे में मौत गई। इसके बाद जूली की जिंदगी बदलने लगी।
सोनागाछी में रखा गयाजूली के पिता रविकुमार और नानी कैलाशी बाई ने मिलकर उसको वेश्यावृत्ति में उतारने की तैयारी कर ली। 2005 में कैलाशी बाई उसे कोलकाता ले गई। वहां उसे सोनागाछी रेडलाइट एरिया, मस्जिद बाड़ी स्ट्रीट, कैलाशी बिल्डिंग सोहा बाजार में रखा गया।
बनाना चाहते थे
अंग्रेजी में बात करने वाली जूली की नानी कैलाशी ने उसे हाई प्रोफाइल कॉलगर्ल बनाने के लिए उसके रहने, खाने और पढ़ने का उम्दा इंतजाम किया था। लगातार दो साल तक उसे अच्छी पढ़ाई व अन्य सुविधाएं मुहैया कराया गया। उसे इसका अहसास नहीं होने दिया कि उसे किस धंधे में लगाया जाएगा।
एक लाख रुपए में तय हुआ सौदानानी ने अगस्त में जूली को देह व्यापार में उतारने की तैयारी करते हुए उसके लिए पहले ग्राहक से एक लाख रुपए की रकम ली। जूली की मौसी उसे घुमाने के नाम पर सोनागाछी इलाके की एक बिल्डिंग में ले गई। वास्तविकता को जानकर जूली घबरा गई। रकम को लेकर मौसी और ग्राहक में बहस होने लगी, तब जूली को मालूम चला कि उसका सौदा किया जा रहा है तो मौका देखकर भाग निकली।
भागी, पकड़ी गई, फिर भागीभागते हुए जूली जैसे-तैसे हावड़ा स्टेशन पहुंच गई और उसने चाचा को फोन कर दिया। तब तक उसके भागने की खबर उसके पिता रवि को लग चुकी थी। चाचा के पहले रवि स्टेशन पहुंच गया और उसे वापस सोनागाछी इलाके में ले गया लेकिन वह देह व्यापार के लिए तैयार नहीं हुई। इसके बाद नानी की सलाह पर रविकुमार जूली को लेकर वापस मुरैना के अम्बाह आ गया। एक बार फिर उस पर कॉलगर्ल बनने के लिए दबाव डाला जाने लगा। दिसंबर में जूली एक दिन मौका पाकर रवि के चंगुल से निकल भागी।
आश्रम पर हुआ हमलारवि को जब मालूम चला तो उसने 19 दिसंबर 2008 को अपने साथियों के साथ आश्रम में उसने काफी हंगामा किया। इसके बाद कई बार उसने जूली के अपहरण की नाकाम कोशिश की। हमले के बाद आश्रम वालों ने पुलिस में शिकायत की। पुलिस ने 30 दिसंबर को जूली और 2 जनवरी 2009 को संस्था के सदस्यों के बयान दर्ज किए। बयानों के आधार पर पुलिस ने रवि और नानी कैलाशी के खिलाफ नोटिस जारी कर दिए हैं।
सरकार से गुहार की?सरकार ने बांछड़ा और बेड़िया जाति में सुधार करने के लिए दो कमेटी तो बनाई है। मैं इन कमेटियों में मेंबर भी हूं। लेकिन कई बार और ज्यादा सरकारी मदद की आवश्यकता महसूस होती है।
कार्रवाई जरूर होगीजूली सिंह के मामले में एफआईआर करने में देरी क्यों हुई?ये लोग आज ही हमारे पास आए हैं। एफआईआर दर्ज करने में देरी का जरूर कोई कारण रहा होगा। थोड़ा समय लगेगा, लेकिन कार्रवाई जरूर होगी।तत्काल कार्रवाई होगीयुवती का पक्ष सुनकर एसपी मुरैना को निर्देश दिए गए हैं कि तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की जाए।
मिलेगी सुरक्षायह मामला मेरी जानकारी में पहली बार आया है। अब शिकायत आई है तो मामले की जांच होगी और एफआईआर भी होगी। पीड़ित युवती को घबराने की जरूरत नहीं है। उसे सुरक्षा दी जाएगी।
जल्द पकड़ेंगे पिता कोजूली के मामले में एफआईआर अब तक दर्ज क्यों नहीं की गई?जूली ने जो बयान दिया है उसमें उसके साथ कोलकाता में जबर्दस्ती होना बताया गया है। ऐसे में यहां मामला दर्ज होना मुश्किल है।शिकायत के एक माह बाद भी आरोपी पिता से पूछताछ क्यों नहीं की?हमने रवि और कैलाशी बाई को नोटिस जारी किए हैं लेकिन वे लोग अभी तक नहीं आए।
वैश्वावृत्ति का धंधा पर भी एक नजरग्वालियर. मुरैना और शिवपुरी में इस समय बेड़िया समुदाय के लगभग साढ़े आठ हजार लोग रह रहे हैं। इनमें से अधिकतर अभी भी वैश्यावृत्ति के धंधे से जुड़े हुए है। हालांकि कुछ परिवारों ने अब यह काम छोड़ दिया है और विकास की मुख्य धारा से जुड़ गए हैं। मुरैना जिले में इस समय बेड़िया समुदाय के 3२5 से अधिक परिवार है जिनकी जनसंख्या लगभग साढ़े तीन हजार है। दस साल पहले इस समुदाय के 289 परिवार थे जिनकी जनसंख्या ढाई हजार के करीब थी। दस साल पहले समुदाय के 70 प्रतिशत लोग वैश्यावृत्ति के धंधे से जुड़े थे, इस समय 40 प्रतिशत लोग इस कारोबार से जुड़े है। जिले के 22 गांवों में इस समुदाय के लोग निवास करते है। शिवपुरी जिले में बेड़िया समुदाय के पांच हजार लोग है। जिले के दस गांवों में इनकी अच्छी संख्या है। यहां बेड़िया समुदाय से जुड़े लोग अभी भी वैश्यावृत्ति को नहीं छोड़ पाए है। दस साल पहले जहां 95 प्रतिशत लोग वैश्यावृत्ति से जुड़े थे, वहीं इस समय भी 85 प्रतिशत लोग इस कारोबार से जुड़े हुए है। यहां जहां कई लोगों ने वैश्यावृत्ति छोड़ दी, वहीं कुछ परिवारों ने चमक-दमक देखकर इसे अपना भी लिया है। बेड़िया समुदाय की लड़कियां कारोबार करने के लिए दिल्ली, मुम्बई, मेरठ, पूना से लेकर अरब देशों तक जाती है। यह लड़कियां त्योहारों के समय में अपने घरों पर लौटती है और वहां कमाए पैसों से यहां मकान निर्माण से लेकर संपत्ति खरीदी तक करती है।(साभार)

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