Friday, May 29, 2009

रेलवे की कमाई घटने से चिंतित हैं ममता

रेलमंत्री ममता बनर्जी ने छठे वेतन आयोग के कारण रेलवे पर पड़ने वाले 14 हजार करोड़ रुपये के अतिरिक्त बोझ को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि अभी तक रेलवे ने जो मोटी कमाई की वह बेहतर आर्थिक हालात का नतीजा है, जबकि अब वैसे हालात नहीं हैं। लिहाजा भविष्य के बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी है। बहरहाल, जुलाई में पेश होने वाले रेल बजट से चीजें साफ हो जाएंगी।
ममता ने दो दिन पहले कोलकाता में रेल मंत्रालय का कार्यभार संभाल लिया था। जबकि गुरुवार को उन्होंने दिल्ली में औपचारिक रूप से कामकाज शुरू किया। राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह से फुरसत पाने के बाद दीदी सीधे रेलभवन के अपने कार्यालय पहुंची और रेलवे बोर्ड के अफसरों के साथ एक घंटे गुफ्तगू की। इसके बाद वह घर चली गई। शाम साढ़े चार बजे के करीब वह पुन: दफ्तर आई और मीडिया से रू-ब-रू हुई। इस दौरान उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि वह ऐसे समय आई हैं जब एक तरफ तो छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने से रेलवे भारी वित्तीय बोझ से दबा है। जबकि दूसरी ओर मंदी के कारण कमाई गड्ढे में चली गई है। उन्होंने कहा जब वह पिछली बार रेलमंत्री बनी थीं तो उस समय भी रेलवे को पांचवें वेतन आयोग की सिफारिशों का बोझ ढोना पड़ा था। जब ममता का ध्यान उनके पूर्ववर्ती लालू प्रसाद के बयान पर दिलाया गया कि वह रेलवे के खजाने में 90 हजार करोड़ रुपये छोड़कर जा रहे हैं, तो ममता ने कहा, 'कुछ दिन बाद मुझे रेल बजट पेश करना है। तब पता चल जाएगा कितना पैसा है।' ममता ने रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण की योजना का श्रेय खुद को दिया और बोलीं 'जब मैं पिछली मर्तबा एक साल पांच महीने रेलमंत्री थी तो यह योजना मैंने ही प्रारंभ की थी। चाहे तो रिकार्ड में देख लो।' हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि अब स्थितियों में बहुत फर्क आ चुका है। इस नई रेल को समझना पड़ेगा। इसके लिए एक हफ्ते का समय चाहिए। उन्होंने यह मानने से इन्कार कर दिया कि मंत्रालय चलाने के लिए दिल्ली में बैठना जरूरी है। बोलीं, 'बाबा, टेलीफोन किस लिए है।'

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