Saturday, May 30, 2009
आपदा में भी मेयर को कमाई का लालच
कोलकाता आयला के कहर से अभी भी बंगाल नहीं उबर सका है. कोलकाता नगर निगम के आयुक्त अलापन बंद्योपाध्याय की माने, तो हजारों निगम कर्मचारी 72 घंटे से युद्ध स्तर पर राहत व बचाव कार्य में लगे हैं. इसके उलट मेयर विकास रंजन भट्टाचार्य को आमदनी की चिंता है. उन्हें शुक्रवार को कलकत्ता हाइकोर्ट में जज प्रसेनजीत मंडल की अदालत में एक मामले की पैरवी करते देखा गया. मामला मतनभागा नगर पालिका के पार्किंग फीस वसूलने का था. मेयर (जो वकील भी हैं) नगर पालिका के विरोध में मामला लड़ रहे हैं. तीन जून को फिर इस मामले की सुनवाई होगी. आपदा की स्थिति में जहां सभी लोग पीड़ितों की सहायता में लगे हैं, वहीं मेयर को धनोपार्जन की पड़ी है. इस संबंध में संवाददाताओं ने जब मेयर से बात करनी चाही, तो उन्होंने बात करने से साफ इनकार कर दिया. उधर, मेयर के इस रवैये से बुद्धिजीवियों में नाराजगी है. नाम नहीं छापने की शर्त पर कलकत्ता हाइकोर्ट के एक वरिष्ठ वकील ने कहा कि वकालत झूठ- सच का व्यवसाय है. वकीलों को तथ्यों तो तोड़-मरोड़ कर पेश करना पड़ता है. मेयर पद पर रहते हुए कोई व्यक्ति झूठ-सच का व्यवसाय नहीं कर सकता. अधिवक्ता ने कहा कि मेयर ने कमाई के लिए पद की गरिमा को धूमिल किया है. एक दूसरे वकील ने कहा कि श्री भट्टाचार्य रुपये के लिए कुछ भी कर सकते है. सूत्रों के अनुसार विकास रंजन भट्टाचार्य की पांच मिनट की फीस 50 से 60 हजार रुपये है.
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