Thursday, September 8, 2011

पंडाल निर्माण का काम जोरों पर, बढ़ गई मूर्तिकारों की व्यस्तता

शंकर जालान



कोलकाता । पश्चिम बंगाल के मुख्य पर्व दुर्गापूजा में लगभग तीन सप्ताह शेष रह गया है। इस लिहाज से बड़ी-बड़ी पूजा पंडाल के निर्माण का काम जोरों पर हैं। वहीं उत्तर कोलकाता स्थित कुम्हारटोली के मूर्तिकारों को व्यस्तता बढ़ गई है। दक्षिण, मध्य और उत्तर कोलकाता की कुछ पूजा कमिटियों की ओर से आयोजित होने वाली दुर्गापूजा को देखने के लिए राज्य के विभिन्न जिलों के अलावा अन्य राज्यों से भी लोग आते हैं। इसी के मद्देनजर ये पूजा कमिटियां साज-सज्जा पर विशेष ध्यान दे रही हैं।
दक्षिण कोलकाता के अलीपुर स्थित सुरुची संघ क्लब, कालीघाट स्थित तरुण सार्वजनीन दुर्गोत्सव, बालीगंज स्थित बालीगंज सार्वजनिक दुर्गा पूजा कमिटी, मध्य कोलकाता के तारा चंद दत्त स्ट्रीट स्थित यंग ब्यावज क्लब, मोहम्मद अली पार्क स्थित यूथ एसोसिएशन, बड़तला स्ट्रीट स्थित जौहरी पट््टी सार्वजनिक दुर्गापूजा, उत्तर कोलकाता के पाथुरियाघाट स्थित पांचेर पल्ली, अरविंद सरणी स्थित सतदल और काशीपुर स्थिथ बीबी बाजार दुर्गापूजा समिति समेत कई पूजा आयोजकों की बैनर तले आयोजित होने वाली पूजा के लिए इनदिनों पंडाल निर्माण का काम जोरों पर हैं। इन पूजा पंडालों के तैयार करने पर दर्जनों कारीगर दिन-रात एक किए हुए हैं।
इस बार की पूजा थीम के बारे में बताते हुए सुरुची संघ क्लब के अरुप विश्वास ने बताया कि कश्मीर को देश का स्वर्ग कहा जाता है, लेकिन वैश्विक उष्णता (ग्लोबल वार्मिंग) से वहां का भी पर्यावरण प्रभावित हो रहा है। घाटी की बर्फ पिघल रही है और इसी कारण वहां की सुन्दरता में कमी आ रही है। इसी के ध्यान में रखते हुए सुरुची संघ क्लब ने इस बार कश्मीर को अपनी थीम बनाया है। उन्होंने बताया कि हम पंडाल घूमने आए लोगों को पंडाल सज्जा के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। उनके मुताबिक 1952 में स्थापित इस क्लब का यह 58वां वर्ष है और हर वर्ष की तरह यहां पूजा के तीन महीने पहले से की पंडाल बनाने का कार्य प्रारंभ हो जाता हैं। विश्वास ने बताया कि कश्मीर को महानगर में उतारने के लिए 135-140 कमर्चारी दिन-रात काम कर रहे है और उम्मीद है कि 26 सिंतबर (महालया) तक पंडाल निर्माण का काम पूरा हो जाएगा। उन्होंने बताया कि कश्मीर का रंग जमाने के लिए सिंकारा (नाव) के साथ ही वहां की लोक कला संस्कृति को भी प्रस्तुत करने की कोशिश की जा रही है।
वहीं, पूर्वाचल शक्ति संघ की ओर से आयोजित दुर्गापूजा की तैयारियां जोर शोर से जारी है। पंडाल निर्माण में लगे कारीगर थीम में जीवंतता लाने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। संघ के एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि मुताबिक इस बार उनकी थीम सपना है। उन्होंने बताया कि कठोर परिस्थितियों के बावजूद भी लोगों के मरे नहीं है। हर व्यक्ति उन्हें पूरा करने की कोशिश करता है। एक अन्य सदस्य नेव बताया कि एसएन मुखर्जी की देखरेखमें करीब 25 कारीगर थीम में जान डालने के लिए तल्लीन है। उन्होंने बताया कि पंडाल निर्माण छह लाख रुपए की लागत आएगी, जबकि बिजली सज्जा पर तीन लाख खर्च किया जाएगा। पूजा कमिटी के एक सदस्य ने बताया कि बीते साल पूर्वाचल शक्ति संघ ने दुर्गापूजा की थीम को बच्चों पर भी आधारित किया था। इसके तहत कविगुरू रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा बच्चों के लिए लिखे गए सहज पाठ के विभिन्न पृष्ठों को पूजा पंडाल में प्रस्तुत किया गया था।
दूसरी ओर, ज्यों-ज्यों दुर्गापूजा के दिन नजदीक आ रहे हैं, त्यों-त्यों मूर्तिकारों की व्यस्तता बढ़ गई है। मूर्तिकारों के मुताबिक अब उनके पास बिल्कुल फुसर्त नहीं है। विभिन्न पूजा कमिटियों का दवाब बढ़ रहा है और सभी चाहते हैं कि महालया (26 सितंबर) तक मूर्तियां उनके पंडाल में पहुंच जाए। रुद्र पाल नामक एक मूर्तिकार ने बताया कि दिक्कत तब आती है, जब सभी पूजा कमिटियां वाले यहीं कहते हैं कि उनक् पंडाल में मूर्ति महालया के ही दिन पहुंचे। महालया से एक दिन पहले या बाद में प्रतिमा पंडाल में पहुंचाने पर वे नाराज हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि मूर्तियां पंडाल में पहुंचने के बाद भी उनका कुछ काम बाकी रह जाता है, जिसे हमें पंडाल में जाकर पूरा करना पड़ता है।

No comments:

Post a Comment