Sunday, September 11, 2011

कहीं अण्णा तो कही अन्नपूर्णा के रुप में दिखेगी दुर्गा

शंकर जालान

दुर्गा पूजा में अब तीन सप्ताह शेष रह गए हैं। उत्तर कोलकाता के कुम्हारटोली के मूर्तिकार मां दुर्गा समेत सरस्वती, लक्ष्मी, गणेश व कार्तिक की प्रतिमा बनाने में जुटे हैं। यहां के मूर्तिकार इनदिनों युद्धस्तर पर विभिन्न तरह की मूर्ति गढ़ने में व्यस्त है। कोई मूर्तिकार अण्णा हजारे की इलक तो कोई राक्षस विहीन मूर्ति बना रहा है। कोई अन्नपूर्णा के रुप में तो कई पांच शेरों वाली प्रतिमा बनाने में जुटा है। कोई एक सौ आठ भुजा वाल तो कई नवदुर्गा की प्रतिमा को अंतिम रूप दे रहा है।
मूर्तिकारों का कहना है कि पांच दिवसीय दुर्गोत्सव की तैयारी में मोटे तौर पर वे पांच महीने पहले से लग जाते हैं। मूर्तिकारों के मुताबिक विसर्जन यानी विजया दशमी के बाद से ही वे अगले साल के लिए प्रतिमा निर्माण के बारे में सोचने लगते हैं।
चायना पाल नामक एक महिला मूर्तिकार ने बताया कि कुछ मूर्तियां का निर्माण वे अपनी कल्पना से करती हैं और कुछ आयोजकों की मांग के मुताबिक। एक अन्य मूर्तिकार ने बताया कि जमाना एकरुपता का है, इसलिए कई आयोजक पंडाल व बिजली सज्जा के अनुरुप मूर्ति बनवाते हैं। वे कहते हैं - जो मूर्ति आयोजकों की मांग पर बनती है उनमें वे खुल कर अपनी प्रतिभा नहीं दिखा पाते, क्योंकि मूर्ति की लंबाई, चौड़ाई व रंग आदि का निर्णय आयोजक लेते हैं।
मूर्तिकार मुरली पाल ने बताया कि एकरुपता देखने में अच्छी लगती है। इसलिए मूर्ति निर्माण में कुछ कमी रह जाती है तो उसे दर्शनार्थी समझ नहीं पाते। उन्होंने कहा कि अगर आयोजकों की बंदिश ने हो तो मूर्तिकार और बेहतर तरीके से अपनी कारीगरी का नमूना पेश कर सकता है। पाल ने कहा- आयोजकों की मांग के मुताबिक जो मूर्तियां बनाई जाती है, बेशक उसकी कीमत उन्हें अधिक मिलती है। आधा से अधिक भुगतान महालया के पहले ही मिल जाता है। उन्होंने बताया कि जो मूर्तियां वे अपनी कल्पना के आधार पर बनाते हैं उसमें स्वतंत्र रुप से कलाकारी की छूट रहती है। हालांकि ऐसी प्रतिमा को बेचने और फिर उसका भुगतान वसूलने में उन्हें काफी दिक्कत होती है।
मूर्तिकारों के संगठन के एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि इस वर्ष कुम्हारटोली में करीब सात सौ मूर्तियां बनाई जा रह है। इनमें लगभग आधी यानी ३५० मूर्तियां को विभिन्न पूजा कमिटियों ने अग्रिम राशि देकर बुक कर लिया है। उन्होंने बताया कि इस बार करीब ९० प्रतिमा आयोजकों की मांग और उनकी थीम के मुताबिक बनाई जा रही है। शेष करीब छह सौ मूर्तियों को यहां के मर्तिकारों ने अपनी सोच व कल्पना के आधार पर गढ़ा है।
उन्होंने बताया कि इस साल प्रतिमाओं में अण्णा इफेक्ट अधिक है। इसके अलावा राक्षस विहीन, पांच शेरों वाली, अन्नपूर्णा, नवदुर्गा, १०८ भुजा वाली प्रतिमा भी बनाई जा रही है।
अण्णा हजारे की इलक वाली समेत करीब १५ प्रतिमा बनाने में जुटे रुद्र पाल ने बताया कि अण्णा इफेक्ट की मूर्ति गढ़ने का मुख्य उद्देश्य भ्रष्टाचार मुक्त भारत का निर्माण है। उन्होंने बताया कि मेरी सोच थी कि ऐसी मूर्ति गढ़ी जाए जो भारत की ज्वलंत समस्या को उजागर करें। उन्होंने बताया कि मेरे लिए खुशी की बात यह है कि सबसे पहले इसी मूर्ति को एक पूजा कमिटी ने बुक करवाया। यह पूछे जाने पर कि किस पूजा कमिटी ने यह प्रतिमा बुक कराई है और कहां के पंडाल में इसे रखा जाएगा? इसका जवाब देने से उन्होंने इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह गोपनीयता के नजरिए से ठीक नहीं है।
इसी तरह पांच शेरों वाली मूर्ति बनाने में जुटे कृष्णा पाल ने बताया कि बीते साल उन्होंने तीन शेर वाली प्रतिमा बनाई थी। वह मूर्ति अच्छी कीमत पर बिकी। उसी से प्रेरित होकर मैंने इस बार पांच शेर वाली प्रतिमा बनाने की ठानी। इसी प्रकार सनातन पाल १०८ भुजा वाली, रामचरण पाल अन्नपूर्णा स्वरुपा और बद्रीनाथ एकरंगी प्रतिमा बनाने में जुटे हैं।

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