Friday, September 9, 2011

मंदिर की तर्ज पर बन रहा है यंग ब्वायज क्लब का पूजा पंडाल

शंकर जालान






मध्य कोलकाता के ताराचंद दत्त स्ट्रीट में बीते 42 सालों से यंग ब्वायज क्लब के बैनर तले आयोजित होने वाली दुर्गापूजा कलात्मक प्रतिमा के लिए जानी जाती है। इस बार यहां का पूजा पंडाल दक्षिण भारत के एक प्रसिद्ध मंदिर की तर्ज पर बनाया जा रहा है। पूजा पंडाल का उद्घाटन एक अक्टूबर को होगा। इस मौके पर राजनीतिक, सामाजिक व प्रशासनिक क्षेत्र से जुड़े कई जानेमाने लोग बतौर अतिथि मौजूद रहेंगे। पूजा के मुख्य आयोजक राकेश सिंह और विक्रांत सिंह ने बताया कि देश के विभिन्न शहरों में स्थित किसी न किसी मंदिर की हू-ब-हू आकृति का पंडाल बीते कई वर्षों से बनाया जा रहा है। इसी कड़ी में इस बार दक्षिण भारत के प्रसिद्ध मंदिर की तर्ज पर भव्य व कलात्मक पंडाल बनाया जा रहा है। सिंह ने बताया कि चंद्रा डेकोरेटर्स के कई कारीगर बीते कई सप्ताह से पंडाल बनाने में जुटे हैं। उन्होंने बताया कि पंडाल की तुलना में वे चाहते हैं कि प्रतिमा अधिक कलात्मक और दर्शनीय हो।
सिंह ने बताया कि कई सालों से उल्टाडांगा के मूर्तिकार सनातन रुद्र पाल उनके पूजा पंडाल के लिए प्रतिमा बनाते आ रहे थे। 2009 में मूर्तिकार तारक पाल ने मां दुर्गा समेत गणेश, कार्तिक, लक्ष्मी व सरस्वती की मूर्ति बनाई थी। 2010 में सुबोधचंद्र पाल को प्रतिमा बनाने का जिम्मा दिया गया है। इस बार यानी 2011 में सुबोधचंद्र के साथ राजीव पाल भी प्रतिमा निर्माण में जुटे हैं। सिंह के मुताबिक एक प्लेट पर मिट््टी से बनी प्रतिमा में मूर्तिकार क्लब के सदस्यों की सोच और अपने अनुभव से ऐसी कलाकृत्ति प्रस्तुत करता है कि देखने वाले देखते ही रह जाते हैं।
बिजली सज्जा के सवाल पर विनोद सिंह ने बताया कि तारातंद दत्त स्ट्रीट के दोनों छोर (रवींद्र सरणी से चित्तरंजन एवेन्यू तक) पर बल्बों की लटकन, वृक्षों पर पर्यावरण के महत्त्व को उजागर करने के मकसद से हरी ट्यूब लाइट और पंडाल के समीप काफी संख्या में हेलोजिन लाइटें लगाई जाएंगी। सिंह ने बताया कि पंडाल के भीतर लगने वाला विशाल झूमर भी देखने लायक होगा। 2010 में बिजली सज्जा की जिम्मेवारी एसके इलेक्ट्रिक व जीके इलेक्ट्रिक के कंधे पर थी, लेकिन इस बार देबु इलेक्ट्रिक को यह काम सौंपा गया है। उन्होंने बताया कि कलात्मक प्रतिमा के लिए क्लब को कई बार विभिन्न सरकारी व गैरसरकारी संगठनों की ओर से पुरस्कत किया गया है और उनके पंडाल में रखी प्रतिमाओं को संग्रहालयों में भी भेजा गया है।

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