Sunday, June 14, 2009

हाईस्कूलों की चौखट से मायूस लौट रहे विद्यार्थी

बढ़ती विद्यार्थियों की संख्या व स्कूलों में सीमित सीटों के चलते प्रतिवर्ष डुवार्स के हजारों छात्र-छात्राओं को बीच में ही पढ़ाई छोड़ना पड़ रहा है। आंकड़ों के अनुसार प्रतिवर्ष दस हजार छात्र शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। नामांकन के लिए विद्यार्थी व अभिभावकों को उच्च विद्यालय का चक्कर काटना पड़ता है फिर भी निश्चितता नहीं। यह स्थिति है उदलाबाड़ी हाईस्कूल, मालबाजार हाईस्कूल, नागरकाटा हाईस्कूल, बानारहाट हाईस्कूल, भती पाठशाला न्यु-डुवार्स, महावीर हाईस्कूल वीरपाड़ा का। इन स्कूलों के साथ-साथ जुनियर हाईस्कूलों की स्थिति भी यही है। दिन व दिन बढ़ती छात्रों की संख्या व स्कूलों में सीमित सीटों के चलते बच्चों को जुनियर हाईस्कूल व उच्च विद्यालय में प्रवेश के लिए पहुंचते हैं तो उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ता है। गौरतलब है कि बानारहाट थाने के अंतर्गत बिन्नागुड़ी जूनियर हाईस्कूल में पिछले वर्ष 2008 में बिन्नागुड़ी जुनियर हाईस्कूल के छात्रों का नामांकन बानारहाट आदर्श विद्या मंदिर में हुई और वहां छात्रों को बैठने का स्थान न मिलने पर इन्हें बिन्नागुड़ी जुनियर हाईस्कूल में पढ़ाई करनी पड़ी पर इसबार बानारहाट आदर्श विद्या मंदिर हाईस्कूल एवं बालका परिमल हिन्दी हाईस्कूल में सीटे खाली ही नहीं है जिससे इसबार बाहरी स्कूलों के छात्रों का नामांकन करना मुश्किल है। ज्ञात हो कि विद्यालय में तीन-तीन सेक्शन होने के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। वहीं बानारहाट बालका परिमल हिन्दी हाईस्कूल के प्रधानाध्यापक चंद्रशेखर प्रसाद ने बताया कि यदि बानारहाट में हिन्दी ग‌र्ल्स हाईस्कूल बन जाने पर बानारहाट स्थित आदर्श विद्या मंदिर हाईस्कूल व बालका परिमल हाईस्कूल पर विद्यार्थियों का बोझ कम हो जायेगा। दूसरी तरफ डुवार्स इलाके में चाय बागानों में केवल प्राथमिक विद्यालय ही है। पंचायरत स्तर पर केवल एक ही जुनियर हाईस्कूल है, कहीं कहीं तो वो भी नहीं है। इस वजह से चाय बागानों में रहने ावाले बच्चों के लिए उच्च शिक्षा मिलना मुश्किल हो रहा है। दैनिक मजदूरी करने वाले लोग अपने बच्चों की पढ़ाई के भलिए दर-दर की ठोकरें खा रहे है। कहां अपनी गरीबी से जूझते ये लोग अपने बच्चों को शिक्षा देकर बेहतर भविष्य का सापना देख रहे हैं वहीं इनके बच्चों को सरकार की ओर से मदद न मिलने से पढ़ाई छोड़ना पड़ रहा है।(साभार)

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