Friday, June 19, 2009

आर्थिक मंदी से सबसे तेजी से उबरेंगे छोटे व मझोले उद्योग

आर्थिक मंदी से सबसे तेजी से छोटे व मझोले उद्योगों के उबरेंगे की संभावना जतायी गयी है। यूपीएस ने अपने पांचवें वार्षिक एशिया बिजनेस मानीटर (यूपीएस एबीएम 2009) सर्वेक्षण के निष्कर्षो में इसका जिक्र किया है। यह सर्वेक्षण एशिया के छोटे और मझोले उद्यमों की प्रतिस्पर्धी क्षमताओं के विषय पर आधारित है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि अपने कारोबार पर पड़ते मंदी के कुप्रभाव के बावजूद क्षेत्र के अन्य देशों की तुलना में भारत में एसएमई आर्थिक पुनर्सुधार और अपनी बेहतर वृद्धि के लिए अपेक्षाकृत अधिक मजबूती के साथ डटे हुए हैं। भारत के एसएमई अपने क्षेत्रीय जोड़ीदारों की तुलना में अपने विकास और कारोबारी योजनाओं के बारे में अधिक सकारात्मक नजरिया रखते हैं। हालांकि भारत के एसएमई भी वित्तीय अस्थिरता और गिरावट के शिकार हुए हैं और कई तरह की बाधाओं व समस्याओं का सामना करना रहे हैं लेकिन वे तगड़ी वापसी करने के लिए आत्मविश्वास से भरपूर हैं।
2009 को लेकर भारतीय एसएमई आशावादी नजरिया अपनाए हुए हैं जबकि उनके एशियाई जोड़ीदारों में से बहुमत का रवैया ऐसा नहीं है। केवल 40 फीसदी ही भारत में किसी आर्थिक वृद्धि की संभावना को देखते हैं। वे अपने खुद के कारोबार के प्रति भी समान आशावादी नजरिया रखते हुए 42 फीसदी की संभावित वृद्धि की अपेक्षा रखते हैं। संपूर्ण रूप में भारतीय एसएमई का कारोबारी नजरिया, सर्वेक्षण में शामिल अन्य एशियाई बाजारों की तुलना में अधिक गिरावट दर्शाने वाला है। बहरहाल एशिया प्रशांत क्षेत्र में व्यापार पिछले साल के 69 फीसदी की तुलना में मजबूत 48 फीसदी बना रहेगा। हालांकि बाहरी व्यापार में गिरावट दर्ज हुई है लेकिन भारत का घरेलू बाजार लगातार बढ़ा है इसलिए अर्थव्यवस्था के प्रभाव ने अलग तरीके से उद्यमियों को प्रभावित किया है। यह प्रभाव इस पर निर्भर है कि उनके प्रमुख बाजार क्षेत्र कहां स्थित हैं। भारतीय उद्यमी टिके रहना और मजबूत बने रहना जानते हैं। अर्थव्यवस्था में सुधार होने पर हम इनसे तीव्र विकास की उम्मीद कर सकते हैं।(साभार)

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