Friday, June 19, 2009

बंदरगाहों पर कारोबार बढ़ने के संकेत

भारत के बड़े बंदरगाहों पर कंटेनर ट्रैफिक वाल्यूम में कुल मिलाकर गिरावट का दौर चल रहा है।
हालांकि अप्रैल महीने की तुलना में मई के दौरान कुल लदान में 3.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उद्योग जगत के विश्लेषकों का कहना है कि अब कारोबार में गिरावट के संकेत मिलने बंद हो गए हैं।
इंडियन पोर्ट एसोसिएशन (आईपीए) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक देश के12 बड़े बंदरगाहों ने चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों के दौरान कुल 10.5 लाख टीईयू माल की ढुलाई की।
केवल मई महीने में ही सभी बंदरगाहों ने मिलकर कुल 5.38 लाख टीईयू माल की ढुलाई की, जिसमें सालाना आधार पर 10.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन पिछले महीने- अप्रैल की तुलना में कारोबार में 3.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के निदेशक एसके मंडल ने कहा, 'सभी बंदरगाहों पर गिरावट की एक प्रमुख वजह यह है कि पिछले साल अप्रैल से सितंबर के बीच कारोबार बहुत ज्यादा हुआ है। जहां संपूर्ण कारगो में 7.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई वहीं इस अवधि के दौरान कंटेनर ट्रैफिक में 10.16 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।'
देश के कुल कंटेनर वाल्यूम में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत से ज्यादा है। यहां सालाना आधार पर मात्रा के मुताबिक मई 2009 में 9.4 प्रतिशत की गिरावट रही और कुल कारोबार 3.29 लाख टीईयू का रहा। लेकिन यह पिछले महीने की तुलना में 4.4 प्रतिशत ज्यादा रहा।
भारत के कुल कंटेनर वाल्यूम में चेन्नई की हिस्सेदारी 16 प्रतिशत है, जहां सालाना आधार पर 16.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। यहां कुल कारोबार 88,000 टीईयू का रहा, जबकि मात्रा का स्तर समान ही बना रहा। सबसे ज्यादा गिरावट मुंबई पोर्ट पर रही।
मंडल ने कहा कि इस वित्त वर्ष में वहां से केवल 10,000 टीईयू का काम हुआ, जो पिछले साल की समान अवधि से 54 प्रतिशत कम है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट ने तुलनात्मक रूप से बेहतर कारोबार किया। कोलकाता डॉक सिस्टम (केडीएस) के कंटेनर वाल्यूम में 11 प्रतिशत की उछाल आई और यह 57,000 टीईयू रहा।
हल्दिया डॉक सिस्टम (एचडीएस) पर बहरहाल 32 प्रतिशत की गिरावट रही और यहां कुल 18,000 टीईयू कारोबार हुआ। एंजेल ब्रोकिंग के एक विश्लेषक परम देसाई का कहना है कि पिछले साल की पहली छमाही में विकास दर बेहतर थी, जिसके चलते आधार मजबूत है और जब उसकी तुलना चालू वित्त वर्ष से करते हैं तो स्थिति खराब आती है।
लेकिन पिछले साल की दूसरी छमाही से तुलना करने पर स्थिति में सुधार नजर आता है। उन्होंने कहा कि जनवरी और फरवरी -09 बहुत खराब महीने थे। अप्रैल-मई के दौरान जो ट्रेंड मिले हैं वह जून तक जारी रहेगा। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में मात्रा के हिसाब से कारोबार गति पकड़ लेगा। (साभार)

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