Friday, June 19, 2009

बुद्धदेव की काबिलियत पर उठने लगे सवाल

नंदीग्राम की तरह अब लालगढ़ को लेकर भी पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की प्रशासनिक काबिलियत पर सवालिया निशान लगाया जाने लगा है। ऐसा करने वाले कोई और नहीं बल्कि वाममोर्चा में माकपा के ही सहयोगी दल हैं।
लालगढ़ में माओवादियों पर सख्त पुलिस कार्रवाई के लिए सहयोगी वामदलों ने बुद्धदेव को भले ही सहमति दे दी हो लेकिन उन्होंने वहां के हालात इस कदर बिगड़ने के लिए मुख्यमंत्री को कठघरे में भी खड़ा करना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि सूबे के मुखिया में कहीं न कहीं प्रशासनिक क्षमता की कमी जरूर है।
नंदीग्राम संग्राम को लेकर तो बुद्धदेव में यह कमी तो भाकपा नेता ए.बी. बर्धन समेत दूसरे कामरेड खुलकर बताते रहे हैं, लेकिन लालगढ़ कांड के आधार उनकी आलोचना फिलहाल बंद कमरे तक सीमित रखे हुए हैं। हां, अगर लालगढ़ भी नंदीग्राम का दूसरा पार्ट बन जाए तो बुद्धदेव की खिंचाई सार्वजनिक तौर पर करने से कोई नहीं चूकेगा। वहीं माकपा केंद्रीय समिति की यहां शुक्रवार से शुरू हो रही तीन दिन की बैठक में इस मसले पर भी विस्तृत चर्चा होगी।
तीसरा मोर्चा और परमाणु करार से समर्थन वापसी के अपने फैसले की समीक्षा तो माकपा नेतृत्व करेगा ही, लेकिन साथ ही बुद्धदेव को भी लालगढ़ पर जवाब देना होगा।
सूत्रों के मुताबिक कोलकाता में वाममोर्चा की बैठक के दौरान आरएसपी और फारवर्ड ब्लाक के वरिष्ठ नेताओं ने लालगढ़ के हालात बेकाबू होने के पीछे बुद्धदेव की कमजोरी ही बताई। वाममोर्चा के संयोजक व माकपा सचिव बिमान बोस को अपनी भावना से अवगत कराते हुए कामरेडों ने कह दिया कि वक्त रहते ठोस कार्रवाई कर ली जाती तो माओवादी लालगढ़ को अपने कब्जे में नहीं कर पाते।
यानी सीधे-सीधे वाममोर्चा के घटक दलों ने मुख्यमंत्री की प्रशानिक काबिलियत पर निशाना साधा है। सूत्रों की माने तो कुछ कामरेड तो किसी भी मामले को संभाल पाने में उनकी नाकामी को भी रेखांकित करने सुने गए हैं।
जाहिर है भाकपा समेत सभी वामदलों को बुद्धदेव के कामकाज का तरीका कतई पसंद नहीं रहा है। लोकसभा चुनाव में अपने उम्मीदवारों की हार के बाद तो बुद्धदेव के खिलाफ उनका गुस्सा बढ़ा ही है। इस मोर्चे पर बर्धन ने तो भाकपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बाद माकपा महासचिव प्रकाश करात के साथ बुद्धदेव को भी लपेट लिया था। उनका कहना था कि इसे दोनों की तरफ से हुई लापरवाही का खामियाजा सभी वामदलों ने भुगता।
जाहिर है उस समय उन्होंने यह बात नंदीग्राम के संदर्भ में ही कही थी। अब लालगढ़ एक नई समस्या के रूप में सामने है। परिस्थितियां भी बदली हुई हैं। केंद्र में वामदलों का दबदबा समाप्त हो चुका है और उनके धुर विरोधी दल तृणमूल कांग्रेस का प्रभाव बढ़ गया है। ऐसे में सहयोगी वामदल कदम फूंक-फूंक कर उठाने की सलाह ही बुद्धदेव को दे रहे हैं। यही वजह है कि पुलिस कार्रवाई के लिए सहमत होते हुए उन्होंने चेतावनी दे दी है कि नंदीग्राम दोबारा न हो। वहीं बुद्धदेव भी इस बार सहयोगी घटक दलों को विश्वास में लेकर चल रहे हैं, ताकि उन पर एकतरफा फैसला करने की तोहमत फिर न मढ़ी जाए।(साभार)

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