Friday, June 19, 2009

सुंदरवन को हो रहे नुकसान का सर्वेक्षण

दुनिया के सबसे बड़े मैंग्रोव जंगल सुंदरवन के पारिस्थतिकी तंत्र को हो रहे नुकसान के आकलन के लिये राज्य का वन विभाग सर्वेक्षण शुरू करेगा। केन्द्रीय संगठन जूलाजिकल व बोटेनिकल सर्वे आफ इंडिया को इस बारे में राज्य सरकार की तरफ से प्रस्ताव भेजा जायेगा। सर्वेक्षण कार्य दो साल तक जारी रहेंगे। वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि सर्वेक्षण के तहत सुंदरबन की वनस्पतियों व वन्य जीवों पर हुए परिवर्तन के असर का आकलन किया जायेगा। लम्बे समय तक सुंदरवन के पारिस्थतकी तंत्र पर कोई वैज्ञानिक सर्वेक्षण नहीं किया गया है। केन्द्र सरकार की मदद के बिना सुंदरबन इलाके में प्रदूषण से हुए नुकसान तथा वनस्पतियों और वन्यजीवन पर इसके प्रभाव का सटीक आकलन नहीं किया जा सकता। उल्लेखनीय है कि अब तक इस विस्तृत मैंग्रोव जंगल में राज्य वन विभाग तथा कुछ गैरसरकारी संगठनों द्वारा अल्पकालीन सर्वेक्षण किया गया है। सर्वेक्षण में सुंदरवन के तटीय इलाकों के समुद्री जल के प्रदूषण के आकलन की भी योजना है। सुंदरवन बायोस्फेयर रिजर्व के संयुक्त निदेशक राजू दास ने बताया कि सर्वेक्षण के प्रस्ताव पर जल्द बैठक होगी जिसके बाद इसकी रिपोर्ट केन्द्र को भेजी जायेगी। उल्लेखनीय है कि कई पर्यावरण कार्यकर्ताओं तथा संगठनों ने भी सर्वेक्षण पर जोर दिया है। हाल में आये चक्रवाती तूफान आयला से सुंदरवन की वनस्पतियों और वन्यजीवों के काफी नुकसान पहुंचने की आशंका प्रकट की गयी है।(साभार)

No comments:

Post a Comment